सारण में दस साल बाद लहलहाई धान की फसल, किसानों के चेहरे खिले
जलालपुर में लंबे समय से सूखी नहरों में जल का प्रवाह शुरू होने से किसानों में खुशी की लहर दौड़ गई है। मुरझाई धान की फसलों को जीवनदान मिला है और खेतों में हरियाली लौट आई है। किसानों ने विधायक के प्रयासों को सराहा है जिन्होंने जल संसाधन विभाग पर दबाव बनाकर नहरों में पानी छुड़वाया। नहरों में जल पहुंचने से सिंचाई कार्य में तेजी आई है।

संवाद सहयोगी, जलालपुर (सारण)। कहा गया है कि जीव बिनु देह, नदी बिन वारी", यानी जैसे शरीर बिना आत्मा के निरर्थक हो जाता है, वैसे ही जल के बिना नदियां और नहरें भी बेकार है। लंबे अरसे से सूखी पड़ी नहरों में आखिरकार जल का प्रवाह शुरू हो गया है।
बीते तीन दिनों से बहते पानी ने मुरझाई धान की फसलों को नवजीवन दे दिया है। खेतों में सूखे और पीले पड़े पौधे अब फिर से हरे-भरे होकर लहलहाने लगे हैं।
क्षेत्र की प्रमुख नहरें
कुमना, मानसर, हंसुलाहीं, देवरिया, पोझियां और धेनुकी में पानी पहुंचते ही किसानों के चेहरे खिल उठे। उनका कहना है कि लगभग दस वर्षों बाद यह नजारा देखकर ऐसा लग रहा है मानो सपना हकीकत में बदल गया हो।
किसान बताते हैं कि जिन नहरों में कभी बच्चे क्रिकेट खेलते थे और किसान खलिहान बनाकर फसल कूटते थे, वहां आज पानी की लहरें दौड़ रही हैं।
दरअसल, जदयू-राजद की संयुक्त सरकार के दौरान मांझी के विधायक डॉ. सत्येन्द्र यादव ने तत्कालीन जल संसाधन मंत्री संजय झा से क्षेत्र की नहरों और तेल नदी की बदहाल स्थिति पर ध्यान देने की मांग की थी।
विधायक के प्रयास और विभागीय दबाव से बहाल हुआ प्रवाह
आश्वासन मिलने के बावजूद जब नहरों में पानी नहीं छोड़ा गया, तब विधायक ने जल संसाधन विभाग पर लगातार दबाव बनाए रखा। इसी का परिणाम है कि अब नहरों में पानी की धार बहने लगी है।
विधायक डॉ. यादव ने बताया कि हजारों एकड़ जमीन नहर निर्माण में चली गई, लेकिन किसान पानी के लिए तरसते रहे। इसे मैंने अपनी प्राथमिकता में रखा है और आगे भी प्रयास जारी रहेगा।
वहीं, स्थानीय किसानों अवध किशोर चौधरी, मोहन सिंह, मुखिया राजू साह, धूपन सिंह, डॉ. रामेश्वर प्रसाद और पप्पू चौधरी ने बताया कि लंबे समय से पानी के अभाव में वे धान की फसल को लेकर नाउम्मीद हो गए थे। लेकिन अब खेतों में जीवन लौट आया है। किसानों ने इसे भगवान की कृपा और विधायक की मेहनत का नतीजा बताया।
मुख्य नहर से निकलकर जलधाराएं शाखा नहरों तक पहुंच रही हैं, जिससे सिंचाई कार्य तेज हो गया है। विशेषकर कोपा नहर के जरिए खेतों तक पानी पहुंचना किसानों के लिए बड़ी राहत है।
नहरों में बहे इस जीवनदायी जल ने न सिर्फ फसलों को बचा लिया है, बल्कि किसानों की उम्मीदों को भी फिर से जगा दिया है।
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