Pitru Paksh Mela 2023: गयाजी में पितृपक्ष मेले की कल से होगी शुरुआत, जानिए तर्पण की विधि और श्राद्ध की तिथियां
Pitru Paksh Mela 2023। बिहार के गयाजी में पितृपक्ष मेले कल से शुरू होगा। इसके लिए प्रशासन ने खास तैयारी की। इसमें पितरों का तर्पण करने से सौभाग्य प्राप्त होता है। यह मेला कल से शुरू होकर 14 अक्टूबर तक चलेगा। पितरों के तर्पण को लेकर देश-विदेश पिंडदानी गयाजी आने लगे हैं। ऐसे में कारोबारियों के लिए भी कमाई का अच्छा अवसर होगा।

जागरण संवाददाता, छपरा। Pitru Paksh Mela 2023। भाद्रपद शुक्ल (29 सितंबर) पूर्णिमा के बाद 30 सितंबर से पितृपक्ष शुरू हो जायेगा, जो 14 अक्टूबर तक चलेगा। पितृपक्ष में प्रतिपदा तिथि का श्राद्ध व तर्पण 30 सितंबर को ही किया जायेगा।
पंडित संपत कुमार मिश्र ने कहा कि शास्त्रों में मनुष्यों के लिए तीन ऋण बताये गये हैं। ये देव ऋण, ऋषि ऋण और पितृ ऋण है। मान्यता है कि श्राद्ध करने से कुल में वीर, निरोगी, शतायु और श्रेय प्राप्त करने वाली संतानें उत्पन्न होती हैं। इसलिए सभी के लिए श्राद्ध करना आवश्यक माना गया है।
उन्होंने कहा कि श्राद्ध कर्म से पितृ ऋण का उतारना आवश्यक है, क्योंकि जिन माता-पिता ने हमारी आयु, आरोग्य और सुख-सौभाग्य की अभिवृद्धि के लिए अनेक प्रयास किये, उनके ऋण से मुक्त नहीं होने पर हमारा जन्म ग्रहण करना निरर्थक होता है।
श्राद्धकर्म से पितृगण होते हैं प्रसन्न- संपत कुमार मिश्र
संपत कुमार मिश्र ने बताया कि जिस मास की जिस तिथि को माता-पिता की मृत्यु हुई हो, उस तिथि को श्राद्ध कर्म करने के सिवाय, आश्विन कृष्ण पक्ष (महालय) में भी उसी तिथि को श्राद्ध, तर्पण, गो ग्रास और ब्राह्मण भोजन कराना आवश्यक है। इससे पितृगण प्रसन्न होते हैं। हमारा सौभाग्य बढ़ता है।
उन्होंने कहा कि बेटे को चाहिए कि वह माता-पिता की मरण तिथि को स्नान कर तर्पण करें। किसी कारण से पितृपक्ष की अन्य तिथियों पर पितरों का श्राद्ध करने से चूक गये हैं या पितरों की तिथि याद नहीं है तो आश्विन अमावस्या तिथि पर पितरों का श्राद्ध करना चाहिए।
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पितृपक्ष में श्राद्ध की तिथियां
30 सितंबर- प्रतिपदा श्राद्ध |
01 अक्टूबर- द्वितीय श्राद्ध |
02 अक्टूबर- तृतीय श्राद्ध |
03 अक्टूबर- चतुर्थी श्राद्ध |
04 अक्टूबर- पंचमी श्राद्ध |
05 अक्टूबर- षष्ठी श्राद्ध |
06 अक्टूबर- सप्तमी श्राद्ध |
07 अक्टूबर- अष्टमी श्राद्ध |
08 अक्टूबर- नवमी श्राद्ध |
09 अक्टूबर- दशमी श्राद्ध |
10 अक्टूबर- एकादशी श्राद्ध |
11 अक्टूबर- द्वादशी श्राद्ध |
12 अक्टूबर- त्रयोदशी श्राद्ध |
13 अक्टूबर- चतुर्दशी श्राद्ध |
14 अक्टूबर- सर्व पितृ तर्पण अमावस्या |
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