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    सैलरी, इंश्योरेंस से लेकर पेंशन तक, 7वें आयोग के 10 साल में क्या-क्या बदला? 8th Pay Commission से क्या हैं उम्मीदें?

    Updated: Tue, 23 Dec 2025 08:00 PM (IST)

    8th Pay Commission: केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनर्स के लिए सातवें वेतन आयोग का कार्यकाल पूरा हो रहा है। अब सबकी नजरें आठवें वेतन आयोग पर टिकी हैं, जि ...और पढ़ें

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    8 दिन बाद खत्म हो रहा 7वां वेतन आयोग: जानें 10 साल में क्या बदला और 8th Pay Commission से क्या हैं उम्मीदें?

    नई दिल्ली| केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनर्स के लिए एक अहम दौर शुरू होने जा रहा है। आठ दिन बाद, यानी 31 दिसंबर को सातवें वेतन आयोग (7th Pay Commission) का कार्यकाल पूरा हो रहा है, जिसने पिछले 10 साल में सैलरी स्ट्रक्चर से लेकर भत्तों और पेंशन तक कई बड़े बदलाव किए। न्यूनतम वेतन तय करने से लेकर फिटमेंट फैक्टर, HRA, ग्रेच्युटी और MACP जैसे नियमों ने करोड़ों कर्मचारियों की आमदनी और भविष्य की प्लानिंग को सीधे प्रभावित किया।

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    अब सबकी नजरें आठवें वेतन आयोग (8th Pay Commission) पर टिकी हैं। ऐसे में सवाल उठने लगे हैं कि सैलरी में कितनी बढ़ोतरी होगी, फिटमेंट फैक्टर कितना रहेगा और पेंशनर्स को क्या राहत मिलेगी? ये सवाल इसलिए भी अहम हैं, क्योंकि इसका असर 50 लाख से ज्यादा कर्मचारियों और करीब 69 लाख पेंशनर्स की जेब पर पड़ने वाला है। ऐसे में सबसे पहले समझते हैं कि आखिर सातवां वेतन आयोग के लागू होने के बाद पिछले 10 साल में क्या-क्या बदला? और आठवें वेतन आयोग से क्या-क्या उम्मीदें हैं? चलिए समझते हैं।

    7वें वेतन आयोग की 10 साल तक असर डालने वाली प्रमुख सिफारिशें

    1. लागू होने की तारीख:

    7वें वेतन आयोग की सिफारिशें 1 जनवरी 2016 से लागू की गईं। इसी आधार पर सैलरी, भत्ते और पेंशन में बदलाव हुए।

    2. न्यूनतम वेतन:

    एक्रोयड फॉर्मूला (Aykroyd Formula) के तहत केंद्र सरकार के कर्मचारियों का न्यूनतम वेतन 18,000 रुपए प्रति माह तय किया गया।

    3. अधिकतम वेतन:

    एपेक्स स्केल (Apex Scale) के अधिकारियों का अधिकतम वेतन 2.25 लाख रुपए प्रति माह और कैबिनेट सचिव व समान स्तर के अधिकारियों का वेतन 2.50 लाख रुपए प्रति माह तय हुआ।

    यह भी पढ़ें- 8th Pay Commission: चपरासी से IAS तक, किसकी बढ़ जाएगी कितनी सैलरी? नए साल से पहले जान लीजिए पूरा कैलकुलेशन

    4. नई वेतन संरचना:

    पे बैंड और ग्रेड पे की पुरानी व्यवस्था खत्म कर पे मैट्रिक्स सिस्टम लागू किया गया। अब कर्मचारी का स्टेटस ग्रेड पे नहीं, बल्कि पे मैट्रिक्स के लेवल से तय होने लगा।

    5. फिटमेंट फैक्टर:

    सभी कर्मचारियों के लिए 2.57 का समान फिटमेंट फैक्टर लागू किया गया, जिससे बेसिक सैलरी में बढ़ोतरी हुई।

    6. वार्षिक इन्क्रीमेंट:

    सालाना वेतन वृद्धि की दर 3 प्रतिशत ही रखी गई।

    7. MACP में बदलाव:

    परफॉर्मेंस बेंचमार्क 'गुड' से बढ़ाकर 'वेरी गुड' किया गया।
    पहले 20 साल में MACP या नियमित प्रमोशन के लिए तय मानक पूरा नहीं करने पर इन्क्रीमेंट नहीं दिया गया।
    MACP में इसके अलावा कोई और बड़ा बदलाव नहीं किया गया।

