सारण्य से लुप्त हो गया अरण्य
छपरा। सघन वन आवृत्त सारण अपने यौवन में 'सारण्यक' था। वन क्षेत्र होने के कारण ही यह क्षेत्र
छपरा।
सघन वन आवृत्त सारण अपने यौवन में 'सारण्यक' था। वन क्षेत्र होने के कारण ही यह क्षेत्र कई ऋषि-संतों की तपो स्थली भी रही। ऋषि कुम्भज, श्रृंगी, दधिचि, गौतम आदि ऋषियों की स्थली सारण्यक आगे चलकर सारण के रूप में जाना जाने लगा। माना जाता है कि सारण, सारण्यक का ही अपभ्रंश है। किंतु, सघन वन क्षेत्र के कारण मिले इस नाम की पहचान ही अब कहीं खो गयी है। कभी वन क्षेत्र रहा सारण आज वनविहीन है।
आधिकारिक आंकड़े बताते हैं कि सारण में 0.03 फीसदी वन क्षेत्र है लेकिन धरातलीय सच्चाई और अधिक कटु है। विभाग का यह डाटा वर्षो पुराना है जबकि हालिया वर्षो में क्षेत्र में वृक्षों की कटाई धड़ल्ले से हुई है और इस कारण मौजूदा स्थिति और भी भयावह हो चुकी है, जो गंभीर पर्यावरण खतरों को आमंत्रित कर रही है।
हाजीपुर से छपरा तक निर्माणाधीन फोरलेन सड़क से बहुत उम्मीदें हैं। सड़क निर्माण पूरा होने के बाद निश्चित ही इसके आसपास के शहरों का विकास तेजी से होगा, लेकिन इस मार्ग के निर्माण के क्रम में की गयी वृक्षों की कटाई का परिणाम भी इन्हीं शहरों के बाशिंदों को भुगतना पड़ेगा। बता दें कि सोनपुर से लेकर रसूलपुर तक फोर लेन निर्माण की आड़ में हजारों वृक्षों की बलि ले ली गयी। वृक्षों की कटाई तो हो गयी परंतु उनकी जगह उस अनुपात में पौधे नहीं लगाए गए।
पर्यावरण संरक्षण के लिए जिले के डोरीगंज निवासी कभी दशरथ राय तो कभी अन्य लोग सामने आए। दशरथ राय द्वारा वृक्षों की सेवा अपने पुत्र के समान की जाती है। वहीं इस वर्ष दैनिक जागरण ने पौधारोपण अभियान चलाकर पर्यावरण के प्रति लोगों को जागरूक किया है। यही नही अब लोग अपने घर पर तो पौधा लगा हीं रहें हैं साथ में आसपास के क्षेत्र को हरा-भरा करने का संकल्प भी ले रहे है। वन विभाग भी पीछे नही है। इस वर्ष दो लाख अस्सी हजार पौधारोपण का लक्ष्य विभाग ने रखा है। जिसमें से जागरण के सहयोग से विभाग ने करीब एक लाख पौधारोपण 15 जुलाई तक कर दिया। बाकी 15 अगस्त तक पूरा कर देना है। विभाग द्वारा छात्र पौधारोपण योजना भी शुरू किया गया है। विभाग द्वारा जिले को पुन: हरा-भरा करने के लिए कृषि वानिकी योजना शुरू की गयी है जिसके तहत करीब तीन लाख पौधा किसानों को दिया जाना है। इसकी सेवा के लिए किसानों को प्रोत्साहन राशि भी दी जाएगी। एक वर्ष तक पौधा सुरक्षित रहने पर प्रत्येक पौधा दस रूपये के हिसाब से किसानों को प्रोत्साहन राशि मिलेगी। दूसरे वर्ष भी दस रूपया व तीसरे वर्ष यह राशि पंद्रह रूपया हो जाएगी। विभाग द्वारा अभी स्टेट हाई वे 73 व छपरा-मशरक मुख्य मार्ग पर नगरा के समीप पौधारोपण करवाया जा रहा है। फोरलेन व एनएच के निर्माण में जिले में वृक्षों को काफी नुकसान पहुंचाया गया है।
वर्जन
'जब तक फोरलेन निर्माण कार्य चल रहा है तब तक पेड़ लगाना संभव नहीं है। निर्माण कार्य पूरा होते ही साइड एरिया मिल जाता है। जिसे ग्रीन जोन में परिवर्तित कर दिया जाएगा। हाजीपुर से छपरा, मांझी व सिवान तक सड़क निर्माण का कार्य चल रहा है। जिसके कारण यहां अभी पौधे नही लगाए जा रहें है जबकि मलमलिया से मशरक व परसा तक सड़क किनारे एसएच 73 पर पौधे लगाए जा रहें हैं। वहीं नगरा में भी काफी पौधे लग रहें हैं। भौगोलिक स्थिति के अनुसार उपयुक्त पेड़ लगाए जाते हैं ताकि जल्द से जल्द संबंधित क्षेत्र में हरियाली लौट आए।'
एस. सुधाकर , वन प्रमंडल पदाधिकारी, सारण
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