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    प्रखंड पर्यटन दर्शनीय बिहार : जंगल के बीच ललभितिया पहाड़ है प्रकृति का अनमोल उपहार

    Updated: Tue, 17 Sep 2024 08:59 PM (IST)

    Bihar Tourist Places बिहार के पश्चिम चंपारण जिले में वाल्मीकि टाइगर रिजर्व (वीटीआर) का जंगल पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है। यहां मंगुराहा वन क्षेत्र और पहाड़ पर फैली हरियाली बरबस ही मन मोह लेती है। ललभितिया पहाड़ से दिखने वाला सूर्योदय व सूर्यासत का दृश्य बेहद मनोरम होता है। वन्य जीवों के झुंड और उनके स्वर भी अपनी ओर खींचते हैं।

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    Bihar Tourism Places : ललभितिया पहाड़ का मनोरम दृश्य।

    सुनील आनंद, बेतिया (पश्चिम चंपारण)। यदि आप जैव विविधता से परिपूर्ण धरती पर इतिहास, प्राकृतिक सौंदर्य, अध्यात्म और आधुनिकता को करीब से निहारना चाहते हैं। अगर आपको जंगल भाते हैं, पहाड़ सकून देते हैं, नदियां दिल को खुश कर देती हैं और जंगली जानवर आपको रोमांचित करते हैं तो पश्चिम चंपारण के गौनाहा प्रखंड आइए।

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    जिला मुख्यालय बेतिया से 68 किमी दूर प्रकृति की गोद में वाल्मीकि टाइगर रिजर्व (वीटीआर) का जंगल है। इसका कुछ हिस्सा मंगुराहा वन क्षेत्र के नाम से जाना जाता है।

    यह जगह पर्यटकों के बीच हरियाली एवं सौंदर्य के कारण प्रसिद्ध है। यहां कई तरह की वनस्पति और वन्य जीव देखने को मिलेंगे।

    घास के मैदान भी यहां की विशेषता है, जिस पर चितल, सांभर, हिरण एवं नीलगाय का झुंड अलग पहचान देता है। सखुआ, सागवान, बांस के अलावा कई पेड़-पौधे इसके सौंदर्य को निखारते हैं।

    यहां औषधीय पौधों की सैकड़ों प्रजातियां हैं। बाघों के आश्रणी के रूप में यह जंगल सर्वाधिक मुफीद है। नेपाल के चितवन राष्ट्रीय निकुंज से इसकी सीमा लगती है।

    करीब 900 वर्गकिमी में फैले वीटीआर का एक हिस्सा मंगुराहा वन क्षेत्र है। अगर मौसम साफ हो तो यहां से हिमालय का स्पष्ट दीदार होता है।

    नरकटियागंज के रास्ते थोड़े-थोड़े अंतराल पर हरे रंग की सरकारी पट्टिकाएं और दिशासूचक साइनबोर्ड गांधी की चंपारण यात्रा और उनके प्रवास से जुड़े स्थलों की अहमियत का अहसास कराते हैं।

    गन्ने व धान के खेतों और बरसाती नदियों से घिरे विशुद्ध ग्रामीण परिवेश वाले इस इलाके में एक गांव है भितिहरवा। संकरी सी सड़क के किनारे बसा भितिहरवा गांव गांधीजी की चंपारण यात्रा की महान स्मृतियों को अपने सीने से संजोए है। वर्ष 1917 में गांधी जी ने स्वतंत्रता आंदोलन की अलख यहीं से जगाई थी। यहां गांधी संग्रहालय है।

    करीब दिखाई देता है हिमालय

    तमिलनाडु के कन्याकुमारी में प्रसिद्ध सनसेट व्यू प्वाइंट है। समुद्र के किनारे खड़े होकर डूबते सूर्य को देखने के लिए प्रतिदिन पर्यटक वहां पहुंचते हैं।

    वीटीआर के मंगुराहा वन क्षेत्र में स्थित ललभितिया पहाड़ से सूर्यास्त का नजारा इससे तनिक भी कम नहीं है। हरे-भरे जंगल के बीच लाल मिट्टी के पहाड़ पर चढ़कर डूबते सूरज का खूबसूरत नजारा देखने को मिलता है।

