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    Manjhi Assembly Seat 2025: मांझी में चुनावी सरगर्मी तेज, महागठबंधन और NDA में टिकट को लेकर खींचतान

    Updated: Tue, 02 Sep 2025 03:48 PM (IST)

    सारण के मांझी विधानसभा क्षेत्र में 2025 के चुनाव के लिए राजनीतिक पारा चढ़ गया है। महागठबंधन और एनडीए दोनों ही पार्टियां अपनी पकड़ मजबूत करने में लगी हैं। क्षेत्र में सड़क सिंचाई जैसी मूलभूत समस्याएं अब भी बरकरार हैं। महागठबंधन में राजद कांग्रेस और माकपा के बीच टिकट को लेकर खींचतान है तो वहीं एनडीए में जेडीयू और भाजपा आमने-सामने हैं। सबकी निगाहें टिकट बंटवारे पर टिकी हैं।

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    मांझी में चुनावी सरगर्मी तेज, महागठबंधन और NDA में टिकट को लेकर खींचतान

    संजय सिंह दाउदपुर, सारण। मांझी विधानसभा क्षेत्र इस बार फिर से सूबे की राजनीति का केंद्र बन चुका है। जैसे-जैसे बिहार विधानसभा चुनाव नजदीक आ रहा है, यहां का राजनीतिक पारा लगातार चढ़ता जा रहा है। महागठबंधन जहां लगातार तीसरी बार जीत दर्ज कर अपनी पकड़ मजबूत करना चाहता है, वहीं एनडीए अपने खोए गढ़ को वापस पाने की कवायद में जुटा है।

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    दोनों ही गठबंधन के नेता जनसंपर्क और घोषणाओं के सहारे जनता को लुभाने में लगे हैं, लेकिन सवाल अब भी वहीं का वहीं है- क्या इस बार मांझी की जनता को सड़क, सिंचाई और नहर जैसी मूलभूत समस्याओं से राहत मिलेगी?

    अधूरी समस्याओं से परेशान जनता

    क्षेत्र में विकास की तस्वीर अब भी अधूरी है। माफी गांव का उदाहरण ही ले लीजिए- आजादी के 75 साल बाद भी यहां की सड़क समस्या जस की तस है। महादलित समुदाय की बस्ती तक जाने वाली सड़क का टेंडर तो हुआ, कुछ हिस्से पर काम भी शुरू हुआ, लेकिन जमीन विवाद के कारण कार्य रुक गया। नतीजा यह कि बरसात आते ही ग्रामीणों को पानी में होकर बाहर निकलना पड़ता है।

    किसानों की सिंचाई व्यवस्था भी दुरुस्त नहीं हो सकी है। वहीं, ताजपुर पंप नहर तैयार तो हो गया, लेकिन आज तक चालू नहीं हुआ। धीरे-धीरे उसकी हालत भी जर्जर हो रही है। जनता का कहना है कि नेता हर चुनाव में इन मुद्दों पर वादे तो करते हैं, मगर नतीजा शून्य ही रहता है।

    महागठबंधन : टिकट की जंग और सीट शेयरिंग की उलझन

    महागठबंधन के खेमे में इस बार मांझी को लेकर असमंजस बना हुआ है। राजद, कांग्रेस और माकपा- तीनों ही दल इस सीट को अपने पाले में खींचने की कोशिश कर रहे हैं।

    • राजद से दावेदारी: तेजस्वी यादव के करीबी और युवा ब्राह्मण नेता सुधांशु रंजन पांडेय सबसे मजबूत दावेदार बताए जा रहे हैं। पांच साल से लगातार सक्रिय रहकर उन्होंने सभी जाति वर्गों में अच्छी पकड़ बनाई है। इसके अलावा राजू रुद्र और पंकज राय (पूर्व उपप्रमुख के भाई) भी टिकट की होड़ में हैं।
    • कांग्रेस से दावेदारी: पूर्व मंत्री रविंद्र मिश्रा के पुत्र राहुल मिश्रा टिकट पाने की दौड़ में हैं। साथ ही, महाराजगंज के विधायक विजयशंकर दुबे भी मांझी से अपनी दावेदारी जता रहे हैं।
    • माकपा से मौजूदा विधायक: वर्तमान विधायक डॉ. सतेंद्र यादव एक बार फिर मैदान में उतरने की तैयारी कर रहे हैं। वे इस सीट को महागठबंधन के खाते में बनाए रखने के लिए जोर-शोर से सक्रिय हैं।

    यानी महागठबंधन के भीतर मांझी सीट को लेकर खींचतान जारी है। अब देखना यह है कि अंतिम फैसले में यह सीट किस पार्टी के खाते में जाती है।

    एनडीए : जेडीयू-भाजपा आमने-सामने

    एनडीए में भी टिकट की रेस उतनी ही रोचक है। मांझी परंपरागत तौर पर जेडीयू की सीट रही है, लेकिन इस बार भाजपा भी दावा ठोक रही है।

    • जेडीयू से दावेदारी: तीन बार के विधायक और दो बार मंत्री रह चुके गौतम सिंह सबसे मजबूत दावेदार माने जाते हैं। 2020 में टिकट नहीं मिलने के बावजूद उन्होंने पार्टी के प्रति वफादारी दिखाई थी। इनके अलावा, रणधीर सिंह (पूर्व सांसद प्रभुनाथ सिंह के पुत्र) और जितेंद्र सिंह भी टिकट की कतार में हैं।
    • भाजपा से दावेदारी: हेमनारायण सिंह, जिनकी समाज में मिलनसार छवि है, सबसे आगे बताए जाते हैं। युवा और ऊर्जावान नेता हरिमोहन सिंह उर्फ गुड्डू सिंह भी क्षेत्र में सक्रियता और जनसंपर्क के दम पर अपनी पहचान बना चुके हैं। रामप्रताप सिंह उर्फ डब्लू सिंह, जो लगातार तीन बार निर्दलीय मैदान में उतर चुके हैं और पिछली बार अच्छा वोट भी हासिल किया, इस बार भाजपा से टिकट चाहते हैं। इनके अलावा मकेश्वर सिंह और कई अन्य नाम भी सूची में शामिल हैं। स्पष्ट है कि एनडीए के भीतर भी मांझी को लेकर भाजपा और जेडीयू आमने-सामने हैं।

    जनता की अदालत में नेता जी

    मांझी की राजनीति इस बार पूरी तरह से पुराने और नए चेहरों की टक्कर में बदलती दिख रही है। महागठबंधन अपने पुराने आधार को बचाने में जुटा है, जबकि एनडीए जनता को नए विकल्प देने का दावा कर रही है। लेकिन असली कसौटी जनता की अदालत ही होगी, जहां विकास बनाम वादे की परीक्षा होगी।

    निष्कर्ष : टिकट बंटवारे पर टिकी निगाहें

    मांझी विधानसभा में इस बार चुनावी महासमर काफी रोचक है। महागठबंधन लगातार जीत की हैट्रिक लगाना चाहता है, वहीं एनडीए अपनी खोई हुई जमीन दोबारा हासिल करने की रणनीति बना रहा है। फिलहाल दोनों ही गठबंधन में सीट बंटवारे को लेकर खींचतान जारी है। अंतिम फैसला आने के बाद ही साफ होगा कि किसके पाले में मांझी की सीट जाएगी और जनता किसे अपना जनप्रतिनिधि चुनती है।

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