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    पचना गांव से 11वीं सदी की व्रज तारा की मूर्ति चोरी

    By JagranEdited By:
    Updated: Fri, 19 Mar 2021 12:24 AM (IST)

    शेखपुरा। शेखपुरा थाने के पचना गांव से अज्ञात चोरों ने 11वीं सदी की व्रज तारा की मूर्ति बुधवार की रात चुरा लिया। ढाई फीट ऊंची काले पत्थर की यह मूर्ति पिछले साल 17 मई को गांव के पहाड़ की खोदाई में मिली थी।

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    पचना गांव से 11वीं सदी की व्रज तारा की मूर्ति चोरी

    शेखपुरा। शेखपुरा थाने के पचना गांव से अज्ञात चोरों ने 11वीं सदी की व्रज तारा की मूर्ति बुधवार की रात चुरा लिया। ढाई फीट ऊंची काले पत्थर की यह मूर्ति पिछले साल 17 मई को गांव के पहाड़ की खोदाई में मिली थी। ग्रामीणों ने इस मूर्ति को उठाकर गांव के सरस्वती मंदिर में रखा था। इसके लिए पहाड़ पर अलग से मंदिर का निर्माण ग्रामीण कर रहे थे। इसके पहले ही यह मूर्ति चोरी हो गई। इतिहासकर प्रो. लालमणि विक्रांत कहते हैं बौद्ध संस्कृति में व्रज तारा को शक्ति तथा तंत्र विद्या की देवी माना जाता था। पिछले साल पहाड़ की खोदाई से मिली इस मूर्ति को देखने के लिए बिहार विरासत सोसायटी की टीम भी शेखपुरा आई थी तथा इसे महत्वपूर्ण बताया था। इस बाबत एसपी कार्तिकेय के शर्मा ने बताया कि पुलिस मामले की जांच कर रही है।

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    जिस सरस्वती मंदिर से व्रज तारा की मूर्ति चोरी हुई है, उस मंदिर के एक गेट का ताला खुला हुआ मिला है। बता दें पिछले सप्ताह जिल के सामस गांव से भी काले पत्थर की मूर्ति चोरी हो चुकी है। गांव के सामाजिक कार्यकर्ता मनीष प्रियदर्शी ने बताया कि पिछले साथ मिली इस मूर्ति को गांव के सरस्वती मंदिर में रखा गया था। अगले महीने इस मूर्ति को पहाड़ पर बन रहे मंदिर में स्थापित किया जाना था। इसको लेकर गांव में बुधवार की रात ग्रामीणों ने बैठक भी की थी। गुरुवार की सुबह जब लोग जागे तो सरस्वती मंदिर से व्रज तारा की मूर्ति चोरी हो चुकी थी। मंदिर के में गेट का छोटा दरवाजा का ताला टूटा हुआ था।

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    पौराणिक मूर्तियों को संरक्षित करने की मांग जागरण संवाददाता, शेखपुरा : एक सप्ताह में मूर्ति चोरी की दो घटना के बाद अब जिले में जहां-तहां पड़ी पौराणिक मूर्तियों को संरक्षित करने की मांग उठनी शुरू हो गई है। जिले के इतिहास के जानकार प्रो. लालमणि विक्रांत कहते हैं अगर समय रहते सरकार तथा जिला प्रशासन ने कदम नहीं उठाया तो जिले की पौराणिक मूर्तियां गायब हो जायेगी। जिले के दर्जनों गांवों में बिखरी पड़ी तथा आज भी खोदाई में मिल रही मूर्तियां जिले के समृद्ध इतिहास को दर्शाता है। जिले के सामस, ढ़ेवसा, ककड़ार, चकंदरा, कोसरा, मेहूस, गवय व पचना सहित कई गांवों में पाल वंश तथा बौद्धकाल की मूर्तियां जहां-तहां रखी हुई है। जिला प्रशासन मूर्तियों की सुरक्षा के लिए जिले में एक संग्राहालय बनाएं और इन मूर्तियों को वहीं सुरक्षित रखे। पिछले 10 वर्षो में जिले में पौराणिक मूर्तियों की चोरी की कई घटना हो चुकी है।