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    KK Pathak के आदेश को छात्रों ने हवा में उड़ाया, शिष्यों की राह ताकते रहे गुरु जी; स्कूलों में छाया रहा सन्नाटा

    Updated: Mon, 25 Mar 2024 05:36 PM (IST)

    होली में सोमवार को सरकारी विद्यालयों को खुला रखने संबंधी सरकार के आदेश को विद्यार्थियों रंग-गुलाल की तरह हवा में उड़ा दिया। सरकार के आदेश का पालन करने के लिए शिक्षक-शिक्षिकाओं ने भावनाओं को काबू कर स्कूलों में हाजिरी बजाई मगर विद्यार्थी स्कूल नहीं पहुंचे। सुबह 9 से शाम 5 बजे तक शिक्षक-शिक्षिका स्कूलों में बैठकर विद्यार्थियों की राह देखते रहे मगर कोई विद्यार्थी झांकने के लिए विद्यालय नहीं आया।

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    KK Pathak के आदेश को छात्रों ने हवा में उड़ाया, शिष्यों की राह ताकते रहे गुरु जी (फाइल फोटो)

    जागरण संवाददाता, शेखपुरा। KK Pathak होली में सोमवार को सरकारी विद्यालयों को खुला रखने संबंधी सरकार के आदेश को विद्यार्थियों रंग-गुलाल की तरह हवा में उड़ा दिया। सरकार के आदेश का पालन करने के लिए शिक्षक-शिक्षिकाओं ने मन मसोस कर तथा भावनाओं को काबू करके स्कूलों में अपनी हाजिरी बजाई, मगर कोई विद्यार्थी स्कूल नहीं पहुंचा।

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    सरकार के इस आदेश से होली जैसे त्योहार पर कई शिक्षक परिवार अपनों से अलग रहने की मजबूरी को कंधे पर ढोया। सुबह 9 बजे से शाम के 5 बजे तक शिक्षक-शिक्षिका स्कूलों में बैठकर विद्यार्थियों की राह देखते रहे, मगर कोई विद्यार्थी झांकने के लिए भी विद्यालय नहीं आया।

    यह अलग बात है कि कई ग्रामीण स्कूल पहुंचकर यह ताना सुना गया-- पाठक जी तोहरा सबके पेर देलको हे। जिला शिक्षा पदाधिकारी ओमप्रकाश सिंह ने बताया पहले से तय कार्यक्रम के मुताबिक आज सोमवार को विद्यार्थिय की परीक्षा भी निर्धारित थी,जिसे आगे बढ़ा गया है, मगर विद्यालय खोले रखने का आदेश था।

    सोमवार को भी विद्यालयों का किया गया निरीक्षण 

    इसको लेकर सोमवार को भी जिला में विद्यालयों की नियमित जांच और निरीक्षण हुआ, जिसमें शिक्षक-शिक्षिका तो उपस्थित मिले, मगर विद्यार्थी नहीं मिले। शिक्षक संघ के पदाधिकारी राकेश ने होली में स्कूलों को खोले रखने के आदेश को तुगलकी बताया है।

    उन्होंने कहा इसी तरह रक्षा बंधन और मकर संक्रांति में भी स्कूलों को खुला रखा गया था और उसमें भी विद्यार्थी स्कूल नहीं आए थे। राकेश ने कहा है राज्य के शिक्षा विभाग में लगता है सरकार का कोई नियंत्रण नहीं है। अधिकारी मनमाने तरीके से अपनी मर्जी चला रहे हैं, जिसमें 5 लाख शिक्षकों के साथ उनके परिवार भी पिस रहे हैं।

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