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कौमी इत्तेहाद का उद्देश्य है आतंकवाद को जड़ से मिटाना: बलियावी

देश में पाये जाने वाले हर तरह के आतंकवाद को जड़ से मिटाना कौमी इत्तेहाद का उद्देश्य है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 13 May 2018 08:31 PM (IST)Updated: Mon, 14 May 2018 11:12 AM (IST)
कौमी इत्तेहाद का उद्देश्य है आतंकवाद को जड़ से मिटाना: बलियावी

छपरा। देश में पाये जाने वाले हर तरह के आतंकवाद को जड़ से मिटाना कौमी इत्तेहाद का उद्देश्य है। इसी उद्देश्य के मद्देनजर 2005 में मोर्चा का गठन हुआ था। उस दिन से आज तक मोर्चा को बडे़ पैमाने पर सफलता मिल रही है। मुल्क के 9 राज्य में मोर्चा अपना काम कर रहा है। दबे कुचले गरीब मजलूमों को बुनियादी शिक्षा दिलाना भी मोर्चा की प्राथमिकता है। उक्त बातें पूर्व राज्यसभा सांसद, एमएलसी व कौमी इत्तेहाद मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष गुलाम रसूल बलिवावी ने रजा पैलेस के सभागार में मोर्चा के सारण इकाई द्वारा रविवार को आयोजित महासम्मेलन को संबोधित करते हुए कहीं।

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उन्होंने कहा कि राजनैतिक पार्टियों ने जात और धर्म के नाम पर गरीबों का शोषण किया है। मुसलमानों ने उनके भ्रमजाल में फंस कर वोट दिया। जिससे उन लोगों ने मुसलमानों का कुछ ज्यादा ही शोषण किया। मोर्चा ने इसके खिलाफ बड़े पैमाने पर आंदोलन किया है। आज मुल्क में हर जगह अराजकता का माहौल है। कुछ राजनैतिक पार्टियों के द्वारा एक खास साजिश के तह खास वर्ग के लोगों कों परेशान किया जा रहा है। उन्होंने मुलसमानों से अपील की कि वे सेक्यूलर पार्टियों के बहकावे को समझें और सही व्यक्ति का चुनाव करें। शिक्षा के स्तर, तालिमी मेयार को ¨जदा रखना है। राजनैतिक पार्टी वोट तो ले लेती है लेकिन अगर कोई मुसलमान खड़ा होता है जो सेक्यूलर पार्टियां अपना वोट ट्रांसफर नहीं करा पाती हैं। जिससे आज संसद में मुसलमानों की प्रतिनिधित्व कम होता जा रहा है। कौम की समस्या को सदन में मजबूती के साथ नहीं रखा जाता हैं। इन्हीं सब समस्याओं को लेकर मोर्चा जोरदार ठंग से आंदोलन करेगा। मुस्लिम व दलित समुदाय को बुनियादी सुविधा मिले, इसके लिए मुस्लिम और दलित को एकजुट होकर संघर्ष करने की आवश्यकता है।

वक्ताओं ने कहा कि कौमी इत्तेहाद मोर्चा मोहब्बत का एक नमूना है। अतिथियों का स्वागत और धन्यवाद ज्ञापन मोर्चा के जिला संयोजक हाजी कासिम रजा ने व संचालन साहब रजा खान ने किया। इस मौके पर मौलाना यार मोहम्मद सलफी, मौलाना नेसार मिस्बाही, मो शमशाद, जमाल अहमद, फैयाज आलम, शहाब राइन, मो. परवे•ा आदि मौजूद थे।


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