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    स्वास्थ्य की नई राह पर सारण, मेडिकल कॉलेज और सरकारी योजनाओं से जगी उम्मीद

    Updated: Wed, 31 Dec 2025 02:24 PM (IST)

    सारण जिले में स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधार हो रहा है, जिसमें राजकीय चिकित्सा महाविद्यालय और सरकारी योजनाएं महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। हालांकि, मे ...और पढ़ें

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    स्वास्थ्य के क्षेत्र में अपनी अलग पहचान

    जाकिर अली, छपरा(सारण)। सारण जिले में स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर लंबे समय तक सवाल उठते रहे हैं, लेकिन अब परिदृश्य धीरे-धीरे बदलता नजर आ रहा है। एक ओर राजकीय चिकित्सा महाविद्यालय सह अस्पताल को जिले के स्वास्थ्य तंत्र की धुरी के रूप में देखा जा रहा है, वहीं दूसरी ओर केंद्र और राज्य सरकार की विभिन्न स्वास्थ्य योजनाएं आम लोगों के जीवन में ठोस बदलाव ला रही हैं। आमजन को उम्मीद है कि यदि मेडिकल कॉलेज पूरी क्षमता के साथ संचालित हो गया, तो सारण न केवल बिहार बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर स्वास्थ्य के क्षेत्र में अपनी अलग पहचान बना सकता है।

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    राजकीय चिकित्सा महाविद्यालय सह अस्पताल का उद्घाटन आठ जनवरी 2025 को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने किया था। उद्घाटन के बाद जिले के लोगों में यह विश्वास जगा कि अब गंभीर बीमारियों के इलाज के लिए पटना या दूसरे बड़े शहरों का रुख नहीं करना पड़ेगा।

    हालांकि, उद्घाटन के लगभग एक वर्ष बाद भी यह संस्थान पूरी तरह से सक्रिय नहीं हो सका है। फिलहाल अस्पताल में सीमित सेवाएं उपलब्ध हैं, जो मुख्यतः 12 चिकित्सकों के भरोसे संचालित हो रही हैं। इन्हीं चिकित्सकों पर ओपीडी संचालन और प्राथमिक उपचार की जिम्मेदारी है।


    अस्पताल अधीक्षक डा. सी.पी. जायसवाल के अनुसार, अब तक मेडिकल कालेज की पूरी इमारत निर्माण एजेंसी द्वारा अस्पताल प्रशासन को हैंडओवर नहीं की गई है।

    कई हिस्सों में निर्माण कार्य अभी भी अधूरा है, जिससे सेवाओं का विस्तार बाधित हो रहा है। मेडिकल कालेज के सुचारू संचालन के लिए तीन सौ से अधिक चिकित्सकों, विशेषज्ञों और व्याख्याताओं की आवश्यकता है, लेकिन उनकी बहाली की प्रक्रिया अभी सरकार के स्तर पर लंबित है। इसके चलते न तो अस्पताल सेवाओं का पूर्ण विस्तार हो पा रहा है और न ही शैक्षणिक गतिविधियां शुरू हो सकी हैं।

    पढ़ाई की शुरुआत अभी बाकी

    एमबीबीएस पाठ्यक्रम के लिए राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग में आवेदन की प्रक्रिया भी अभी शुरू नहीं हो पाई है। अस्पताल प्रशासन का मानना है कि यदि भवन का हैंडओवर समय पर हो जाता है और सभी विषयों में फैकल्टी की बहाली पूरी कर ली जाती है, तो सत्र 2026-27 के लिए इसी वर्ष के मध्य तक नामांकन की स्वीकृति मिलने की संभावना बन सकती है।

    अस्पताल में एक्स-रे और अल्ट्रासाउंड सेवाएँ शीघ्र शुरू होने की उम्मीद है, जबकि फिजियोथेरेपी सेवा तकनीशियन की बहाली में देरी के कारण अब तक प्रारंभ नहीं हो सकी है। कुल मिलाकर मेडिकल कॉलेज का भविष्य सरकार और स्वास्थ्य विभाग की इच्छाशक्ति पर निर्भर करता दिख रहा है।

    स्थानीय विकास से भी जुड़ी उम्मीद

    माला गांव सहित आसपास के इलाकों के लोगों का मानना है कि जब देश के विभिन्न हिस्सों से छात्र और चिकित्सक यहां आएंगे, तो इससे न केवल स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार होगा, बल्कि स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी गति मिलेगी।

    आवास, परिवहन, व्यापार और रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे। साथ ही सांस्कृतिक आदान-प्रदान से क्षेत्र की पहचान भी मजबूत होगी। सारण प्रमंडल के इकलौते मेडिकल कॉलेज से लोगों को अब भी किसी बड़ी खुशखबरी का इंतजार है।