    यहां सूर्यास्त देखने का असली मजा तब आता है, जब शाम थोड़ी लंबी और आसमान साफ हो। यहां आने वाले पर्यटक पहाड़ से ही जानवरों की आवाज सुनकर रोमांचित होते हैं। यहां से हिमालय बिल्कुल करीब दिखाई देता है।

    पहाड़ के साथ पंडई नदी की खूबसूरती

    नेपाल सीमा पर स्थित भिखनाठोरी भारतीयों का सबसे पसंदीदा पिकनिक स्पाट में से एक है। यहां पंडई नदी इसे आकर्षक बनाती है। नेपाल से निकली यह नदी पत्थर लेकर आती है।

    नदी में पत्थर और रेत अद्भुत सौंदर्य को प्रदर्शित करते हैं। यहां नदी किनारे भारत और नेपाल की आस्था का केंद्र सोफा मंदिर है। इसमें भगवान शिव विराजमान हैं।

    वन, पहाड़ और तीन तरफ से नदियों से घिरे करीब 700 मीटर लंबे, 150 मीटर चौड़े करीब 70 फीट ऊंचे टीले पर सोफा मंदिर के आसपास मां दुर्गा और विष्णु की प्रतिमाएं भी कालातंर में मिल चुकी हैं।

    2017 में यहां मुख्यमंत्री नीतीश कुमार आए थे। प्रकृति के अप्रतिम सौंदर्य और आस्था के संगम को देखकर वे मुग्ध हो गए थे। मंदिर के समीप से बहती पंडई नदी को लेकर ऐसी मान्यता है कि अज्ञातवास के दौरान पांडव यहां आए थे।

    पंडई नदी में स्नान कर सोफा मंदिर में भगवान शिव की पूजा करते थे। इस वजह से इस नदी का नाम पंडई पड़ गया। पंडई वर्षा के दौरान अपनी तेज गति और कटाव के कारण जानी जाती है।

    नदी के तल में सुनहरे और कांच जैसी दिखने वाले पत्थर पाए जाते हैं। कहा जाता है कि कभी पंडई से वहां के स्थानीय लोग सोना निकालते थे।

    गौनाहा प्रखंड के उत्तरी छोर पर सुभद्रा स्थान था। इसकी गिनती शक्तिपीठों में होती है। यहां के लोग इसे महाभारत काल से भी जोड़ते हैं।

    ऐसे पहुंचें

    ट्रेन और बस मार्ग से यहां पहुंचा जा सकता है। ट्रेन से नरकटियागंज जंक्शन पर उतरने के बाद बस या आटो गौनाहा एवं मंगराहा के लिए जाती है। करीब 28 किमी दूरी है।

    नरकटियागंज से गौनाहा के लिए ट्रेन भी खुलती है। जिला मुख्यालय बेतिया से गौनाहा की दूरी करीब 60 किमी है। यहां से बस से भी जाया जा सकता है।

    वीटी आर के मंगराहा वन क्षेत्र में पर्यटकों के आवासन एवं भोजन की उत्तम व्यवस्था है। प्राइवेट होटलों से सस्ते दर में पर्यटक यहां एसी और नन एसी कमरे में रह सकते हैं। जंगल सफारी कराने के लिए वीटीआर प्रशासन की ओर से वाहन भी उपलब्ध कराया जाता है।

    खानपान

    यहां आएं तो आनंदी चावल का भूंजा का स्वाद अवश्य लें। यहां का यह मशहूर खाद्य पदार्थ है। यहां शुद्ध देसी बासमती चावल का भात, अरहर- मसूर का दाल, हरी सब्जी, शाकाहारी व्यंजन मिलता है।

    गौनाहा बाजार में कई छोटे-छोटे होटल हैं। मांसाहारी व्यंजन के लिए यह क्षेत्र प्रसिद्ध है। मटन, चिकन, मल्ली आदि आसानी से उपलब्ध रहता है।

    वीटीआर का गौनाहा प्रखंड का मंगराहा वन क्षेत्र पर्यटन के दृष्टिकोण से काफी सुंदर है । जंगली जानवर के साथ हरे-भरे पेड़-पौधे और धार्मिक पर्यटन के लिए भी महत्वपूर्ण है । यहां पर्यटकों के आवासन एवं पर्यटन के लिए विभाग की ओर से व्यवस्था की गई है। - प्रदुम्न गौरव, डीएफओ, वन प्रमंडल एक, बेतिया

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