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    बिहार में वीटीआर के पास बाघ ने एक और चरवाहे को मार डाला, गांगुली नदी के किनारे मिला शव

    Updated: Sat, 04 Oct 2025 03:29 PM (IST)

    वाल्मीकि टाइगर रिजर्व के गोबर्धना वन क्षेत्र में बाघ ने गांगुली नदी के किनारे एक चरवाहे भजन मांझी को मार डाला। यह घटना उस समय हुई जब वह अपने मवेशियों को चरा रहा था। पिछले 22 दिनों में बाघ ने तीन चरवाहों को मारा है जिससे ग्रामीणों में दहशत है। वन विभाग ने लोगों से सतर्क रहने की अपील की है।

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    वीटीआर के गोबर्धना जंगल से करीब 100 मीटर दूर घटी घटना I सौ. आर्काइव

    संवाद सूत्र, जागरण, गौनाहा (पश्चिम चंपारण)। वाल्मीकि टाइगर रिजर्व के गोबर्धना वन प्रक्षेत्र से निकाल कर बनहवा मटियरिया गांव के सरेह में शुक्रवार की शाम पांच बजे के आसपास बाघ ने एक चरवाहे पर हमला कर उसकी जान ले ली है। घटना गांगुली नदी किनारे की है, जहां ग्रामीण भैंस चरा रहा था।

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    मृतक की पहचान गांव निवासी भजन मांझी (41) के रूप में हुई है। जानकारी के अनुसार, शाम करीब पांच बजे वह अपने मवेशियों को लेकर नदी किनारे गया था। उसी दौरान झाड़ियों में छिपा बाघ अचानक दहाड़ते हुए बाहर निकला और चरवाहे पर टूट पड़ा। हमले के दौरान भैंस किसी तरह भागकर गांव में लौट आई।

    जब देर शाम तक भजन मांझी घर नहीं पहुंचे तो परिजन और ग्रामीणों ने खोजबीन शुरू की। सूचना पर वन विभाग की टीम भी मौके पर पहुंची। देर रात करीब 9:30 बजे नदी किनारे झाड़ियों से शव बरामद किया गया। शव को पुलिस ने कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है।

    रेंजर मुमताज अहमद ने बताया कि बाघ की गतिविधि को ट्रैक किया जा रहा है। उन्होंने ग्रामीणों से अपील की है कि वे जंगल के किनारे न जाएं और सतर्क रहें। बावजूद इसके कई लोग चेतावनी को नजरअंदाज कर रहे हैं, जिससे खतरा और बढ़ सकता है।

    22 दिनों में बाघ ने तीन चरवाहों को मार डाला

    संवाद सूत्र, जागरण गौनाहा: गौनाहा क्षेत्र में बाघ का आतंक लगातार बढ़ता जा रहा है। पिछले 22 दिनों में तीन चरवाहों की जान जाने से ग्रामीणों में भय और असुरक्षा की भावना गहराती जा रही है। बताया जा रहा है कि बाघ अब तक दो गायों और दो बकरियों को भी अपना शिकार बना चुका है।

    बावजूद इसके लगातार हो रही घटनाओं के बाद भी लोग जंगलों के आसपास मवेशी चराने या वहां किसी काम से जाने में सतर्कता नहीं बरत रहे हैं। वन विभाग की टीम लगातार ट्रैकिंग में जुटी हुई है। बारिश और कठिन परिस्थितियों के बावजूद अधिकारी और वनकर्मी नदी किनारों और आसपास के इलाकों में बाघ की गतिविधियों पर नज़र रख रहे हैं।

    विभाग द्वारा गांव-गांव लोगों को सतर्क रहने और जंगल के नजदीक न जाने की अपील की जा रही है। इसके बावजूद कुछ ग्रामीण मवेशियों की देखभाल के लिए जोखिम उठाकर बाहर निकल रहे हैं। स्थानीय लोगों का अनुमान है कि यह वही बाघ हो सकता है, जिसने पहले सोनबरसा, सोफा मंदिर और गांगुली नदी के पास हमला किया था।

    इन तीनों घटनाओं में बाघ शिकार बनाने के बाद आसानी से जंगल में चला गया, क्योंकि ये तीनों घटनाएं जंगल से 100- 150 मीटर की दूरी पर घटी थी।