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    West Champaran: मजदूर से लखपति बनीं गीता, सालभर में करती हैं लाखों की कमाई

    Updated: Fri, 18 Jul 2025 04:50 PM (IST)

    पश्चिम चंपारण के नरकटियागंज की गीता देवी जीविका योजना से जुड़कर लखपति बन गईं। कभी मजदूरी करने वाली गीता देवी आज अपनी नर्सरी चला रही हैं जिससे उन्हें सालाना दो से तीन लाख रुपये की आय हो रही है। जीविका समूह से जुड़ने के बाद उन्हें आर्थिक मदद मिली और उन्होंने नर्सरी शुरू की जिसमें दो अन्य महिलाओं को भी रोजगार मिला है।

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    नर्सरी से मजदूर से लखपति बनीं गीता देवी। जागरण फोटो

    राहुल वर्मा, नरकटियागंज। जीविका के स्वरोजगार योजना का लाभ लेकर प्रखंड सोमगढ़ गांव निवासी रविंद्र सिंह की पत्नी गीता देवी लखपति बन गई हैं। लोगों के खेतों में मजदूरी कर परिवार का भरण पोषण करने वाले दंपती अभी खुद की नर्सरी का संचालन कर रहे हैं।

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    इनकी नर्सरी में गांव की दो महिलाओं को भी रोजगार मिला है। गीता देवी बताती है कि कभी घोर गरीबी से जूझ रही थीं। अब सालाना दो से तीन लाख रुपये की आय हो रही हैं। उनका यह प्रेरणादायी सफर जीविका समूह से जुड़ने के बाद ही संभव हो पाया।

    गरीबी से जूझ रही थीं गीता देवी

    गीता देवी बताती हैं कि उनका परिवार बेहद गरीब था। पति रविंद्र सिंह के साथ उन्हें बच्चों की शिक्षा और घर के खर्चों के लिए मजदूरी करनी पड़ती थी। जीवन की इन कठिनाइयों से जूझते हुए एक दिन उनकी मुलाकात जीविका समूह की दीदियों से हुई। उन्होंने अपनी आपबीती सुनाई।

    जिसके बाद जीविका दीदियों ने उन्हें समूह में शामिल होने की सलाह दी। जीविका से जुड़ने के बाद गीता देवी नियमित रूप से समूह की बैठकों में हिस्सा लेने लगी। एक दिन सामुदायिक समन्वयक ने उन्हें स्वरोजगार के रूप में नर्सरी खोलने का सुझाव दिया।

    गीता देवी ने इस अवसर को हाथ से जाने नहीं दिया और इसके लिए तैयार हो गईं। उन्हें बाकायदा प्रशिक्षण दिया गया और जीविका से मिली आर्थिक सहायता से उन्होंने अपनी नर्सरी शुरू की।

    पांच कट्ठा में फैला है नर्सरी

    जीविका की ओर से गीता देवी को पहली किस्त में 40 हजार रुपये और दूसरी किस्त में 30 हजार रुपये यानी कुल 70 हजार रुपये का आर्थिक सहयोग मिला। गीता देवी की मेहनत और जीविका के सहयोग से उन्होंने पांच कट्ठा में नर्सरी शुरू की।

    अब यह नर्सरी खूब फल-फूल रही है। यहां महोगनी, सागवान, अर्जुन, अमरूद, जामुन जैसे विभिन्न प्रकार के पौधे उपलब्ध हैं। उन्होंने कहा कि अगर मैं जीविका से नहीं जुड़ती, तो कभी आत्मनिर्भर नहीं बन पाती और अपने जीवन के स्तर में सुधार नहीं कर पाती।

    दो महिलाओं को दिया रोजगार

    गीता देवी न सिर्फ स्वयं आत्मनिर्भर हैं। बल्कि उन्होंने अपनी नर्सरी में प्रेम शिला देवी और उर्मिला देवी को भी रोजगार दिया है। जिन्हें वह प्रतिमाह छह हजार रुपये मानदेय देती हैं। सात बच्चों में से पांच बेटियों की शादी कर चुकी गीता देवी के दो बच्चे अभी भी पढ़ाई कर रहे हैं।

    गीता देवी सभी गरीब महिलाओं से अपील करती हैं कि वे जीविका से जुड़ें और अपने जीवन में खुशहाली लाएं। उनका यह सफर ग्रामीण महिलाओं के लिए आत्मनिर्भरता और सशक्तिकरण का एक जीता-जागता उदाहरण है।

    जीविका से जुड़ी दीदियों को स्वरोजगार के अवसर दिए जाते हैं। उन्हें आर्थिक सहयोग देकर आत्मनिर्भर बनाया जाता है। इन्हीं में से एक गीता देवी हैं। जिन्हें आज नर्सरी दीदी के नाम से सभी जानते हैं।  -रितेश किशोर सहाय, प्रखंड परियोजना प्रबंधक, जीविका, नरकटियागंज।

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