देश का नागरिक होना गर्व की बात
देश का नागरिक अर्थात भारत रूपी परिवार का एक सदस्य, जिस प्रकार परिवार के सदस्य को परिवार के हर सुख-दुख, अच्छे-बुरे, उन्नति-अवनति में हंसने-रोने, खुशियां मनाने, पश्चाताप करने का हक होता है।
सीतामढ़ी। देश का नागरिक अर्थात भारत रूपी परिवार का एक सदस्य, जिस प्रकार परिवार के सदस्य को परिवार के हर सुख-दुख, अच्छे-बुरे, उन्नति-अवनति में हंसने-रोने, खुशियां मनाने, पश्चाताप करने का हक होता है। उसी प्रकार देश के नागरिक को देश के अच्छाई-बुराई, उन्नति अवनति में हंसने व अफसोस करने का हक होता है। हम सभी कहते हैं कि हम भारत के नागरिक हैं। यह भारत है क्या? ऊंचे-ऊंचे पहाड़, बड़ी-बड़ी गगनचुंबी इमारतें, खेत-खलिहान, नदी-नाले, समुद्र या अंतरराष्ट्रीय सीमाएं? नहीं इनमें से कुछ भी भारत नहीं है। भारत यहां के नागरिकों की भावना का नाम है। अर्थात हमारे मन में जो भावना है, वही भारत है। यानी हम देश के विकास के कर्ता-धर्ता हैं। यहां के नागरिक यदि चाह ले तो देश को दुनिया के विकसित देशों की श्रेणी में खड़ा कर सकता है। यदि देश का प्रत्येक नागरिक अपने आप को व्यवस्थित कर ले व स्वयं का विकास कर ले तो देश को उन्नति करने से कोई रोक नहीं सकता। देश की सर्वांगीण उन्नति के लिए स्वदेश प्रेम परम आवश्यक है। जिस देश के नागरिक अपने देश के कल्याण में अपना कल्याण, अपने देश के अभ्युदय में अपना अभ्युदय, अपने देश के कष्टों को अपना कष्ट और अपने देश की समृद्धि में अपनी सुख समृद्धि देखते हैं, वह देश उत्तरोत्तर उन्नतिशील रहता है। अन्य देशों के सामने गौरव से अपना मष्तक ऊंचा कर सकता है। देश की सामाजिक व आर्थिक उन्नति के लिए देश के नागरिकों को देशभक्त होना नितांत आवश्यक है। जिन देशों के बालक, वृद्ध, स्त्रियां और युवक अपने राष्ट्र की बलिवेदी पर अपने स्वार्थों को चढ़ाकर उसपर तन-मन-धन न्योछावर कर देते हैं। वे देश संसार के शक्तिशाली राष्ट्र समझे जाते हैं। जापान, जर्मनी, इंगलैण्ड, रूस आदि के इतिहास में अनेक ऐसे देशभक्त नागरिकों की कहानियों भरी पड़ी हैं। सदियों तक परतंत्र रहे भारत को स्वतंत्र कराने का श्रेय नि:स्वार्थ नागरिकों को जाता है। जिन्होंने अपना सबकुछ अपने राष्ट्र के लिए बलिदान कर दिया। हंसते-हंसते मृत्यु का आ¨लगन किया। किन्तु दुर्भाग्य से बलिदानी नागरिकों की दूसरी पीढ़ी में नि:स्वार्थ देशभक्ति की भावना का ह्रास हो गया। अपने-अपने स्वार्थ में सभी संलग्न हो गये। देश के हित के लिए कोई थोड़ा सा भी त्याग सहन नहीं कर सकता। यही कारण है कि भारतवर्ष अबतक प्रसंशनीय उन्नति नहीं कर पाया है और अपने समकालीन राष्ट्रों से पिछड़ गया है। हमारा कर्तव्य है कि सच्चे देश भक्त नागरिकों का मार्गानुशरण करके सच्चे नागरिक बनें। अपने देश के लिए अपने स्वार्थों को त्याग देना चाहिए। व्यक्तिगत लाभ हानि की ओर ध्यान न देते हुए देश के हित के लिए अपनी पूर्ण शक्ति लगा देनी चाहिए। सच्चे नागरिकों की जनता पूजा करती है। स्वतंत्र देश के नागरिक होने का गर्व वही अनुभव कर सकता है जिसने गुलामी देखी हो। हमारा सौभाग्य है कि हम स्वतंत्र देश के नागरिक हैं। यह देश, पर्यावरण, पेड़-पौधे, खेत-खलिहान, पहाड़, झड़ने, नदी-नाले, उद्दोग-धंधे सभी हमारे हैं। देश की सभी योजनाएं यहां के नागरिकों के लिए ही होती हैं। सभी सुख-सुविधाएं देश के नागरिकों के लिए रहती हैं। सभी सरकारी सेवाओं में भारत के नागरिकों की भर्ती की जाती है। अर्थात हमारी सरकार हरदम अपने नागरिकों के उत्थान के लिए ही सोचती है। ऐसे में यदि हम नागरिक अपनी सोच को सकारात्मक रखें व देश के उत्थान में एक-एक कदम आगे बढें तो भारत दुनिया के शक्तिशाली व समृद्ध देशों में शामिल हो जाएगा।
