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    Bihar Jeevika Didi: नीतीश सरकार की शानदार योजना, हजारों महिलाओं को जीविका से मिला रोजगार; बदल रही जिंदगी

    Updated: Mon, 06 Jan 2025 02:10 PM (IST)

    बिहार सरकार महिलाओं के विकास के लिए लगातार प्रयासरत है। जीविका दीदियों को विभिन्न योजनाओं से जोड़कर स्वावलंबी बनाया जा रहा है। नरकटियागंज में लगभग 30 हजार जीविका दीदियां जुड़ी हुई हैं जिनमें से 16 हजार से अधिक दीदियों को रोजगार से जोड़ा गया है। 11500 से अधिक दीदियां लखपति बन चुकी हैं। जीविका दीदियां बकरी पालन गाय-भैंस पालन मुर्गी पालन किराना दुकान से जुड़कर अपनी आजीविका बढ़ा रही हैं।

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    सीएसपी का संचालन करती जीविका दीदी। जागरण

    संवाद सहयोगी, नरकटियागंज। महिलाओं के विकास के लिए राज्य की नीतीश सरकार लगातार काम कर रही है। इस कड़ी में जीविका दीदियों को विभिन्न योजनाओं से जोड़ा जा रहा है, ताकि उन्हें स्वावलंबी बनाया जा सके। वहीं, शराब के धंधे में लिप्त महिलाओं को जीविका से जोड़कर स्वावलंबी बनाने के लिए आर्थिक मदद भी दी जा रही है।

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    प्रखंड अंतर्गत करीब 2956 स्वयं सहायता समूह में लगभग तीस हजार दीदियां जुड़ी हुई हैं। इन दीदियों में लगभग 16,457 दीदियों को रोजगार से जोड़ा गया है। इनमें से 11,500 दीदियां लखपति बन चुकी हैं। नरकटियागंज अंतर्गत ग्रामीण सतत जीविकोपार्जन योजना से 151 दीदी एवं शहरी सतत जीविकोपार्जन योजना से 18 दीदियां रोजगार से जुड़ी हैं।

    इन कार्यों से जुड़ीं जीविका दीदियां

    इतना हीं नहीं, इनके अलावा जीविका दीदियां बकरी पालन, गाय-भैंस पालन, मुर्गी पालन, किराना दुकान, कपड़ा दुकान, श्रृंगार दुकान, ठेला व अन्य रोजगार से जुड़कर कर अपनी आजीविका को बढ़ा रही हैं। इनमें कई जीविका दीदियां बैंक का सीएसपी भी चला रही हैं। अनुमंडल अस्पताल में दीदी की रसोई से जुड़कर भी दीदियां अपने परिवार का भरण पोषण कर रही हैं। साथ ही प्रसव वार्ड समेत भर्ती आपात मरीजों की सेवा में लगी हुई हैं।

    गोखुला की ऊषा देवी ने क्या बताया?

    जीविका दीदी गोखुला की ऊषा देवी बताती हैं कि उन्हें चार बच्चे हैं। पति की आमदनी कम होने के चलते परिवार का भरण पोषण करना मुश्किल हो रहा था। तब उन्हें जीविका के बारे में किसी दूसरी दीदी से ज्ञात हुआ। इससे जुड़कर उन्होंने दस हजार रुपये लोन लिया और श्रृंगार की दुकान खोली। धीरे-धीरे लोन का भुगतान भी कर दिया और दुकान को आगे बढ़ाया।

    अब खुद दस हजार रुपये प्रतिमाह की कमाई कर रही हैं, जिससे उनके परिवार की आर्थिक व सामाजिक स्थिति में बदलाव हुआ है। ऐसी कई जीविका दीदियां है जो खुद के पैर पर खड़ी हो गई हैं। इससे उनके रहन-सहन और सामाजिक क्षेत्र में बदलाव भी देखने को मिल रहा है।

    अधिकारी ने दी जानकारी

    प्रखंड में 2,956 स्वयं सहायता समूह में लगभग तीस हजार दीदियां जुड़ी हुई हैं। इसमें 16,457 दीदियों को रोजगार से जोड़ा गया है। 11,500 दीदियां लखपति बन चुकी हैं। जीविका से जुड़कर कई दीदियां बकरी पालन, गाय-भैंस पालन, मुर्गी पालन, किराना दुकान, कपड़ा दुकान, श्रृंगार दुकान का संचालन कर रही है। आगे भी जीविका से जुड़े दीदियों को स्वावलंबी बनाने की योजना है। - रितेश किशोर सहाय, प्रखंड परियोजना प्रबंधक, नरकटियागंज

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