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SBI ने बनाया 10 हजार करोड़ का प्लान, जानिए आप पर क्या होगा इसका असर

SBI Infrastructure Bonds देश के सबसे बड़े बैंक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने अपनी जमा राशि को बढ़ाने के लिए इन्फ्रास्ट्रक्चर बांड जारी करने का सॉलिड प्लान बनाया है। इसके चलते जल्द ही बैंक की सूरत बदल सकती है।

By Siddharth PriyadarshiEdited By: Siddharth PriyadarshiPublished: Wed, 04 Jan 2023 10:00 PM (IST)Updated: Wed, 04 Jan 2023 10:00 PM (IST)
SBI ने बनाया 10 हजार करोड़ का प्लान, जानिए आप पर क्या होगा इसका असर
SBI board approves 10000 crore fund raising via infrastructure bonds

नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। संपत्ति के हिसाब से देश के सबसे बड़े ऋणदाता स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) ने कहा है कि उसके बोर्ड ने वित्तीय वर्ष 2023 के दौरान 10,000 करोड़ रुपये तक के इन्फ्रास्ट्रक्चर बॉन्ड जारी करके धन जुटाने को मंजूरी दे दी है। राज्य के स्वामित्व वाले बैंक ने एक नियामकीय फाइलिंग में कहा कि केंद्रीय बोर्ड की कार्यकारी समिति इंफ्रास्ट्रक्चर बॉन्ड को 10,000 करोड़ रुपये तक बढ़ाने पर विचार करेगी।

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एक रिपोर्ट के मुताबिक यह फंड क्रेडिट ग्रोथ के लिए काम आएगा और एसबीआई को इस तरह के बॉन्ड जारी कर जुटाए गए फंड के लिए किसी वैधानिक तरलता अनुपात या कैश रिजर्व रेशियो को बनाए रखने की जरूरत नहीं होगी। इन नोटों के माध्यम से जुटाई गई धनराशि प्राथमिकता-क्षेत्र के ऋण लक्ष्यों को पूरा करने में भी मदद करेगी।

क्या है एसबीआई का प्लान

SBI ने कहा कि FY23 के दौरान पब्लिक इश्यू या प्राइवेट प्लेसमेंट के जरिए इन्फ्रास्ट्रक्चर बॉन्ड को 10,000 करोड़ रुपये की राशि तक बढ़ाना होगा। पिछले साल दिसंबर में SBI ने अपने पहले इंफ्रास्ट्रक्चर बॉन्ड इश्यू के जरिए 10,000 करोड़ रुपये जुटाए थे। नवंबर 2022 में, एसबीआई के अध्यक्ष दिनेश कुमार खारा ने कहा था कि चालू वित्त वर्ष में 14%-16% की ऋण वृद्धि की उम्मीद है। बैंक के पास 2.4 लाख करोड़ की सावधि ऋण पाइपलाइन है। बुनियादी ढांचे, नवीकरणीय और सेवाओं जैसे क्षेत्रों से लोन की मांग अधिक हो रही है।

दिसंबर के धन उगाहने के अलावा, बैंक ने सितंबर में बेसल III-अनुरूप अतिरिक्त टियर I स्थायी बॉन्ड के माध्यम से 6,872 करोड़ और उसी महीने में 7.57 प्रतिशत कूपन पर 15-वर्षीय टियर II बॉन्ड के माध्यम से 4000 बिलियन रुपये भी जुटाए। आपको बता दें कि भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने कहा कि SBI, ICICI बैंक और HDFC बैंक जैसे निजी क्षेत्र के उधारदाताओं के साथ घरेलू व्यवस्थित रूप से महत्वपूर्ण बैंक (D-SIB) या संस्थान बने हुए हैं।

डी-एसआईबी के रूप में लिस्ट है एसबीआई

एसआईबी को ऐसे बैंक के रूप में माना जाता है जो 'टू बिग टू फेल (टीबीटीएफ)' है। टीबीटीएफ का मतलब यह है कि किसी संकट के समय इन बैंकों की सरकार मदद करेगी। इस वजह से इन बैंकों को फंडिंग मार्केट में कुछ फायदे मिलते हैं। आरबीआई ने 2015 और 2016 में एसबीआई और आईसीआईसीआई बैंक को डी-एसआईबी के रूप में घोषित किया था। 31 मार्च, 2017 तक बैंकों से एकत्र किए गए आंकड़ों के आधार पर एचडीएफसी बैंक को भी डी-एसआईबी के रूप में वर्गीकृत किया गया था। मौजूदा अपडेट 31 मार्च, 2022 तक बैंकों से जुटाए गए डेटा पर आधारित है।

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