Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck

    गंडक नदी के गर्भ में मिला जीवंत शालिग्राम, देश और विदेशों में नाम

    By JagranEdited By:
    Updated: Tue, 25 Dec 2018 10:19 PM (IST)

    वाल्मीकिनगर,(विवेक कुमार) : हिमालय से निकली पवित्र गंडक नदी के गर्भ में जीवित शालिग्राम पाए जाते हैं । इस पत्थर को साक्षात विष्णु का स्वरूप माना गया है।

    गंडक नदी के गर्भ में मिला जीवंत शालिग्राम, देश और विदेशों में नाम

    बगहा। वाल्मीकिनगर,(विवेक कुमार) : हिमालय से निकली पवित्र गंडक नदी के गर्भ में जीवित शालिग्राम पाए जाते हैं । इस पत्थर को साक्षात विष्णु का स्वरूप माना गया है। शालिग्राम का धार्मिक महत्व होने के कारण देश विदेश में इसकी डिमांड है। शास्त्रों के मुताबिक भारत मे दो ही संगम है। इनमें पहला प्रयागराज और दूसरा वाल्मीकिनगर त्रिवेणी संगम। विश्व में कहीं भी अन्यत्र शालिग्राम नहीं पाए जाते। वाल्मीकि रामायण में वर्णित सोनभद्र, ताम्रभद्र एवं नारायणी के पवित्र मिलन को त्रिवेणी संगम कहा गया है। इस दुर्लभ काले पत्थर पर चक्र, गदा आदि के प्राकृतिक निशान होते हैं। शिवपुराण के अनुसार भगवान विष्णु ने खुद ही गंडकी नदी में अपना वास बताते हुए कहा है कि नदी में रहने वाले कीड़े अपने तीखे दांतों से काट-काटकर उस पाषाण में मेरे चक्र का चिह्न बनाएंगे और इसी कारण इस पत्थर को मेरा रूप मान कर उसकी पूजा की जाएगी।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    -------------------------------------------------

    धार्मिक ²ष्टकोण से बेहद महत्वपूर्ण हैं शालिग्राम :-

    पंडित सत्यानंद मिश्र ने बताया कि शिवपुराण के मुताबिक दैत्यों के राजा शंखचूड़ की पत्नी का नाम तुलसी था। तुलसी के पतिव्रत के कारण देवता भी उसे हरने में असमर्थ थे। तब भगवान विष्णु ने छल से तुलसी की पतिव्रत को भंग कर दिया। जब यह बात तुलसी को पता चली तो उसने भगवान विष्णु को पत्थर बन जाने का श्राप दिया। भगवान विष्णु ने तुलसी का श्राप स्वीकार कर लिया और कहा कि तुम धरती पर गंडकी नदी तथा तुलसी के पौधे के रूप में सदा मौजूद रहोगी। नारायणी नदी की महिमा अपरंपार है। यहां से निकलने वाले पत्थर को शालिग्राम कहते हैं। ऐसी मान्यता है कि शालिग्राम शिला के स्पर्शमात्र से करोड़ों जन्मों के पाप का नाश हो जाता है।

    ---------------------------------------------------

    काले शालिग्राम का है विशेष महत्व :-

    जानकारों की मानें तो शालीग्राम काली और चिकनी हो तो उत्तम है। यदि उसकी कालिमा कुछ कम हो तो वह मध्यम श्रेणी की मानी जाती है। यदि उसमें दूसरे किसी रंग का सम्मिश्रण हो तो वह मिश्रित फल प्रदान करने वाली होती है। सनातन धर्म में ईश्वर का वास कण-कण में माना गया है। संसार के संहारक शिव को ¨लग के रूप में पूजने की परंपरा है। उसी तरह संसार के पालनकर्ता विष्णु को शालीग्राम रूप में पूजा जाता है। विष्णु का पूजन जिस विशेष पत्थर के रूप में होता है, वह शालीग्राम है । अधिकांशत: यह काले रंग में पाया जाता है। लेकिन सफेद, नीले और ज्योति स्वरुप में भी यह मिल जाते हैं।

    ----------------------------------------------------------

    शालिग्राम को माना गया है भगवान शिव का रूप :-

    शालिग्राम को शिव¨लग का एक अन्य रूप माना गया है। पुराणों की मान्यता के अनुसार शालिग्राम को जहां भगवान विष्णु का प्रतीक माना जाता है। वहीं शिव¨लग भगवान शिव का प्रतीक होता है। शालिग्राम भी शिव¨लग की तरह दुर्लभ होता है। अधिकांश शालिग्राम नेपाल के गण्डकी नदी के तट पर पाया जाता है। ऐसी मान्यता है कि जिस घर में शालिग्राम का पूजन होता है, उस घर में लक्ष्मी का सदैव वास रहता है।

    -----------------------------------------------------

    33 प्रकार के होते हैं शालिग्राम :-

    शालिग्राम पत्थर मुख्यत: 33 प्रकार के होते हैं। जिनमें से 24 प्रकार शालिग्राम को विष्णु के 24 अवतार माना गया है। माना जाता है कि ये सभी 24 शालिग्राम वर्ष की 24 एकादशी व्रत से संबंधित है। शालिग्राम को भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है। इसमें भगवान विष्णु के दस अवतार समाहित हैं। पुराणों के अनुसार जिस घर में शालिग्राम स्थापित हो, वह घर समस्त तीर्थों से भी श्रेष्ठ माना गया है। जो व्यक्ति निरंतर शालिग्राम शिला का जल से अभिषेक करता है, वह संपूर्ण दान के पुण्य तथा पृथ्वी की प्रदक्षिणा के उत्तम फल का अधिकारी बन जाता है। मृत्युकाल में इनके चरणामृत का जलपान करने वाला समस्त पापों से मुक्त होकर विष्णुलोक चला जाता है। जिस घर में शालिग्राम का नित्य पूजन होता है उसमें वास्तु दोष और बाधाएं स्वत: समाप्त हो जाती है। पुराणों के अनुसार श्री शालिग्राम जी का तुलसीदल युक्त चरणामृत पीने से भयंकर से भयंकर विष का भी तुरंत नाश हो जाता है।

    --------------------------------------------------------------