अदभूद व अलौकिक है महिमा बगही धाम की
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--बाबा तपस्वी नारायण दास ने की थी बगही मठ की स्थापना
--मानव के रूप में ईश्वर के अवतार रहे बाबा नारायण दास
--108 कीर्तन कुंज वाला देश का इकलौता भवन है यहां
--1960 से जारी है यहां अनवरत सीताराम नाम का जाप
--पांच करोड़ की लागत से बन रहा 108 फीट उंचा मंदिर
--उत्तर बिहार का होगा यह पहला शिव पंचायतन मंदिर
सीतामढ़ी, प्रतिनिधि : रविवार को तीसरे दिन भी बगही मठ पर श्रीसीताराम नाम जाप से इलाका भक्तिमय बना रहा। प्रवचन सुनने लोगों की भीड़ उमड़ी रही। कहा जाता है कि जितनी आस्था तपस्वी बाबा नारायण दास के प्रतिजन जन में है, उतनी ही आस्था बगही धाम स्थित बाबा धनेश्वर नाथ महादेव के प्रति कण-कण में है। बाबा नारायण दास भगवान शिव के अवतार रहे। उन्होंने पूरे देश में राम नाम जप का संदेश देते हुए क्रांतिकारी जीवन जीया। उनकी महिमा साईं बाबा जैसी थी। उनके दर पर जो भी गया, खाली वापस नहीं लौटा। यहीं वजह है कि वह सीतामढ़ी, शिवहर व बिहार ही नहीं, बल्कि उनकी महता विदेशों तक फैली हुई है। लोग बगही धाम पहुंच कर खुद को भाग्यशाली समझते है। बाबा नारायण दास का जन्म बगही गांव के एक साधारण परिवार में 17 फरवरी 1917 को हुआ था। बाबा का वास्तविक नाम छतर दास यादव था। जो बाद में तपस्वी नारायण दास के नाम से ख्यात हुए। सीतामढ़ी से 12 किमी दूर बगही गांव में स्थापित शिवलिंग की महिमा भी कम नहीं। कहते है कि इस शिवलिंग के दर्शन मात्र से ही धन की वर्षा होने लगती है। यहीं वजह है कि इनका नाम धनेश्वर नाथ महादेव है। सवा दो सौ साल पहले रंजीतपुर गांव के भूल्लर साह रौनियार ने यहां मंदिर का निर्माण कराया था। इस मंदिर में आकर बाबा नारायण दास तप करने लगे। तप के माध्यम से उन्होंने अलौकिक शक्ति प्राप्त की और निकल पड़े जन कल्याण की राह पर। उन्होंने राम नाम जाप के लिए पूरे देश में भ्रमण किया। राम नाम का जाप करते हुए वृंदावन में बाबा ने 7 दिसंबर 2000 को अपने शरीर का त्याग किया। 7 दिसंबर 1960 को बाबा ने बगही धाम में 108 झोपड़ी का मंडप बना कर विष्णु यज्ञ व महारूद्र यज्ञ किया था। उस दौरान अकस्मात पुरी संरचना जल गई। एक साल बाद बाबा ने जन सहयोग से उसी स्थान पर 108 कमरों का चार मंजिला भवन बनवाया। यह एक गोल भवन की तरह है। जिसमें चार द्वार है। बहरहाल, 108 फीट उंचे विशाल शिव मंदिर को लेकर बगही मठ एक बार फिर चर्चा में है। दो दशक पूर्व बाबा के आदेश पर इस मंदिर का शिलान्यास किया गया था। पिछले साल से निर्माण को गति दी गई। मंदिर पर अब तक पांच करोड़ रुपये खर्च किए जा चूके है। यह उत्तर बिहार का पहला शिव पंचायतन मंदिर है। सैकड़ों वर्ष पुराने शिवलिंग को बीस फरवरी को महाशिवरात्रि के दिन नए मंदिर में स्थापित की जाएगी। मंदिर के चार कोनों पर लक्ष्मी नारायण, सूर्यदेव, गणपति, मां दुर्गा व कार्तिकेय की प्रतिमा स्थापित की जाएगी। बाबा के शिष्य शुकदेव दास जी महाराज बताते है कि मंदिर का नक्शा खुद बाबा ने ही बनाए थे।
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