    8. भत्तों में बदलाव:

    कुल 52 भत्ते खत्म किए गए और 36 भत्तों को मर्ज कर नए या मौजूदा भत्तों में शामिल किया गया। जोखिम और कठिनाई भत्ते के लिए 9-स्तरीय मैट्रिक्स लागू हुई।

    9. हाउस रेंट अलाउंस (HRA):

    X, Y और Z शहरों के लिए HRA क्रमशः 24%, 16% और 8% किया गया। DA के 50% और 100% पार करने पर इसमें आगे बदलाव का प्रावधान रखा गया। इसका दायरा डिफेंस, CAPF और कोस्ट गार्ड कर्मियों तक बढ़ाया गया।

    10. एडवांस और HBA:

    बिना ब्याज वाले सभी एडवांस खत्म किए गए। केवल पर्सनल कंप्यूटर एडवांस और हाउस बिल्डिंग एडवांस (HBA) जारी रहे। HBA की सीमा ₹7.5 लाख से बढ़ाकर ₹25 लाख की गई।

    11. ग्रुप इंश्योरेंस स्कीम:

    केंद्रीय कर्मचारियों की ग्रुप इंश्योरेंस स्कीम (CGEGIS) में योगदान राशि और बीमा कवर दोनों बढ़ाए गए।

    12. मेडिकल सुविधाएं:

    हेल्थ इंश्योरेंस स्कीम शुरू की गई। CGHS का दायरा CGHS क्षेत्र से बाहर रहने वाले पेंशनर्स और डाक पेंशनर्स तक बढ़ाया गया।

    13. पेंशन में नई गणना:

    1 जनवरी 2016 से पहले रिटायर हुए सिविल, CAPF और डिफेंस कर्मियों के लिए नई पेंशन गणना लागू की गई।

    14. ग्रेच्युटी बढ़ी:

    ग्रेच्युटी की अधिकतम सीमा 10 लाख रुपए से बढ़ाकर 20 लाख रुपए की गई। DA के 50% बढ़ने पर इसे 25% और बढ़ाने का प्रावधान रखा गया।

    15. डिसेबिलिटी पेंशन (डिफेंस):

    सशस्त्र बलों के लिए डिसेबिलिटी पेंशन को फिर से स्लैब सिस्टम में लाया गया।

    16. एक्स-ग्रेशिया मुआवजा:

    ड्यूटी के दौरान मौत पर परिजनों को मिलने वाली एकमुश्त राशि में संशोधन किया गया।

    17. नई पेंशन प्रणाली (NPS):

    NPS से जुड़ी शिकायतों को देखते हुए इसमें सुधार और मजबूत शिकायत निवारण तंत्र बनाने की सिफारिश की गई।

    18. नियामक संस्थाएं:

    चेयरपर्सन और सदस्यों के लिए कंसोलिडेटेड पे पैकेज तय किया गया। पेंशन को इस वेतन से नहीं घटाया गया। कुछ संस्थाओं के चेयरपर्सन के लिए ₹4.5 लाख और सदस्यों के लिए ₹4 लाख प्रति माह तय किए गए, जो DA के 50% बढ़ने पर 25% बढ़ेंगे।

    19. परफॉर्मेंस-लिंक्ड पे:

    परफॉर्मेंस से जुड़ा वेतन (PRP) लागू किया गया और पुराने बोनस सिस्टम को इसमें शामिल कर दिया गया।

    क्या 1 जनवरी 2026 से लागू होगा 8वां वेतन आयोग?

    इस पर सरकार ने अभी कोई पक्की तारीख तय नहीं की है। वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने लोकसभा में पूछे गए सवाल का 8 दिसंबर 2025 को लिखित में जवाब दिया और साफ किया कि 1 जनवरी 2026 से 8वें वेतन आयोग के लागू होने की पुष्टि नहीं हुई है। आयोग की रिपोर्ट आने में नोटिफिकेशन के बाद करीब 18 महीने तक लग सकते हैं।

    यानी अब 7वें वेतन आयोग का अध्याय खत्म हो रहा है और अब कर्मचारियों की निगाहें 8वें वेतन आयोग पर टिकी हैं, जहां फिटमेंट फैक्टर, सैलरी और पेंशन में नई उम्मीदें जुड़ी हैं।

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