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    प्रखंड पर्यटन दर्शनीय बिहार: यहां प्रकृति का नैसर्गिक सौंदर्य, महेर पहाड़ी पर सदाफल गूलर वन में बहते सदानीरा झरने

    Updated: Tue, 17 Sep 2024 03:23 PM (IST)

    Gaya Tourist Places बिहार का गया जिला प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर है। यहां महेर पहाड़ी पर प्रकृति की छटा देखते ही बनती है। सदाफल गूलर के घने वन और हमेशा बहने वाले झरने पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं। यही वजह है कि सैलानी यहां अपने पूरे परिवार के साथ पिकनिक मनाने के लिए यदाकदा आते रहते हैं।

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    Bihar Tourism : बिहार के गया जिले में महेर पहाड़ी का प्राकृतिक सौंदर्य।

    रवि भूषण सिन्हा, वजीरगंज (गया)। प्रकृति को अगर उसके नैसर्गिक स्वरूप में रहने दिया जाए तो गया के वजीरगंज प्रखंड की महेर पहाड़ी जैसी ही पारिस्थितिकी कायम रहती है। इस पहाड़ी का अलौकिक सौंदर्य देखना हो तो पतेड मंगरामा पंचायत के सुखा बिगहा गांव में आएं।

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    यहां सदाफल गूलर के घने वन के बीच सदानीरा झरने से निकलीं छह जलधाराएं हैं। इन धाराओं को दूर से देख सहसा ऐसा प्रतीत होगा, जैसे गूलर की जड़ें पानी उगल रही हैं।

    निकट आने पर आप पाएंगे कि यह कल कल बहता पारदर्शी मीठा जल दूर पहाड़ की चोटियों से लकीर बनाते नीचे आ रहा है।

    आप इस जल का प्रयोग पीने, पिकनिक के लिए भोजन बनाने और स्नान करने में कर सकते हैं, यह आपके तन मन को तरोताजा कर देगा।

    प्रचार प्रसार के अभाव में अभी इस स्थान के बारे में ज्यादा लोगों को जानकारी नहीं है। आवश्यकता इसके सर्वांगीण विकास व पर्यटन सुविधाओं के विस्तार की है।

    यह स्थान जिला मुख्यालय से लगभग 25 किलोमीटर पूरब दक्षिण में स्थित है। जब क्षेत्र में भीषण गर्मी पड़ती है और भूजल स्तर काफी नीचे चला जाता है तो यह झरना संकटमोचन का काम करता है।

    महेर पहाड़ी के 400 मीटर की ऊंचाई से यह झरना नीचे आता है। यहां आधा दर्जन अलग-अलग स्थानों से पानी का बहाव है। क्षेत्र में बड़ी संख्या में गूलर के पेड़ हैं।

    इन पौधों के जड़ एवं तने से होते हुए पानी बहता है। इसी कारण जलजमाव वाले क्षेत्र को ग्रामीण गुलरिया चुवां कहते हैं।

    क्षेत्र के युवा जब इस स्थान पर पिकनिक मनाने पहुचते हैं तो गूलर के पेड़ों की टहनियों पर अपना नाम लिखकर पहचान छोड़ जाते हैं।

    गया के वजीरगंज की महेर पहाड़ी का विहंगम दृश्य।

    क्षेत्र के ग्रामीण कहते हैं कि गर्मी के मौसम में जब हम बूंद-बूंद पानी के लिए तरसते हैं। उस वक्त किसी सरकारी तंत्र का तो नहीं लेकिन इन पत्थरों का दिल पसीजता है। तब इसकी धाराएं तेज हो जाती हैं।

    फिर पानी का बहाव पहाड़ के नीचे तराई तक आ जाता है, जहां से पानी लेकर हम अपनी प्यास बुझाते हैं। पशु-पक्षियों को भी चुएं से पानी मिलता है।

    जिस स्थान पर यह झरना बहता है, वह काफी रमणीक है। वर्षा ऋतु को छोड़ अन्य सभी मौसम पिकनिक मनाने के लिए श्रेयस्कर है।

    वर्षा काल में यहां आना इसलिए ठीक नहीं है कि तेज वर्षा होने पर सुरक्षित ठहराव के लिए कोई आश्रय नहीं है। यदि उसकी व्यवस्था हो जाए तो वर्षा ऋतु पिकनिक के लिए और भी आनंददायी हो जाएगी।

    लगभग दो दशक पहले तक यह क्षेत्र नक्सलियों के गढ़ के रूप में चर्चित रहा है। लोग बताते हैं कि घने जंगल एवं जमीन से काफी ऊंचाई पर शुद्ध पेयजल की सुविधा होने के कारण नक्सली इस स्थान को सुरक्षित समझ कर अपना ठिकाना बनाते थे।

    तब आम आदमी का इस क्षेत्र में प्रवेश वर्जित था। झरने वाले पहाड़ी की तराई में लंबा-चौड़ा समतल मैदान है। यदि इसे पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जाए तो मगध का सबसे सुंदर, आकर्षक और रमणीक स्थल बन जाएगा।

    इस क्षेत्र को वन एवं पर्यावरण विभाग अपनी अभिरक्षा में लिए है। वन विभाग के अधिकारी एवं कर्मचारी यहां भ्रमण करते हैं। जंगलों की सुरक्षा में लगे रहते हैं।

    महेर पहाड़ी पर झरने के निकट पिकनिक मनाने आए लोगों द्वारा गूलर के तने पर अंकित किए गए नाम।

    ऐसे पहुंचें सुखा बिगहा

    जिला मुख्यालय गया से इस स्थान पर पहुंचने के लिए दो सुगम रास्ते हैं। पहला गया-राजगीर एनएच 82 में भिंडस मोड़ से दक्षिण की ओर चल कर पतेड़ पहुंचा जा सकता है।

    दूसरा, गया-फतेहपुर मार्ग में बरतारा से उत्तर की ओर निकलने वाली सड़क से पतेड़ पहुंचकर फिर सुखा बिगहा पहुंच सकते हैं। जहां से उक्त झरने तक चढ़ाई करने के लिए सुगम रास्ता है।

    अपनी पंचायत क्षेत्र के इस छिपे रमणीक स्थल को राज्य के पटल पर लाकर विकसित करने का लगातार प्रयास कर रहे हैं। अब तक हमें सरकार का ध्यान आकृष्ट करवाने का कोई उचित मंच नहीं मिला था। दैनिक जागरण के इस प्रयास से संभवत: इस स्थान की चर्चा दूर-दूर तक जाएगी। अभी हमारे जिले के विधायक डा. प्रेम कुमार वन एवं पर्यावरण मंत्री हैं, उन्हें इस क्षेत्र का भ्रमण कर विकास की पहल करनी चाहिए। ग्रामीण सहयोग के लिए तत्पर है। - महेश कुमार सुमन, सरपंच

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