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    Bihar Police: रिपोर्ट नहीं देने पर रामनगर थाना प्रभारी के वेतन पर रोक, कोर्ट के एक्शन से विभाग में हड़कंप

    Updated: Wed, 24 Sep 2025 03:46 PM (IST)

    बगहा में अपर सत्र न्यायाधीश ने रामनगर थाना प्रभारी द्वारा एक मामले की रिपोर्ट समय पर पेश न करने पर उनके वेतन पर रोक लगा दी है। न्यायालय ने 17 अक्टूबर तक रिपोर्ट जमा करने का आदेश दिया है। यह मामला अप्रैल में आठ युवकों की गिरफ्तारी से जुड़ा है जहां पुलिस ने हथियार और मोबाइल जब्त किए थे और रिपोर्ट पेश न करने से न्यायिक प्रक्रिया बाधित हुई।

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    रिपोर्ट नहीं देने पर रामनगर थाना प्रभारी के वेतन पर रोक

    संवाद सहयोगी, बगहा। अपर सत्र न्यायाधीश चतुर्थ मानवेन्द्र मिश्र की अदालत ने बुधवार को रामनगर थाना कांड संख्या 227/25 से जुड़ी रिपोर्ट समय पर न्यायालय में प्रस्तुत नहीं करने पर रामनगर थाना प्रभारी के वेतन पर रोक लगाते हुए आदेश जारी किया है कि जब तक उक्त मामले से संबंधित रिपोर्ट न्यायालय में प्रस्तुत नहीं की जाती, तब तक वेतन भुगतान नहीं किया जाए।

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    साथ ही यह निर्देश भी दिया गया कि यह रिपोर्ट आगामी 17 अक्टूबर से पहले न्यायालय में जमा की जाए, ताकि मामले की सुनवाई आगे बढ़ सके।

    उल्लेखनीय है कि 23 सितंबर को न्यायालय में जब्त मोबाइल को मुक्त कराने के लिए आवश्यक कागजात प्रस्तुत किए गए थे।

    सुनवाई के दौरान यह जानकारी सामने आई कि इस मामले में रामनगर थाना प्रभारी से रिपोर्ट की मांग की गई थी, लेकिन दो निर्धारित तिथियां बीत जाने के बावजूद रिपोर्ट उपलब्ध नहीं कराई गई। इससे मोबाइल की रिहाई नहीं हो सकी और न्यायिक प्रक्रिया बाधित हो गई।

    क्या था मामला?

    रामनगर थाना क्षेत्र के भुवनेश्वर चौक के पश्चिम आम के बगीचे के पास 16 अप्रैल को पुलिस ने छापेमारी कर आठ युवकों को पिस्टल, गोली और मोबाइल के साथ गिरफ्तार किया था। गिरफ्तारियों के बाद रामनगर थाने में पदस्थ प्रशिक्षु दारोगा राजीव साफी के बयान पर मामला दर्ज किया गया। जांच अधिकारी शैलेन्द्र कुमार ने सभी आरोपियों को जेल भेजते हुए घटनास्थल से बरामद हथियार और मोबाइल को जब्त कर थाने में सुरक्षित रखा था।

    जब्त मोबाइल को मुक्त कराने के लिए 22 अगस्त को अदालत में बचाव पक्ष के अधिवक्ता कमाल अख्तर कागजात दाखिल किए थे। जिसके बाद रिपोर्ट की मांग की गई थी। बगहा एसपी ने 19 जुलाई को ही रामनगर थाना प्रभारी को रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया था, लेकिन पालन नहीं हुआ। एसपी के आदेश को भी थानाध्यक्ष नहीं माने।

    इस लापरवाही पर न्यायालय ने नाराजगी जताते हुए पुलिस अधीक्षक बगहा को यह निर्देश दिया कि संबंधित थाना प्रभारी का वेतन जीवन निर्वाह भत्ता छोड़कर न्यायिक आदेश के अनुपालन तक रोक दिया जाए और अदालती आदेश से न्यायालय को अवगत कराने का निर्देश भी दिया है।