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    घरेलू नुस्खों से नहीं, साइंस और डर्मेटोलॉजी से मिल रही है बालों को नई जिंदगी

    Updated: Fri, 26 Dec 2025 12:09 PM (IST)

    आजकल न्यूट्रिशन, स्ट्रेस और हार्मोनल बदलावों के कारण शहरों में हेयर फॉल आम है। महिलाएं घरेलू नुस्खों से राहत न मिलने पर क्लिनिकल इलाज की तरफ जा रही है ...और पढ़ें

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    नई दिल्ली। हेयर फॉल (Hair fall) की शुरुआत किसी बड़े संकट की तरह नहीं होती। यह बहुत खामोशी से शुरू होता है। तकिए पर कुछ एक्स्ट्रा बाल, मांग का थोड़ा चौड़ा होना, या हेयरलाइन का वैसा न दिखना जैसा पहले दिखा करता था। कोलकाता की ऐनी (28) और दिल्ली की भावना (40) के लिए, ये छोटे-छोटे संकेत धीरे-धीरे बड़ी चिंता में बदल गए। उनकी कहानी आज की उन तमाम भारतीय महिलाओं की कहानी है जो कम उम्र में ही हेयर लॉस का सामना कर रही हैं।

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    डर्मेटोलॉजी स्टडीज बताती हैं कि आजकल न्यूट्रिशन, स्ट्रेस और हार्मोनल बदलावों के कारण शहरों में क्रोनिक हेयर फॉल और बालों का पतला होना आम होता जा रहा है (Messenger & Sinclair, 2006; Salecha et al., 2024)। और कई दूसरों की तरह, इन दोनों महिलाओं ने भी क्लीनिकल इलाज की तरफ जाने से पहले, शुरुआत में घरेलू नुस्खे और तरह-तरह के तेल आजमाए।

    जब घरेलू नुस्खे काम करना बंद कर दें

    ऐनी और भावना, दोनों का कहना है कि हेयर फॉल के शुरुआती लक्षण साफ़ थे।
    ऐनी को याद है जब वह शैम्पू कर रही थीं और उनके हाथ में बालों का गुच्छा आ गया। वह कहती हैं:
    "अंदर से अजीब सा फील होता है कि आखिर ये हो क्या रहा है? और अब मैं क्या try करूँ? मैंने इंटरनेट पर मिलने वाला हर किचन रेमेडी (kitchen remedy) आजमाया, लेकिन किसी से कुछ फर्क नहीं पड़ा। वो इलाज के लिए बने ही नहीं हैं, वो सब बहुत सामान्य नुस्खे हैं।"

    भावना भी इसी तरह की उलझन में फंसी थीं। वह याद करती हैं:
    "बाल धोने के बाद कंघी में ढेर सारे बाल दिखते थे। मैंने करी पत्ता, प्याज का रस... सब try किया, पर कुछ नहीं बदला।" भावना कहती हैं कि करीब एक महीने तक वह "तगड़े कन्फ्यूजन" में थीं कि कौन सा हेयर सीरम (hair serum) उनके लिए सही रहेगा।

    इनका अनुभव डर्मेटोलॉजिस्ट्स की उस चेतावनी को सही साबित करता है कि भले ही घरेलू नुस्खे सुरक्षित लगते हैं, लेकिन वे क्रोनिक हेयर फॉल का इलाज शायद ही कभी कर पाते हैं। (Shams et al., 2023)

    साइंस-बेस्ड सॉल्यूशंस की तरफ बढ़ता भरोसा
    इन दोनों महिलाओं ने जो फैसला लिया, वो रातों-रात नहीं हुआ, बल्कि थकान की वजह से हुआ। महीनों तक घर पर एक्सपेरिमेंट्स और स्किन डॉक्टर्स के चक्कर लगाने के बाद, ऐनी ने खुद ही फार्मास्युटिकल-ग्रेड (pharmaceutical-grade) सॉल्यूशंस के बारे में रिसर्च शुरू की। तभी उन्हें ऑनलाइन सर्च में Bontress के बारे में पता चला।

    ऐनी कहती हैं-
    "मैं किसी जानी-मानी फार्मास्युटिकल कंपनी का प्रोडक्ट ढूंढ रही थी। कुछ ऐसा जो स्टैंडर्ड हो, जो वाकई ट्रीटमेंट के लिए बना हो।" फैसला लेने से पहले उन्होंने इंग्रीडिएंट लिस्ट चेक की, गूगल पर क्रॉस-चेक किया और रिव्यूज पढ़े।

