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श्रीमद् भागवत कथा सुनने से पापों का होता है नाश

फोटो फाइल नंबर-8एसयूपी-3 संवाद सूत्र, लौकहा बाजार(सुपौल): सदर प्रखंड अंतर्गत हरदी पूरब पंच

By JagranEdited By: Published: Sun, 09 Sep 2018 12:31 AM (IST)Updated: Sun, 09 Sep 2018 12:31 AM (IST)
श्रीमद् भागवत कथा सुनने से पापों का होता है नाश
श्रीमद् भागवत कथा सुनने से पापों का होता है नाश

फोटो फाइल नंबर-8एसयूपी-3

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संवाद सूत्र, लौकहा बाजार(सुपौल): सदर प्रखंड अंतर्गत हरदी पूरब पंचायत के लक्ष्मीनिया महावीर चौक परिसर में बजरंग दल एवं लक्ष्मीनिया समस्त ग्रामवासी के द्वारा आयोजित श्रीमद भागवत कथा के दूसरे दिन आचार्य कथा वाचक श्री-श्री 108 लक्ष्मण शास्त्री जी महाराज एवं देवनारायण दास जी महाराज के द्वारा कथा रूपी सागर में स्नान कराया गया। श्रीमद भागवत ज्ञान यज्ञ के द्वारा जीवन मुक्त होता है और सब तरह के पाप का नाश होता है। जैसे आग सब कुछ को जला कर राख कर देती है वैसे ही भागवत कथा के श्रवण मात्र से समस्त पाप नाश होकर मोक्ष की प्राप्ति होती है। जन्म-जन्मांतर भवेत पुण्य भगवते कथा लभेत, जन्म-जन्मांतर के पुण्य का उदय होने पर भागवत कथा सुनने को मिलती है जिससे अर्थ, धर्म, काम, मोक्ष की प्राप्ति होती है। भागवत कथा के श्रवण से बढ़कर इस संसार में कोई ज्ञान, मोक्ष का सरल साधन नहीं है। सभी प्रकार की मनोकामना सिद्ध होती है। इस भक्ति की गंगा में श्रद्धालुओं ने जी भर कर सुकून पाया। कहते हैं कि अनेक पुराणों और महाभारत की रचना के उपरान्त भी भगवान व्यास जी को परितोष नहीं हुआ। परम आह्लाद तो उनको श्रीमद भागवत की रचना के पश्चात ही हुआ, कारण कि भगवान श्रीकृष्ण इसके कुशल कर्णधार हैं, जो इस असार संसार सागर से सद्य: सुख-शांति पूर्वक पार करने के लिए सु²ढ़ नौका के समान हैं। यह श्रीमद भागवत ग्रन्थ प्रेमा श्रुसक्ति नेत्र, गदगद कंठ, द्रवित चित्त एवं भाव समाधि निमग्न परम रसज्ञ श्रीशुकदेव जी के मुख से उद्गीत हुआ। सम्पूर्ण सिद्धांतों का निष्कर्ष यह ग्रन्थ जन्म व मृत्यु के भय का नाश कर देता है, भक्ति के प्रवाह को बढ़ाता है तथा भगवान श्रीकृष्ण की प्रसन्नता का प्रधान साधन है। मन की शुद्धि के लिए श्रीमद भगवत से बढ़कर कोई साधन नहीं है। यह श्रीमद भागवत कथा देवताओं को भी दुर्लभ है तभी परीक्षित जी की सभा में शुकदेव जी ने कथामृत के बदले में अमृत कलश नहीं लिया। ब्रह्मा जी ने सत्यलोक में तराजू बांध कर जब सब साधनों, व्रत, यज्ञ, ध्यान, तप, मूर्तिपूजा आदि को तोला तो सभी साधन तोल में हल्के पड़ गए और अपने महत्व के कारण भागवत ही सबसे भारी रहा। अपनी लीला समाप्त करके जब श्री भगवान निज धाम को जाने के लिए उद्यत हुए तो सभी भक्त गणों ने प्रार्थना कि हम आपके बिना कैसे रहेंगे तब श्री भगवान ने कहा कि वे श्रीमद भगवत में समाए हैं। यह ग्रन्थ शाश्वत उन्हीं का स्वरुप है। पठन-पाठन व श्रवण से तत्काल मोक्ष देने वाले इस महाग्रंथ को सप्ताह-विधि से श्रवण करने पर यह निश्चय ही भक्ति प्रदान करता है। कार्यकारणी समिति के सदस्य शेलेन्द्र भगत, रतन भगत, अरुण भगत, रामपुकार भगत, शेनी महतो, लालबहादुर महतो, ¨पकू महतो, अरुण महतो, गणेश यादव, उत्तमलाल मेहता, पप्पू राय, मनोज मेहता, गौरी शंकर साह, कमलेश्वरी साह, राजू साह एवं बजरंग दल समस्त लक्ष्मीनिया गांववासी मौजूद थे।


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