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    भारत-अमेरिका के लिए 19 दिन अहम, बातचीत से हल नहीं निकला तो... जानें इंडिया के पास हैं क्या-क्या विकल्प?

    Updated: Fri, 08 Aug 2025 07:47 PM (IST)

    ट्रंप ने भारत पर 50% का सबसे भारी टैरिफ (Trump Tariffs) लगाया है। इसमें पहले से 25% और रूस से तेल खरीदने पर 25% का अतिरिक्त शुल्क शामिल है। यह 27 अगस्त से पूरी तरह लागू हो रहा है। ऐसे में अगले 19 दिन भारत-अमेरिका के लिए अहम हैं। क्योंकि अगर दोनों देश बातचीत से हल नहीं निकाल पाए तो एक महंगा व्यापार युद्ध शुरू हो सकता है।

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    ट्रंप ने भारत पर 50% का सबसे भारी टैरिफ लगाया है।

    नई दिल्ली | Trump Tariffs : अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर 50% का सबसे भारी टैरिफ (Trump Tariffs) लगाया है। इसमें पहले से 25% और रूस से तेल खरीदने पर 25% का अतिरिक्त शुल्क शामिल है, जो पूरी तरह 27 अगस्त से लागू होगा। 

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    ट्रंप के इस फैसले का असर भारत के सबसे बड़े निर्यात बाजार अमेरिका के कारोबार पर पड़ रहा है।अमेरिका के बड़े रिटेलर जैसे अमेजन, वॉलमार्ट, टारगेट और गैप ने भारत से कपड़े और टेक्सटाइल की शिपमेंट रोक दी है। खरीदार अतिरिक्त लागत नहीं उठाना चाहते। वे भारतीय निर्यातकों से इसे वहन करने की बात कह रहे हैं।

    व्हाइट हाउस का कहना है कि यह टैरिफ भारत पर आर्थिक और कूटनीतिक दबाव बनाने के लिए है, लेकिन भारत ने इसे 'अनुचित' और 'एकतरफा' करार दिया है। अब भारत पर ट्रंप का 50% टैरिफ लगने में 19 दिन बचे हैं, तो ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर भारत के सामने क्या-क्या विकल्प हैं? जिनसे वह भारी-भरकम टैरिफ से बच सकता है? चलिए समझते हैं...

    यह भी पढ़ें- जिसे कहा 'डेड इकोनॉमी' वहीं से छापे अरबों, गुरुग्राम-मुंबई-पुणे...जानें भारत में कहां-कहां ट्रंप के बिजनेस ठिकाने?

    रूस से तेल आयात कम करना

    सवाल है कि क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रूस से व्यापार कम करेंगे या फिर 'रूस पेनल्टी' से बचने के लिए डटकर मुकाबला करेंगे। बीबीसी की रिपोर्ट मुताबिक, भारत पहले से ही रूस से हथियार और तेल के आयात को कम कर रहा है। भारत-रूस संबंध 'नियंत्रित गिरावट' की ओर हैं।

    दूसरे देशों से गठजोड़ बढ़ाना 

    एक्सपर्स्ट्स का मानना है कि यह भारत को रूस, चीन और अन्य साझेदारों के करीब ला सकता है। पीएम नरेंद्र मोदी की आगामी एससीओ शिखर सम्मेलन (SCO summit) के लिए चीन यात्रा से भारत-रूस-चीन त्रिपक्षीय बातचीत फिर शुरू हो सकती है।

    कृषि और डेयरी में रियायत देना

    अमेरिका अपने कृषि और डेयरी प्रोडक्ट्स को भारतीय बाजार में बेचना चाहता है, लेकिन इस पर बातचीत रुकी हुई है। रियायत देने से व्यापार समझौता हो सकता है, पर यह घरेलू स्तर पर राजनीतिक रूप से महंगा पड़ सकता है। पिछले दिनों पीएम मोदी ने दिल्ली में एक इवेंट में कहा कि, 'हमारे लिए किसानों का कल्याण सर्वोपरि है। भारत अपने किसानों, डेयरी क्षेत्र और मछुआरों के हितों से कभी समझौता नहीं करेगा।"

    निवेश का फायदा उठाना

    भारत की 'चाइना-प्लस-वन' (China-plus-one) रणनीति अभी भी एप्पल (Apple) जैसे निवेशकों को आकर्षित कर सकती है, जिनके सेमीकंडक्टर-आधारित प्रोडक्ट पर टैरिफ का असर नहीं पड़ता। लेकिन वियतनाम जैसे प्रतिद्वंद्वी देश कम टैरिफ के कारण भारत को चुनौती दे सकते हैं।

    निर्यातकों को सीधा समर्थन

    जापानी ब्रोकरेज फर्म नोमुरा (Nomura) ने चेतावनी देते हुए कहा कि मौजूदा निर्यात समर्थन उपाय इतने भारी टैरिफ का मुकाबला नहीं कर सकते। केवल उच्च-स्तरीय कूटनीति ही व्यापार समझौते को बचा सकती है, जो कुछ हफ्ते पहले संभव लग रहा था।

    भारत का रुख और जवाबी कार्रवाई

    भारत सरकार ने 'राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए हर जरूरी कदम' उठाने का वादा किया है। कांग्रेस लीडर और विपक्षी नेता राहुल गांधी ने टैरिफ को 'आर्थिक ब्लैकमेल' करार दिया है। बार्कलेज रिसर्च के मुताबिक, भारत जवाबी टैरिफ लगा सकता है, जैसा उसने 2019 में अमेरिकी स्टील और एल्यूमीनियम पर शुल्क के जवाब में 28 अमेरिकी सामानों पर टैरिफ लगाकर किया था। हालांकि, कुछ शुल्क 2023 में वापस लिए गए थे।

    ऐसे में अगले 19 दिन भारत और अमेरिका के लिए अहम हैं। अगर दोनों देश बातचीत से हल नहीं निकाल पाए, तो एक महंगा और अनिश्चित व्यापार युद्ध शुरू हो सकता है।