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    Diwali 2023 : असली और नकली मिठाई कैसे पहचानें? इस तरीके से मिनटों में ही हो जाएगा दूध का दूध और पानी का पानी

    By Shashi MishraEdited By: Rajat Mourya
    Updated: Mon, 06 Nov 2023 04:54 PM (IST)

    Real Vs Fake Mithai त्योहारी सीजन में मिठाई की डिमांड काफी बढ़ जाती है। लोग बाजारों से मिठाई खरीदते हैं और उनका आनंद उठाते हैं। हालांकि त्योहारी सीजन में मिलावटखोर भी एक्टिव हो जाते हैं। सस्ते दामों में मिठाई बेचने के चक्कर में लोगों की सेहत से खिलवाड़ किया जाता है। ऐसे में आपको भी मिलावटी और नकली मिठाई से बचने की जरूरत है।

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    असली और नकली मिठाई कैसे पहचानें? (प्रतीकात्मक तस्वीर)

    जागरण संवाददाता, बेतिया। त्योहारों का मौसम आ गया है। दीपावली व छठ आने वाला है। इन त्योहारों में मिठाई की उपयोगिता बढ़ जाती है। बाजार में तरह-तरह की रंग बिरंगी मिठाइयां मिल रही हैं। इनमें मिलावट के साथ-साथ रंग व कैमिकल का इस्तेमाल धड़ल्ले से किया जा रहा है। मिठाई के खाने से तरह-तरह की बीमारी व फूड पॉइजनिंग का खतरा बढ़ जाता है। इससे लोगों की जान भी जा सकती है।

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    मीना बाजार निवासी हलुवाई रमेश लाल ने बताया कि मिठाई में येलो और टार्ट्राजीन कलर मिलाया जाता है। इसके मिलाने से मिठाई सुंदर दिखती है। बर्फी व अन्य सभी मिठाइयों के ऊपर चांदी के वर्क में एल्मूनियम का वर्क मिलाकर लगाया जाता है। एल्मूनियम का वर्क चांदी के वर्क से चमकदार होता है। लेकिन यह सेहत के लिए हानिकारक होता है।

    लाल बाजार निवासी सुरेश प्रसाद ने बताया कि खाद्य विभाग मिठाई दुकानों की कभी भी जांच नहीं करती है। फूड इंस्पेक्टर के जिम्मे जिले का प्रभार है। इसलिए वे सभी दुकानों की जांच नही कर पाते हैं।

    कैसे बनती हैं मिलावटी मिठाई?

    सिंथेटिक दूध, स्टार्च (अरारोट) के उपयोग से रेडिमेड रसगुल्ला बनाया जाता है। सिंथेटिक दूध, सूजी, गीला ग्लूकोज से नकली मिल्क केक तैयार किया जाता है। सिंथेटिक दूध, सूजी, आलू, शकरकंद, तेल व रंगों से नकली मावा बनाया जाता है। खोवा में कानपुरी आटा की मिलावट की जाती है। इससे बर्फी व पेड़ा सफेद दिखता है।

    असली व नकली मिठाई की कैसे करें जांच?

    दो मिठाई के अलग-अलग सैंपल लें। दोनों को अलग-अलग बर्तन में पानी गर्म करके डालें। इसके बाद दोनों बर्तनों में आयोडिन डाल दें। अगर गर्म पानी वाले बर्तन में मिठाई रंग बदलती है तो इसका मतलब है कि मिठाई मिलावटी है। अगर रंग नहीं बदलती है तो मिठाई ठीक है। मिठाई हाथ में लेने पर हाथ में रंग लग लग जाता है। मिठाई में लगे चांदी के वर्क को रगड़े। मिठाई से अलग हो गया तो यह चांदी का वर्क सही है।

    मिलावटी खाद्य सामग्री बेचने पर क्या है सजा का प्रावधान?

    खाद्य सुरक्षा मानक कानून 2006 के तहत मिलावटी खाद्य सामग्री की बिक्री पर सेक्शन 59 के तहत अधिकतम 07 साल की कारावास की सजा का प्रावधान है। वहीं व्यापारी पर 10 लाख रुपये तक जुर्माना भी लगाया जा सकता है।

    बाजार में बिक रही रंग बिरंगी मिठाई खाने से उल्टी, दस्त, मिचली, बुखार की समस्या हो सकती है। इसके खाने से फुड प्वाइजनिंग का खतरा बढ़ सकता है। हालत ज्यादा गंभीर होने पर पानी की कमी हो सकती है। इलाज में देरी होने पर जान भी जा सकती है। मिठाई के ऊपर लगने वाली चांदी के वर्क में एल्मूनियम मिलाने पर कैंसर, फेफड़े और दिमाग की बीमारी हो सकती है। इसलिए घर पर बनी मिठाई का सेवन करना चाहिए। बाजार की मिठाई कम से कम इस्तेमाल करना चाहिए। - डॉ. अमिताभ चौधरी, फिजिशियन, बेतिया

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