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    संपत्ति गिरवी रख उठाएं लाभ

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    Updated: Mon, 19 Jan 2015 05:51 AM (IST)

    यदि नियम-कायदों की जानकारी हो तो हम प्रॉपर्टी को गिरवी रखकर अतिरिक्त पैसा जुटा सकते हैं और आवश्यक कार्यों में उपयोग कर सकते हैं। शादी, व्यवसाय में निवेश, बच्चों की उच्च शिक्षा समेत अनेक कार्यों के लिए प्रॉपर्टी को गिरवी रखकर पर्याप्त धनराशि जुटाई जा सकती है।

    कुछ सपने आम होते हैं। जैसे कि घर या कार खरीदने, बच्चों को अच्छे स्कूल में पढ़ाने अथवा अच्छा बैंक बैलेंस रखने का सपना। फर्क केवल इनके स्तर का होता है। कोई बहुत बड़े मकान का सपना देखता है तो कोई साधारण का। कोई करोड़ों के बैंक बैलेंस का सपना देखता है तो किसी के लिए लाख ही काफी हैं। किसी का काम छोटी कार से चल जाता है तो कोई बीएमडब्ल्यू से नीचे का ख्वाब नहीं देखता।

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    मगर इन तमाम सपनों में घर खरीदना सबसे चुनौतीपूर्ण है। खासकर जब प्रापर्टी के दाम आसमान छू रहे हों। इसलिए किसी व्यक्ति का मकान या दुकान खरीदना बड़ी बात है, चाहे वह मकान छोटा हो या बड़ा। कितनी भी जरूरत हो, लोग अपनी प्रॉपर्टी को गिरवी (मॉरगेज) रखकर पैसा जुटाने में हिचकिचाते हैं। क्या यह महज प्रॉपर्टी के प्रति मोह है? नहीं, असल में यह प्रॉपर्टी खोने का डर है, क्योंकि कई मामलों में ऐसा हुआ है कि रेहन रखी गई संपत्ति हाथ से चली गई।

    इसलिए यह भय अपनी जगह सही है, मगर इस तथ्य को भी झुठलाया नहीं जा सकता कि ऐसा प्रॉपर्टी गिरवी रखने के नियम-कायदों की पूरी जानकारी न होने की वजह से होता है। नियमों की ज्यादा से ज्यादा जानकारी हासिल कर हम इस डर से मुक्त हो सकते हैं।

    यदि नियम-कायदों की जानकारी हो तो हम प्रॉपर्टी को गिरवी रखकर अतिरिक्त पैसा जुटा सकते हैं और आवश्यक कार्यों में उपयोग कर सकते हैं। शादी, व्यवसाय में निवेश, बच्चों की उच्च शिक्षा समेत अनेक कार्यों के लिए प्रॉपर्टी को गिरवी रखकर पर्याप्त धनराशि जुटाई जा सकती है। लेकिन ऐसा करने से पहले कुछ बातों को समझ लेना जरूरी है।

    कर्ज रहते प्रॉपर्टी गिरवी रखनाः
    यदि आप पर कर्ज है। आपने पहले से प्रॉपर्टी गिरवी रख रखी है तो आप फिर से इसे रेहन नहीं रख सकते। लेकिन विशेष परिस्थितियों में पहले फाइनेंसर की सहमति से पेरी पेसू मॉरगेज या सेकंड मॉर्गेज के जरिये ऐसा किया जा सकता है।

    मॉर्गेजिंग से फाइनेंसर को कर्ज की राशि को सुरक्षित करने में मदद मिलती है, जबकि ग्राहक संपत्ति को बंधक रखकर जरूरत का पैसा जुटा सकता है। वैसे तो बिना प्रॉपर्टी रेहन रखे भी कर्ज प्राप्त किया जा सकता है, लेकिन कम ब्याज दर के कारण सिक्योरिटी देकर लिया गया लोन सस्ता पड़ता है।

