Saran News: जलालपुर प्रखंड में बंदरों के उत्पात से मचा त्राहिमाम, बड़े अधिकारी तक पहुंची शिकायत
सारण जिले के जलालपुर और मांझी प्रखंड में बंदरों के आतंक से लोग परेशान हैं। बंदर फसलों को नष्ट कर रहे हैं और घरों में घुसकर खाना छीन रहे हैं। ग्रामीण वन विभाग से इन्हें पकड़कर जंगल में छोड़ने की मांग कर रहे हैं। धार्मिक मान्यताओं के चलते ग्रामीण बंदरों को मार भी नहीं सकते। इसकी शिकायत बड़े अधिकारी तक पहुंची है।

संवाद सहयोगी, जलालपुर। सारण के जलालपुर प्रखंड के कई गांवों सहित पड़ोसी प्रखंड मांझी के माड़ीपुर कला में बंदरों के उत्पात से लोगों में त्राहिमाम की स्थिति है।
जलालपुर प्रखंड के अनवल,साधपुर और पीयानो आदि गांवों में बंदरों ने उत्पात मचा रखा है। मांझी के माड़ीपुर कला में सबसे ज्यादा प्रकोप दिखाई दे रहा है।
इस गांव के सुखराम सिंह, पूर्व मुखिया जयप्रकाश सिंह, राकेश कुमार सिंह आदि ने बताया कि अनाज की फसल से लेकर सब्जियों की खेती बंदरों के उत्पात से नष्ट हो रही है।
यह प्रकोप पिछले 5 वर्षों से जारी है। यहां के लोग पहले सब्जी की खेती करते थे, लेकिन अब नहीं हो रही है। बंदरों का प्रकोप इस कदर हावी है कि घर में घुसकर तैयार खाना भी ले भागते है।
माड़ीपुर कला में 500 से अधिक बंदर उत्पात मचाए हुए है। शनिवार को आयोजित अष्टयाम के भोज के दौरान भी खूब उत्पात किया।
उत्पादी बंदर भोज खा रहे लोगों का पत्तल सहित भोजन भी छीनकर भागते देखे गए। लोग इन बंदरों को गुलेल से मारकर भगा रहे थे। ग्रामीणों ने बताया कि कई बार जनप्रतिनिधियों का ध्यान भी आकृष्ट किया गया लेकिन सभी ने अनसुनी कर दी
लोगों ने बताया कि वन विभाग को चाहिए कि इन्हें पकड़कर बेतिया के जंगलों में स्थानांतरित कर दे लेकिन विभाग भी चुप्पी साधे हुए है।
ग्रामीण बताते हैं कि जलालपुर प्रखंड के नूरनगर में बार पूर्व एमएलसी बनारस सिंह ने 60 से अधिक बंदरों को पकड़वाए थे। उन्होंने इसके लिए वन विभाग को पत्र लिखा था।
अनवल पंचायत सब्जी उत्पादन का हब था लेकिन बंदरों के प्रकोप से लोगों ने सब्जी की खेती बंद कर दिया। गांव के लोगों की धार्मिक मान्यता है कि बंदरों को मारना पाप है इसीलिए लोग बंदरों को मारते नहीं हैं।
मांझी विधायक डा सत्येन्द्र यादव ने बताया कि मैं वन विभाग के अधिकारियों से अपील करुंगा कि इन्हें पकड़कर बेतिया के जंगलों में भेज दिया जाय। भाजपा को किसानों की पीड़ा से कोई लेना-देना नहीं है।
क्या कहते हैं बीडीओ?
मैं वन विभाग के अधिकारियों से शीघ्र बात करुंगा कि बंदरों को रेस्क्यू कर सुरक्षित जंगलों में भेज दिया जाए ताकि लोगों की जान-माल और फसलों की रक्षा हो सके।-विनोद कुमार, बीडीओ जलालपुर
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