8th Pay Commission: आठवें वेतन आयोग को बने दो महीने बीते, फिर भी ऑफिस नहीं; सैलरी हाइक से पहले क्या उठे सवाल?
8th Pay Commission: आठवें वेतन आयोग का गठन हो चुका है और टर्म ऑफ रेफरेंस भी जारी हो गया है, लेकिन चौंकाने वाली बात यह है कि इसे अभी तक अपना कार्यालय न ...और पढ़ें

8th Pay Commission: आठवें वेतन आयोग को बने दो महीने बीते, फिरभी ऑफिस नहीं; कहां बैठ रहे मेंबर? क्यों उठे सवाल
नई दिल्ली | आठवें वेतन आयोग को लेकर देशभर के केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनर्स में उत्सुकता बढ़ती जा रही है, लेकिन इसके साथ ही एक चौंकाने वाली हकीकत भी सामने आई है। आठवें सेंट्रल पे कमीशन (8th Central Pay Commission) का गठन तो हो गया है, टर्म ऑफ रेफरेंस (ToR) भी जारी हो चुका है। लेकिन अब तक आयोग को अपना ऑफिस ही नहीं मिला है। यह दावा ऑल इंडिया एनपीएस इम्प्लॉई फेडरेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. मंजीत पटेल ने जागरण बिजनेस से खास बातचीत के दौरान किया है।
आठवें वेतन आयोग की टाइमलाइन क्या कहती है? (8th Pay Commission Timeline)
सरकारी टाइमलाइन पर नजर डालें तो तस्वीर साफ दिखती है। जनवरी 2025 में केंद्रीय कैबिनेट ने आठवें वेतन आयोग (8th Pay Commission) को मंजूरी दी। इसके बाद 28 अक्टूबर 2025 को आयोग के गठन का आधिकारिक ऐलान हुआ और 3 नवंबर 2025 को टर्म ऑफ रेफरेंस जारी (Terms of Reference) किया गया। मौजूदा सातवां वेतन आयोग 31 दिसंबर 2025 को खत्म हो रहा है, ऐसे में आठवें वेतन आयोग के 1 जनवरी 2026 से लागू होने की संभावना जताई जा रही है। लेकिन मंजीत पटेल के मुताबिक, जमीनी हकीकत यह है कि आयोग के पास अभी तक कोई तय कार्यालय ही नहीं है। उनका कहना है कि, "जब ऑफिस ही नहीं है, तो बातचीत किससे और कहां होगी?"
"ऑफिस नहीं, तो बात कहां रखें?"
डॉ. पटेल बताते हैं कि, "परंपरा के मुताबिक जब भी कोई वेतन आयोग बनता है, तो सबसे पहले उसे एक कार्यालय दिया जाता है। वहीं कर्मचारी संगठन जाकर अपनी मांगें रखते हैं, ज्ञापन सौंपते हैं और आयोग के चेयरपर्सन व सदस्यों से मुलाकात करते हैं। अभी न तो चेयरपर्सन रंजना प्रकाश देसाई से इस मुद्दे पर कोई बातचीत हुई है और न ही घोषित सदस्यों से। वजह साफ है- आयोग के पास ऑफिस न होना। ऐसे में कोई घर जाकर तो बात करेगा नहीं।"
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उनका सवाल है कि जब कर्मचारियों को अपने मुद्दे रखने हों, तो वे आखिर किस दरवाजे पर जाएं? सामान्य प्रक्रिया यही होती है कि आयोग एक समय तय करता है, कर्मचारी संगठनों को बुलाता है, और औपचारिक बैठक में उनकी बात सुनी जाती है। इस दौरान डॉ. पटेल ने सवाल भी उठाया और कहा कि, "जब बैठने की जगह ही तय नहीं, तो यह प्रक्रिया कैसे शुरू होगी?"
"सिर्फ एलान हुआ, सेटअप अब तक नहीं"
मंजीत पटेल का कहना है कि तकनीकी रूप से आयोग का गठन हो चुका है, लेकिन व्यावहारिक तौर पर सेटअप अभी खड़ा ही नहीं हुआ। उनका आरोप है कि गठन के ऐलान को दो महीने से ज्यादा हो चुके हैं, नवंबर और दिसंबर बीत गए, फिर भी आयोग को जगह नहीं मिल पाई।
मंजीत पटेल ने क्यों लगाए गंभीर आरोप?
पटेल इसे सिर्फ प्रशासनिक देरी नहीं मानते। उनके मुताबिक, "सरकार जानती है कि वेतन आयोग को अपना काम पूरा करने के लिए लगभग छह महीने काफी होते हैं। लेकिन इसे जानबूझकर खींचा जा रहा है।" उनका दावा है कि इस देरी के पीछे राजनीतिक वजहें भी हो सकती हैं और इसे उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों तक लटकाया जा सकता है।
यानी यह साफ है कि आठवें वेतन आयोग को लेकर जहां एक ओर कर्मचारियों को नई सैलरी और फिटमेंट फैक्टर (8th Pay Commission Salary Hike 2026) की उम्मीद है, वहीं दूसरी ओर ऑफिस तक न मिल पाना इस पूरी प्रक्रिया पर बड़ा सवाल खड़ा कर रहा है। अब देखना यह है कि सरकार कब इस आयोग को जमीनी तौर पर काम शुरू करने लायक ढांचा देती है।

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