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    उदयपुर सरैयामन को रामसर आर्द्रभूमि सूची में शामिल, बनेगा ईको-पर्यटन का नया केंद्र

    Updated: Sun, 28 Sep 2025 03:20 PM (IST)

    केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने उदयपुर सरैया मन को रामसर आर्द्रभूमि सूची में शामिल किया है जिससे इसके संरक्षण और विकास को वैश्विक मान्यता मिलेगी। एक दशक से चल रहे प्रयासों के बाद जल की गुणवत्ता में सुधार के कारण यह संभव हो पाया है। यह झील जो 319 हेक्टेयर में फैली है पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बनेगी।

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    पेेज तीन टॉप : उदयपुर सरैया मन के रामसर सूची में शामिल होने से संरक्षण के लिए मिलेगा विशेष पैकेज

    शशि कुमार मिश्र, बेतिया। केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की ओर से उदयपुर सरैया मन को रामसर आर्द्रभूमि की सूची में शामिल किया गया है। इस सूची में शामिल किए जाने के बाद इस ओर केवल देश ही नहीं बल्कि आर्द्र भूमि पर काम कर रही अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं एवं संगठनों का भी ध्यान रहेगा।

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    इसे विकसित एवं संरक्षित करने की दिशा मेंं सरकारी एवं गैर सरकारी संगठनों का सहयेाग प्राप्त होगा। इस क्षेत्र में किसी भी तरह की गड़बड़ी और क्षेड़छाड़ की स्थिति में उनके विरुद्ध विश्व स्तरीय सहयोग प्राप्त होगा।

    इस सूची में शामिल करने के लिए इस वर्ष के जनवरी एवं मई माह में रामसर मान्यता प्रदाई टीम आई थी। उसकी रिपोर्ट के आधार पर मंत्रालय ने इसे शमिल किया है। यह पहल पिछले एक दशक से की जा रही थी, लेकिन सरैयामन के जल की गुणवत्ता ठीक नहीं होने के चलते यह संभव नहीं हो पा रहा था।

    पिछले वर्ष यहां के जलीय खरपतवारों की सफाई कर इसकी गुणवत्ता सुधारी गई। वर्तमान में इसकी गहराई 50 फीट से अधिक है।

    इस स्थल को पर्यटकों के लिए खोलने का इंतजार

    पश्चिम चंपारण जिले के बैरिया प्रखंड में स्थित उदयपुर सरैयामन को ईको पर्यटन के तहत विकसित किया गया है। इसे 1978 में संरक्षित क्षेत्र घोषित किया गया था। सरैयामन 319 हेक्टेयर क्षेत्र में विस्तृत है। यह प्राकृतिक गोखुर झील बुढ़ी गंडक नदी के दक्षिण हिस्से में स्थित है।

    लकड़ी का व्याख्यान केंद्र बनाया गया

    इस झील में विभिन्न तरह के फ्लोरा एवं फाउना पाए जाते हैं। 100 प्रजाति की पक्षियां, जिसमें आधा दर्जन प्रवासी, 12 प्रजातियो की मछलियां, 43 तरह के जू प्लांग्टन इस झील की प्रमुख विशेता है। यह झील चारो ओर से जंगल से घिरा है। सभी को लेकर इसका क्षेत्र 887 वर्ग हेक्टेयर है।

    अब कई तरह की पर्यटकीय सुविधाओं के साथ इसे पर्यटकों के लिए खोलने की तैयारी है। हाल में यहां लकड़ी का व्याख्यान केंद्र (लकड़ी का मंच)बनाया गया है, यह सबसे बड़ा पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र्र होने वाला है। 30 लोगों के बैठने की क्षमता वाला यह सेंटर लकड़ी से बना है।

    देश का पहला व्याख्यान केंद्र

    वन विभाग की ओर से इसे लकड़ी का बना हुआ देश का पहला व्याख्यान केंद्र बताया जा रहा है। इसमें बच्चों को पारिस्थितिकी तंत्र, जंगल व जीव-जंतुओं के बारे में जानकारी दी जाएगी। यहां बच्चों को प्राकृतिक वन और आर्द्रभूमि के स्वरूप की जानकारी देकर पशु पक्षियों के आवास और पर्यावरण संरक्षण के बीच जीवन के प्रति संवेदनशील बनाने की पहल होगी।

    बच्चे और सैलानी इस पक्षी अभ्यारण्य में आने वाले कई तरह की प्रजातियों के रंग-बिरंगे प्रवासी पक्षियों को नजदीक से देख सकेंगे। इसके लिए एक समानांतर प्लेटफार्म तैयार कराया गया है, लेकिन अब भी पर्यटकों के लिए नहीं खोला जा सका है।

    डीएफओ पंकज कुमार के अनुसार इसे पर्यटकों के लिए खोले जाने के बाद वीटीआर में आने वाले पर्यटक भी इसका लाभ ले सकेंगे।

    क्या है रामसर साइट

    ईरान में रामसर में एक शहर है, जहां आर्द्र भूमि पर एक सम्मेलन हुआ था। यह सम्मेलन यूनेस्को द्वारा 1971 में स्थापित अंतर सरकारी पर्यावरण संधि है, जो 1975 में लागू हुई थी। इसके तहत किसी जलीय क्षेत्र को अंतर्राष्ट्रीय महत्व का दर्जा दिया जाता है।

    अब दुनिया के किसी भी हिस्से में आर्द्रभूमि पर सम्मेलन या काई गतिविधि होती है,तो इसकी सूचना यहां के प्रबंधन को दी जाएगी।