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    यूपी-एमपी के बाद बिहार में फैला प्रतिबंधित सिरप का नेटवर्क, तार नेपाल से जुड़े

    By Sumit Kumar Edited By: Ajit kumar
    Updated: Wed, 31 Dec 2025 05:23 PM (IST)

    NDPS Act Case: सीतामढ़ी में एक दिन में 1500 बोतल प्रतिबंधित कोरेक्स सिरप जब्त की गई, जिससे जिले में नशे के बढ़ते कारोबार पर सवाल उठ रहे हैं। पुलिस इस ...और पढ़ें

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    नशे के लिए कोरेक्स सिरप,डाइलोटर, टेबलेट और इंजेक्शन का होता है इस्तेमाल। फाइल फोटो

    संवाद सूत्र, सीतामढ़ी। Drug Smuggling Bihar: यूपी और एमपी के बाद अब बिहार में प्रतिबंधित कोरेक्स सिरप का अवैध नेटवर्क तेजी से पैर पसार रहा है। सीतामढ़ी जिले में एक ही दिन में 1500 बोतल प्रतिबंधित कफ सिरप की बरामदगी ने न सिर्फ प्रशासन बल्कि समाज को भी चौंका दिया है। इस कार्रवाई के बाद नशे के इस संगठित धंधे की जड़ें नेपाल तक फैली होने की आशंका और गहरी हो गई है।

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    सोमवार को सोनबरसा से 700 बोतल और सीतामढ़ी शहर के चकमहिला इलाके से 800 बोतल प्रतिबंधित कोरेक्स सिरप जब्त की गई। दोनों ही मामलों में एक-एक धंधेबाज को गिरफ्तार किया गया है।

    पुलिस अब इस नेटवर्क को शराबबंदी के बाद बदले नशे के पैटर्न से जोड़कर देख रही है, जहां युवा वर्ग कोरेक्स सिरप, डायलोटर, टैबलेट और इंजेक्शन को नशे के विकल्प के रूप में इस्तेमाल कर रहा है।

    नेपाल से संचालित हो रहा नेटवर्क

    सूत्रों के अनुसार, इस अवैध कारोबार के मास्टरमाइंड नेपाल में बैठे हैं, जो बिहार के सीमावर्ती इलाकों के जरिए प्रतिबंधित दवाओं की सप्लाई करा रहे हैं। धंधेबाजों को यह भरोसा दिलाया जाता है कि गिरफ्तारी की स्थिति में उन्हें जेल से छुड़वा दिया जाएगा। स्थानीय स्तर पर कार्रवाई के बावजूद यह धंधा बदस्तूर जारी है।

    चकमहिला बरामदगी में एनडीपीएस एक्ट

    चकमहिला से प्रतिबंधित कोरेक्स सिरप की बरामदगी के मामले में नगर थानाध्यक्ष के आवेदन पर प्राथमिकी दर्ज की गई है। प्राथमिकी में पुनौरा वार्ड नंबर-2 निवासी गणेश प्रसाद और परसौनी थाना क्षेत्र के परशुरामपुर निवासी अविनाश गुप्ता को एनडीपीएस एक्ट के तहत आरोपित बनाया गया है। अविनाश गुप्ता को गिरफ्तार कर लिया गया है।

    एसएसबी और एसटीएफ की सूचना पर की गई छापेमारी में एक कमरे से नकद 8800 रुपये, मोबाइल फोन, बड़ी मात्रा में टैबलेट, इंजेक्शन और सैकड़ों बोतल प्रतिबंधित कोरेक्स सिरप बरामद की गई। पूछताछ में गिरफ्तार आरोपी ने स्वीकार किया कि वह दवाओं की बिक्री करता था और उसे हर महीने 15 हजार रुपये वेतन दिया जाता था।

    स्थानीय पुलिस की भूमिका पर सवाल

    सबसे हैरानी की बात यह है कि नगर थाना क्षेत्र में लंबे समय से यह अवैध कारोबार चल रहा था, लेकिन स्थानीय पुलिस को इसकी भनक तक नहीं लगी। स्थानीय लोगों का कहना है कि यह धंधा कई दिनों से संचालित था। एक ही दिन में 1500 बोतल की बरामदगी ने पुलिस की सतर्कता और निगरानी व्यवस्था पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं।

    शराबबंदी के बाद नशे का यह नया रूप युवा पीढ़ी को तेजी से बर्बादी की ओर धकेल रहा है, जबकि इस अवैध कारोबार से जुड़े लोग मोटी कमाई कर रहे हैं। फिलहाल छोटे धंधेबाज पकड़े जा रहे हैं, लेकिन असली सरगना कानून की पकड़ से दूर है।