'बुकिंग क्लर्क बनोगे' कहकर ठग लिए 100 करोड़! ट्रेन में धराए 3 युवक तो खुला फर्जीवाड़ा, यूपी से 2 गिरफ्तार
रेलवे में नौकरी दिलाने के नाम पर 100 करोड़ रुपये से अधिक की ठगी का खुलासा हुआ है। उत्तर प्रदेश से गिरफ्तार दो लोगों ने पूछताछ में चौंकाने वाले तथ्य उगले हैं। इस अंतरराज्यीय गिरोह ने बिहार सहित देश के कई राज्यों के युवाओं को अपना शिकार बनाया। गिरोह के सरगना की तलाश जारी है। पुलिस का कहना है कि जल्द ही सरगना को भी गिरफ्तार कर लिया जाएगा।

जागरण टीम, सोनपुर (वैशाली/सारण)। रेलवे में बुकिंग क्लर्क, टीटीई, आरपीएफ एवं ट्रैक मैन आदि की फर्जी नौकरी दिलाने के मामले में उत्तर प्रदेश से दो लोगों की गिरफ्तारी के बाद पुलिस के सामने चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं।
इस अंतरराज्यीय गिरोह के सदस्यों ने बिहार सहित देश के विभिन्न राज्यों के युवाओं से रेलवे में नौकरी लगाने के नाम पर एक सौ करोड़ रुपये से अधिक की ठगी की है। उस रकम को गुजरात की एक सॉफ्टवेयर कंपनी के माध्यम से अपने-अपने खाते में ट्रांसफर कराया।
कुछ महीनों तक किया था वेतन का भुगतान
इसी ठगी की राशि से ही गिरोह युवकों को फर्जी नियुक्ति पत्र देकर कुछ महीने तक वेतन भुगतान भी करता था, ताकि उन पर अचानक से शक न हो। इस मामले की तह तक जाने को रेल एसपी के निर्देश पर एसआईटी का गठन किया गया है।
रविवार की शाम सोनपुर रेल थाना में आयोजित प्रेस वार्ता में रेल डीएसपी शाहकार खां ने बताया कि पूर्व में जीआरपी थाना में नौकरी के नाम पर फर्जीवाड़े का केस दर्ज हुआ था। अनुसंधान के क्रम में कुछ अहम सुराग मिले।
दो सदस्यों को किया गया गिरफ्तार
इसके आधार पर गोरखपुर में छापेमारी कर अंतरराज्यीय गिरोह के दो सदस्यों को गिरफ्तार किया गया है। दोनों ने अपना जुर्म स्वीकार किया है। दोनों की पहचान गोरखपुर के शाहपुर थाने के शुभम कुमार निषाद तथा कप्तानगंज, कुशीनगर के रहने वाले पवन कुमार श्रीवास्तव के रूप में की गई है।
सोनपुर में गिरफ्तार आरोपित और सामानों के साथ डीएसपी और रेल पुलिस की टीम।
इन दोनों ने पूछताछ में गिरोह का सरगना गोरखपुर के अनिल पांडे उर्फ राघवेंद्र शुक्ला को बताया है। इससे पहले जेल में बंद इस मामले के प्राथमिक आरोपित दीपक कुमार तिवारी के बयान में भी अनिल पांडे का नाम सामने आया था।
जल्द ही सरगना को भी किया जाएगा गिरफ्तार
डीएसपी ने कहा कि सरगना को भी शीघ्र गिरफ्तार किया जाएगा। इसके बाद गिरोह की पूरी करतूत सामने आ सकेगी। रेल डीएसपी ने बताया कि इस मामले में फर्जीवाड़े का कुछ पैसा आरोपितों द्वारा सीधे अपने खाते में अथवा गुजरात बेस्ड कंपनी चैंपियन सॉफ्टवेयर टेक्नोलॉजी के माध्यम से लेने के प्रमाण मिले हैं।
दोनों गिरफ्तार आरोपितों के पास से दो लैपटॉप, सात मोबाइल, 08 आधार कार्ड, दो पैन कार्ड तथा एक आई कार्ड बरामद किया गया है। ये लोग युवकों से फर्जी नौकरी के नाम पर वसूली की बकायदा रसीद काटते थे और यह रसीद सबसे पहले गिरफ्तार किए गए दीपक कुमार तिवारी के माध्यम से सरगना तक पहुंचता था।
वहीं से गिरोह के सदस्यों के बीच रकम का बंटवारा होता था और ठगे गए युवकों को कुछ माह वेतन दिया जाता था। जीआरपी तथा आरपीएफ के क्राइम ब्रांच की संयुक्त टीम गिरोह के सरगना और अन्य सदस्यों की तलाश कर रही है।
ऐसे पकड़ में आया फर्जीवाड़ा
गत वर्ष सोनपुर स्टेशन पर सामान्य जांच अभियान के दौरान टीटीई ने तीन युवकों को बिना टिकट यात्रा करते पकड़ा था। पूछताछ के दौरान उन युवकों ने बताया था कि वे लोग अवतारनगर में बुकिंग क्लर्क हैं। जब उनका आई कार्ड देखा गया, तब फर्जीवाड़ा का मामला सामने आया।
इसके बाद आरपीएफ की क्राइम ब्रांच तथा जीआरपी की जांच-पड़ताल में यह बात सामने आई कि वे तीनों ठगी के शिकार थे और फर्जी नौकरी को असली मानने का भ्रम पाले हुए थे।
उन्हीं युवकों ने पूछताछ में झांसे में आने की पूरी कहानी बताई। इसके बाद गिरोह के प्रमुख सदस्य पश्चिम चंपारण के दीपक कुमार तिवारी को पुलिस ने गिरफ्तार किया था।
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