कालजयी रचनाओं के रचयिता थे कथा सम्राट मुंशी प्रेमचंद
वैशाली। सोनपुर रेल मंडल सभागार में सोमवार को कलम के सिपाही मुंशी प्रेमचंद की जयंती सादगी।
वैशाली। सोनपुर रेल मंडल सभागार में सोमवार को कलम के सिपाही मुंशी प्रेमचंद की जयंती सादगी और उल्लास के साथ मनाई गई। सबसे पहले डीआरएम अतुल्य सिन्हा ने प्रेमचंद की तस्वीर पर माल्यार्पण कर उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित किया। इस अवसर पर आयोजित संगोष्ठी में उन्होंने कहा कि प्रेमचंद विश्व के अग्रणी कथाकारों में से एक हैं। उनकी कहानियों और उपन्यासों में आम आदमी को मजबूत बना कर प्रस्तुत किया गया है। साहित्य की प्राय: हर विधा में उन्होंने सार्थक रचनात्मक योगदान दिया है। मुंशी प्रेमचंद्र का संपूर्ण साहित्य मनुष्यता के विकास और मानवीय मूल्यों के संरक्षण के लिए रचनात्मक पहल करने वाला साहित्य है। यही कारण है कि प्रेमचंद साहित्य की प्रासंगिकता अभी भी बनी हुई है और पाठक उनके द्वारा लिखे गए साहित्य को पसंद कर रहे हैं। सोनपुर के एडीआरएम सह अपर मुख्य राजभाषा अधिकारी आरपी मिश्रा ने कहा कि प्रेमचंद ने अपने साहित्य में भारतीय सामाजिक आर्थिक और राजनीतिक जीवन के सभी आयामों को प्रस्तुत किया है। गोदान, कर्मभूमि, निर्मला, प्रेमाश्रम, रंगभूमि, प्रतिज्ञा जैसे उपन्यास उनकी कालजयी रचनाएं हैं। सभी रचनाएं काफी सशक्त हैं।
इस अवसर पर सोनपुर के वरिष्ठ मंडल वित्त प्रबंधक संतोष कुमार गुप्ता ने कहा कि प्रेमचंद की रचनाओं में दलित, पिछड़े और सर्वहारा का जीवन उजागर हुआ है। वरिष्ठ मंडल कार्मिक अधिकारी अजीत कुमार ने कहा कि प्रेमचंद ने कृषि व्यवस्था की खामियों को गोदान सहित कई उपन्यासों और कहानियों में उजागर किया है। कार्यक्रम का संचालन वरिष्ठ मंडल वाणिज्य प्रबंधक दिलीप कुमार ने किया।इस अवसर पर वरिष्ठ मंडल इंजीनिय¨रग जावेद अख्तर, वरिष्ठ मंडल सिग्नल एवं दूरसंचार इंजीनियरी बृजेश कुमार यादव, वरिष्ठ मंडल विद्युत इंजीनियर केएन ¨सह, वरिष्ठ मंडल विद्युत इंजीनियर केसी यादव, वरिष्ठ मंडल यांत्रिक इंजीनियर नितिन कुमार सहित कई अन्य अधिकारी और कर्मचारी उपस्थित थे
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