    कर्ज भुगतान में असमर्थताः
    अगर किसी कारणवश कर्ज लेने वाला व्यक्ति उसे अदा करने में असमर्थ रहता है तो फाइनेंसर गिरवी रखी प्रॉपर्टी को कानूनी तरीके से बेचकर अपना कर्ज वसूल कर सकता है। इसके लिए उसे अदालत जाकर संपत्ति को कब्जे में लेने की कानूनी प्रक्रिया का पालन करना होता है। इसके बाद प्रॉपर्टी को बेचकर वह अपना कर्ज वसूल सकता है।

    कर्ज अदा न कर पाने के कारणों के आधार पर कर्जदार को अन्य समस्याओं का सामना भी करना पड़ सकता है। मसलन, यदि कोई धोखाधड़ी सामने आती है तो कर्जदार पर आपराधिक मुकदमा भी चल सकता है। भुगतान में विलंब की स्थिति में दंड ब्याज के तौर पर जुर्माना भी भरना पड़ सकता है।

    गिरवी संपत्ति पर ब्याज दरः
    बंधक या गिरवी रखी गई संपत्ति पर ब्याज का भुगतान मासिक आधार पर करना होता है। कर्ज, कर्जदार व्यक्ति व कर्जदाता संस्था के प्रोफाइल के आधार पर यह 10 से 15 फीसद या अधिक हो सकता है। आम तौर पर होम लोन के ब्याज की दर यात्रा या व्यवसाय के लिए प्रॉपर्टी गिरवी रखकर लिए गए लोन पर ब्याज की दर से कम होती है।

    गिरवी प्रॉपर्टी छोड़ना ः
    यदि नीयत ठीक हो तो कर्ज की अदायगी में एक या दो महीने के विलंब से कोई फर्क नहीं पड़ेगा। लेकिन यदि विलंब चार महीने से ऊपर हो तो फाइनेंसर प्रॉपर्टी जब्त करने के लिए कानूनी उपाय करने को बाध्य हो सकता है। एक बार जब्ती की प्रक्रिया शुरू हो गई तो फाइनेंसर छह माह से डेढ़ साल के भीतर संपत्ति को अपने कब्जे में ले सकता है।

    गिरवी संपत्ति की बिक्रीः
    गिरवी रखी गई संपत्ति को फाइनेंसर या कर्जदाता की सहमति के बगैर नहीं बेचा जा सकता। खासकर जब कर्ज का भुगतान न हुआ हो। यदि कर्ज की अदायगी समुचित रूप से हो रही है तो प्रॉपर्टी का मालिक फाइनेंसर को भरोसे में लेकर इस संपत्ति को बेच सकता है और खरीदार को कर्ज हस्तांरित कर सकता है।

    संपत्ति गिरवी रखना व बेचनाः
    जरूरी नहीं कि घर गिरवी रखना हमेशा घर बेचने से बेहतर विकल्प हो। दोनों के अपने-अपने फायदे व नुकसान हैं। आइए जरा इन पर नजर डालते हैं।

    नफा-नुकसानः
    -गिरवी रखने में प्रॉपर्टी का हक छोड़े बगैर जरूरत का पैसा मिल जाता है। बंधक प्रॉपर्टी का उपयोग निजी, व्यावसायिक या अन्य उपयोग के लिए कर सकते हैं।
    -गिरवी रखने में मालिक के पास उसका स्वामित्व बना रहता है, जबकि बेचने में खरीदार को ट्रांसफर हो जाता है।
    -संपत्ति गिरवी रखने से प्राप्त धनराशि अमूमन संपत्ति के मूल्य का 70-80 प्रतिशत होती है। बेचने में संपत्ति का शत-प्रतिशत मूल्य मिलता है।
    -बंधक संपत्ति का भविष्य में बढ़ने वाला मूल्य मालिक के पास रहता है, बेचने में यह लाभ खरीदार को चला जाता है।
    -गिरवी संपत्ति को फाइनेंसर की सहमति से लीज पर देकर आय का अतिरिक्त स्रोत बनाया जा सकता है।

    बृजेश परनामी
    सीईओ
    डेस्टीमनी एडवाइजर्स
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