--- निदेशक आर्या प्रिपेरटरी स्कूल, नाहर चौक सीतामढ़ी : संजीत कुमार झा
हमें भारत का नागरिक होने पर गर्व है। अपने गुण, धर्म और बुद्धि का विकास कर हम अपने देश का नाम रौशन कर सकते हैं। हमें अपने धर्म, जाति से ऊपर उठकर देश के लिए समर्पित रहना चाहिए। देश के विकास के बारे में सोचना हर नागरिक का कर्तव्य है। हर नागरिक को राष्ट्र के विकास के लिए प्रयासरत रहना चाहिए। जिस प्रकार देश हर नागरिक के प्रति अपने दायित्व का निर्वहन करता है, उसी तरह हर नागरिक को देश की सुरक्षा, समृद्धि व एकता के बारे में सोचना चाहिए। हमें गर्व है कि हम स्वतंत्र भारत के नागरिक हैं।
--- शिक्षक : संजीव कुमार मिश्र
देशभक्ति का जज्बा ही सच्चे नागरिक की पहचान है। केवल अपने स्वार्थ की पूर्ति के लिए सोचना राष्ट्रभक्ति नहीं है। राष्ट्रहित में त्याग व बलिदान हर नागरिक का कर्तव्य है। इतिहास गवाह है कि जब-जब राष्ट्र की स रक्षा का समय आया, हमारे देश के नागरिकों ने पूरी लगन के साथ अपने प्राण न्योछावर कर दिए। भारत जैसे धर्मनिरपेक्ष देश में जन्म लेकर हर नागरिक चाहे वह किसी धर्म जाति का हो अपने को गौरवान्वित महसूस करता है। अफसोस है कि वर्तमान समय में जिस तरह से जातिवाद व तुष्टिकरण की नीति राजनीतिक दलों द्वारा अपनाई जा रही है उससे राष्ट्रीय एकता व धर्मनिरपेक्षता पर संकट उत्पन्न हो गया है। ऐसी परिस्थिति में हम नागरिकों का दायित्व है कि अपनी मातृभूमि की सुरक्षा के लिए संकल्पित हों।
--- शिक्षक : समीर कुमार
द श के सर्वागीण विकास क लिए देशभक्ति अति आवश्यक है। देश का विकास केवल सरकार की जिम्मेदारी नहीं है, अपितु हम नागरिकों की भी है। सरकार नियम बनाती है व रास्ता दिखाती है। उसका पालन करना व उस रास्ते पर चलकर देश को आगे बढ़ाना हम सब की जिम्मेदारी है। तभी जाकर सरकार का स्वच्छता अभियान, मेक इन इंडिया, डिजिटल इंडिया, शराबबंदी आदि सारे अभियान सफल हो पाएंगे। इस सब को कोई सफल बना सकता है तो वहां का नागरिक। अत: जिस देश का नागरिक जैसा होगा देश वैसा ही होगा। इसलिए हमें नागरिक के कर्तव्यों का पालन करना चाहिए।--- शिक्षक : रौशन झा
बोले बच्चे : -
अक्षत : भारत देश का नागरिक होना गौरव की बात है। उसे देश के इतिहास परंपरा, रीति-रिवाज व सांस्कृतिक धरोहर आदि में उसकी पूरी निष्ठा रहती है। वह इनमें बड़े गौरव का अनुभव करता है। उसकी वृद्धि में सहयोग करता है। भारतीय संविधान ने हर नागरिक को जीने का अधिकार दिया है। यह हमारे लिए गौरव की बात है। हमारा भी दायित्व बनता है कि हम अपने देश को समृद्धशाली बनाने के लिए संकल्पित हों।
मणीरत्नम : व्यक्तिगत आकांक्षाओं से अधिक राष्ट्र की आवश्यकताओं एवं अपेक्षाओं को महत्व देने वाला ही द श का सच्चा नागरिक है। एक नागरिक होने के नाते राष्ट्रहित में सोचना हर नागरिक का कर्तव्य है। स्वहित की जगह अगर हम राष्ट्र के लिए समर्पित हों तो हर नागरिक खुशहाल होगा और देश विकसित होगा। अनेकता में एकता भारतीय लोकतंत्र की पहचान है। इसका ख्याल हर वर्ग के लोगों को रखना चाहिए।
शाश्वत देव : एक जागरूक व्यक्ति ही सच्चा नागरिक होने का गौरव प्राप्त कर सकता है। अच्छा नागरिक अपने व्यक्तित्व से राष्ट्र का मान बढ़ाता है। प्रत्येक नागरिक को चाहिए कि वह ऐसा काम करें जिससे राष्ट्र का विश्व में मान बढ़े। नागरिक को अपने के अधिकार के साथ-साथ कर्तव्य के प्रति भी निष्ठावान होना होगा। भारत विश्व में महान इसलिए है कि यहां हर जाति व धर्म के लोगों को समान अधिकार प्राप्त है।