    भावना के लिए, उनकी कज़िन ने सबसे पहले Bontress Pro+ का जिक्र किया था। भावना बताती हैं:
    "उसने मुझे बताया कि इसमें साइंटिफिक इंग्रीडिएंट्स हैं जो ग्रोथ में मदद करते हैं।" Nykaa पर रिव्यूज पढ़ने के बाद उनका भरोसा और पक्का हो गया: "लोगों ने लिखा था कि उन्हें 'बेबी हेयर' (नये बाल) दिख रहे हैं और उनका हेयर फॉल कम हुआ है। इससे मुझे तसल्ली मिली।"
    ये फैसले बताते हैं कि जैसे-जैसे क्रोनिक हेयर फॉल आम होता जा रहा है, महिलाएं डर्मेटोलॉजी-आधारित फॉर्मूलेशन चुन रही हैं—जिनमें पेप्टाइड्स और अमीनो एसिड्स होते हैं जो बालों की जड़ों (follicles) को फिर से जान देते हैं।

    जब बदलाव धीरे-धीरे नज़र आता है

    दोनों को किसी चमत्कार की उम्मीद नहीं थी। साइंस भी यही कहता है: हेयर फॉल को स्थिर होने में आमतौर पर 6-8 सप्ताह लगते हैं, जबकि नए बाल दिखने में कम से कम तीन महीने (Vañó-Galván et al., 2015)।

    ऐनी के लिए, बदलाव की शुरुआत माथे के पास पतले 'बेबी हेयर्स' के रूप में हुई।
    "मेरी मम्मी ने कहा, 'तुम्हारे तो बहुत सारे बेबी हेयर आ रहे हैं। तब मुझे लगा कि फाइनली कुछ काम कर रहा है।" उन्होंने हर रात बिना चूके (without fail) Bontress लगाया—ऐसी निरंतरता जिसे डर्मेटोलॉजिस्ट्स इलाज के लिए बहुत जरूरी मानते हैं।

    भावना का टर्निंग पॉइंट भी कुछ ऐसा ही था। वह मानती हैं:

    "डेढ़ महीने बाद, मुझे बेबी हेयर दिखे, पर मुझे पक्का यकीन नहीं था। तो पार्लर में मैंने उस लड़की से चेक करने को कहा। उसने कहा, 'हां, बेबी हेयर आ रहे हैं।' वो एक अच्छा संकेत था।" उन्होंने यह भी नोटिस किया कि बाल गिरना कम हो गया है—"कंघी में अब कम बाल आते थे।" इसे हेयर साइकिल के स्थिर होने का पहला संकेत माना जाता है।

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    स्वीर: Bontress Pro+ के साथ भावना की हेयर ग्रोथ जर्नी

    वो इमोशनल बदलाव जिसकी बात कोई नहीं करता

    बायोलॉजी से परे, दोनों महिलाओं ने एक गहरा आंतरिक बदलाव महसूस किया। ऐनी रिजल्ट दिखने से पहले के तनाव को याद करते हुए कहती हैं:
    "जब इसने काम करना शुरू किया, तब जाकर मैं चैन की नींद सो पाई। उससे पहले तो मुझे बहुत चिंता रहती थी।"
    भावना को याद है कि कोई भी सीरम खरीदने से पहले उन्हें डर लगता था।

    "ये सब महँगे होते हैं। आप पैसे खर्च करें और रिज़ल्ट न मिले, ये कोई नहीं चाहता। Bontress एक जुए (gamble) जैसा लगा था। लेकिन जब बदलाव दिखे, तो बहुत राहत मिली।" इनकी कहानियां बताती हैं कि हेयर फॉल हमारी मेंटल हेल्थ पर कितना गहरा असर डालता है, जिसकी चर्चा अक्सर डॉक्टरी बातचीत में नहीं होती।

    ये कहानियां एक बड़े ट्रेंड (Trend) की ओर इशारा करती हैं

    जैसे-जैसे अधिक भारतीय महिलाएं हेयर फॉल का सामना कर रही हैं, एक 'बिहेवियरल शिफ्ट' देखने को मिल रहा है: अब लोग DIY नुस्खों और इन्फ्लुएंसर्स की सलाह को छोड़कर, क्लिनिकली-प्रूवन और फार्मास्युटिकल-ग्रेड विकल्पों (जैसे Bontress) की तरफ बढ़ रहे हैं। ये फैसले मार्केटिंग से नहीं, बल्कि रिसर्च और एक भरोसेमंद समाधान की चाहत से लिए जा रहे हैं।

    जैसा कि ऐनी कहती हैं:
    "इलाज वाली चीज़ें वक्त लेती हैं। जादू जैसा कुछ नहीं होता। पर अगर ये ट्रीटमेंट के लिए बना है, तो काम ज़रूर करेगा।"
    और दूसरों के लिए भावना की सलाह भी यही है: "पैनिक मत करो। कुछ ऐसा चुनो जो बालों की साइंस पर काम करता हो।"

    इनके अनुभव बताते हैं कि असली 'रीग्रोथ' (regrowth) बहुत ड्रामेटिक नहीं होती। यह धीरे से आती है—कंघी में कम बाल, हेयरलाइन का बेहतर होना, और मन की शांति। और आज कई महिलाओं के लिए, यही प्रोग्रेस काफी है।