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    चैत नवरात्रा: पट खुलते ही उमड़ पड़ी श्रद्धालुओं की भीड़

    By JagranEdited By:
    Updated: Sat, 24 Mar 2018 06:46 PM (IST)

    सुपौल। चैत नवरात्र के अवसर पर जिला मुख्यालय के चकला-निर्मली मुहल्ला स्थित चैती दुर्गा मंदिर में श्

    चैत नवरात्रा: पट खुलते ही उमड़ पड़ी श्रद्धालुओं की भीड़

    सुपौल। चैत नवरात्र के अवसर पर जिला मुख्यालय के चकला-निर्मली मुहल्ला स्थित चैती दुर्गा मंदिर में शनिवार को महासप्तमी पूजा को ले श्रद्धालुओं की भीड़ सुबह से ही उमड़ पड़ी। दिनभर पूरा माहौल भक्तिमय बना रहा। रविवार को महा अस्टमी और महानवमी की पूजा है। माता का महात्म्य बताते पंडित नूतन झा ने बताया कि मां दुर्गा की नौवीं शक्ति का नाम सिद्धिदात्री है। ये सभी प्रकार की सिद्धियों को देने वाली हैं। नवरात्र-पूजन के नौवें दिन इनकी उपासना की जाती है। इस दिन शास्त्रीय विधिविधान और पूर्ण निष्ठा के साथ साधना करने वाले साधक को सभी सिद्धियों की प्राप्ति हो जाती है। सृष्टि में कुछ भी उसके लिए अगम्य नहीं रह जाता है। ब्रह्मांड पर पूर्ण विजय प्राप्त करने का साम‌र्थ्र्य उसमें आ जाती है। नव दुर्गा में मां सिद्धिदात्री अंतिम हैं। अन्य आठ दुर्गा रूप की पूजा उपासना शास्त्रीय विधि-विधान के अनुसार करते हुए भक्त दुर्गा पूजा के नौवें दिन इनकी उपासना में प्रवत्त होते हैं। इन सिद्धिदात्री मां की उपासना पूर्ण कर लेने के बाद भक्तों और साधकों की लौकिक, पारलौकिक सभी प्रकार की कामनाओं की पूर्ति हो जाती है। सिद्धिदात्री मां के कृपापात्र भक्त के भीतर कोई ऐसी कामना शेष बचती ही नहीं है, जिसे वह पूर्ण करना चाहे। वह सभी सांसारिक इच्छाओं, आवश्यकताओं और स्पृहाओं से ऊपर उठकर मानसिक रूप से मां भगवती के दिव्य लोकों में विचरण करता हुआ उनकी कृपा-रस-पीयूष का निरंतर पान करता हुआ, विषय-भोग-शून्य हो जाता है। मां भगवती का परम सान्निध्य ही उसका सर्वस्व हो जाता है। इस परम पद को पाने के बाद उसे अन्य किसी भी वस्तु की आवश्यकता नहीं रह जाती। मां के चरणों का यह सान्निध्य प्राप्त करने के लिए भक्त को निरंतर नियमनिष्ठ रहकर उनकी उपासना करने का नियम कहा गया है। ऐसा माना गया है कि मां भगवती का स्मरण, ध्यान, पूजन हमें इस संसार की असारता का बोध कराते हुए वास्तविक परम शांतिदायक अमृत पद की ओर ले जाने वाला है। ऐसा कहा गया है कि यदि कोई इतना कठिन तप न कर सके तो अपनी शक्तिनुसार जप, तप, पूजा-अर्चना कर मां की कृपा का पात्र बन सकता ही है।

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