मयंक झा : भारत की लोकतांत्रिक व्यवस्था विश्व में सर्वोच्च मानी जाती है। कारण यह है कि भारत के नागरिक को संविधान के द्वारा मत के अधिकार के साथ-साथ विचारों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है। दुनिया में कई ऐसे विकसित देश हैं जहां के नागरिकों को यह अधिकार प्राप्त नहीं है। हमें गर्व है कि हमने उस देश में जन्म लिया है जहां स्वतत्रंता ही स्वतंत्रता है।
सूर्यमणि : राष्ट्र की परिभाषा एक ऐसे जन सम ह के रूप में की जा सकती है जो कि एक भौगोलिक सीमा में आबद्ध एक निश्चित देश में रहता हो। समान परम्पराएं समान हितों तथा समान भावनाओं से बंधा हो और जिसमें एकता के सूत्र में बांधने की उत्सुकता तथा समान राजनैतिक महत्त्वाकांक्षाएं पाई जाती हों। राष्ट्रवाद के निर्णायक तत्वों में नागरिकता की भावना सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण है। नागरिकता की भावना किसी राष्ट्र के सदस्यों में पाई जानेवाली सामुदायिक भावना है जो उनका संगठन सु²ढ़ करती है।
आदर्श : भारत का नागरिक होना मेरे लिए गर्व की बात है। इस देश में अनेक महान विभूतियां पैदा हुई हैं। जिन्होंने दुनिया भर में देश का नाम रोशन किया है। मैं पढ़-लिख कर देश का एक अच्छा नागरिक बनना चाहता हूं। मेर इच्छा है कि मैं देश के लिए कोई ऐसा काम करूं जिससे देश का नाम पूरी दुनिया में रोशन हो। मैं अपने महापुरुषों को प्रेरणास्त्रोत मानता हूं।
अंकित कुमार : भारत अपनी विशेषता के लिए संसार में विख्यात है। हमारे ऋषि-मुनियों से लेकर वैज्ञानिकों ने कई ऐसी खोजें की जिनसे दुनिया को ज्ञान प्राप्त हुआ। ऐसे देश में जन्म लेने पर मुझे गर्व है। मैं अपने ऋषि-मुनियों द्वारा वेदों व उपनिषदों में दिये ज्ञान से बहुत प्रभावित हूं। यह ऐसा ज्ञान है जिनकी प्रासंगिकता कभी कम नहीं होगी।
मनन झा : हमारे देश में सबसे पहले प्रजातंत्र की लाली फूटी थी। हमने दुनिया को ऐसी शासन प्रणाली दी जिसमें राजाओं के बजाय प्रजा की सहभागिता होती है। इससे लोगों का शासन के प्रति विश्वास जगता है। आज हमारा देश प्रजातंत्र के मार्ग पर चलकर तरक्की कर रहा है। मुझे इस देश का नागरिक होने पर गर्व है। मैं सभी देशवासियों को इस बात के लिए प्रेरित करना चाहता हूं कि वे देश का मान और सम्मान हमेशा बढ़ाएं।
नवीन कुमार : हमारे देश में ऐसे अनेक नेता हुए हैं जिन्होंने अपने कार्यों से विश्व की राजनीति को दिशा दी है। पंडित जवाहर लाल नेहरू, इंदिरा गांधी, डॉ. राजेन्द्र प्रसाद, एपीजे अब्दुल कलाम के बताये सिद्धांतों से पूरी दुनिया प्रेरणा लेती है। हमारे नेता विश्व में शांति और सछ्वाव का संदेश देते रहे हैं। आज की परिस्थितियों में जब दुनिया भर में आतंकवाद कहर बरपा रहा है तब हमारे नेताओं के बताये रास्तों पर चलकर विश्व में शांति आ सकती है। इसलिए मुझे इस देश का नागरिक होने पर गर्व है।
रोहित रौशन : हमारे देश में महिलाओं को देवी की उपाधि दी गई है। यहां कई ऐसी विदूषी महिलाएं पैदा हुई जिनके ज्ञान से पूरा विश्व प्रकाशित हुआ। इन्होंने एक तरफ आसुरी शक्तियों का संहार किया और दूसरी तरफ अपनी ममता से बच्चों को उपकृत किया। देश में इन महिलाओं के प्रति श्रद्धा का भाव है। मुझे गर्व है कि मैं भारत में पैदा हुआ।
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