    आयुष्मान भारत से गरीबों को राहत

    मेडिकल कालेज के साथ-साथ जिले में लागू सरकारी स्वास्थ्य योजनाएं भी आम लोगों के लिए राहत का कारण बन रही हैं। आयुष्मान भारत योजना गरीब और जरूरतमंद परिवारों के लिए वरदान साबित हो रही है।

    जिले के सरकारी और सूचीबद्ध निजी अस्पतालों में हृदय रोग, किडनी, कैंसर और जटिल सर्जरी जैसे महंगे इलाज अब मुफ्त उपलब्ध हो रहे हैं।

    स्वास्थ्य प्रशासन के अनुसार, इस योजना से इलाज टालने की प्रवृत्ति में कमी आई है और मरीज समय पर अस्पताल पहुंच रहे हैं, जिससे उपचार के बेहतर परिणाम सामने आ रहे हैं।


    गैर संचारी रोगों की रोकथाम के लिए जिले में नियमित स्क्रीनिंग अभियान चलाए जा रहे हैं। हृदय रोग, मधुमेह और कैंसर जैसी बीमारियों की 30 वर्ष से अधिक आयु के लोगों में जांच से शुरुआती अवस्था में ही पहचान हो पा रही है।

    प्राथमिक और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर हो रही इन जांचों से यह स्पष्ट संकेत मिलता है कि स्वास्थ्य तंत्र अब केवल इलाज नहीं, बल्कि रोकथाम आधारित माडल की ओर बढ़ रहा है।

    मानसिक स्वास्थ्य को मिल रही जगह

    मानसिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी जिले में सकारात्मक पहल देखने को मिल रही है। राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत परामर्श और दवा की सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है।

    सदर अस्पताल में मानसिक रोग विशेषज्ञ डा. शिखा की हालिया पदस्थापना से अवसाद, नशा और तनाव से पीड़ित मरीजों को राहत मिल रही है। वह सप्ताह में तीन दिन ओपीडी में परामर्श देती हैं।

    हालांकि, विशेषज्ञों की संख्या बढ़ाने और समाज में जागरूकता फैलाने की आवश्यकता अभी बनी हुई है।


    सरकारी अस्पतालों में मुफ्त दवा वितरण और 102 व 108 एम्बुलेंस सेवाएं जिले के स्वास्थ्य ढांचे की मजबूत नींव बन चुकी हैं। गर्भवती महिलाओं और आपातकालीन मरीजों के लिए ये सेवाएँ कई बार जीवनरक्षक साबित हो रही हैं।

    खासकर ग्रामीण इलाकों में समय पर अस्पताल पहुंचना अब पहले की तुलना में काफी आसान हुआ है।

    कुपोषण और किशोर स्वास्थ्य पर जोर

    पोषण पुनर्वास केंद्रों के माध्यम से कुपोषित बच्चों के इलाज के साथ माताओं को पोषण संबंधी जानकारी दी जा रही है, जिससे दीर्घकालिक सुधार की उम्मीद बढ़ी है।

    वहीं परिवार नियोजन और किशोर-किशोरी स्वास्थ्य अभियानों से न केवल जनसंख्या नियंत्रण को बढ़ावा मिल रहा है, बल्कि महिलाओं और युवाओं के स्वास्थ्य में भी सकारात्मक बदलाव दिख रहा है।


    प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान के तहत जिले में हर माह निर्धारित तिथियों पर गर्भवती महिलाओं की विशेष जांच की जा रही है। पहले यह सुविधा जिला और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों तक सीमित थी, जिसे अब अतिरिक्त स्वास्थ्य केंद्रों तक विस्तारित किया गया है।

    जननी बाल सुरक्षा योजना ने संस्थागत प्रसव को प्रोत्साहित कर मातृ-शिशु मृत्यु दर घटाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। स्वच्छता और माहवारी प्रबंधन कार्यक्रमों से महिलाओं के स्वास्थ्य के साथ उनकी गरिमा भी सुनिश्चित हो रही है।


    कुल मिलाकर सारण जिले में स्वास्थ्य योजनाओं का दायरा और प्रभाव दोनों बढ़े हैं। अब सबसे बड़ी चुनौती इन योजनाओं की निरंतर निगरानी, संसाधनों की उपलब्धता और जनभागीदारी को मजबूत करना है।

    यदि राजकीय चिकित्सा महाविद्यालय पूरी क्षमता से संचालित हो जाता है और सरकारी योजनाएं इसी तरह प्रभावी ढंग से लागू होती रहीं, तो स्वास्थ्य के क्षेत्र में सारण की तस्वीर पूरी तरह बदल सकती है।