Railway: भाप से बिजली तक का सफर, भारतीय रेलवे ने विद्युतीकरण के 100 साल किये पूरे; जानें गौरवशाली इतिहास
2025 में भारतीय रेल विद्युतीकरण के 100 वर्ष पूरे होने के साथ भारत अपने ब्रॉड गेज नेटवर्क के 100% विद्युतीकरण की ओर अग्रसर है। यह उपलब्धि न केवल तकनीकी विकास का प्रतीक होगी बल्कि भारत के सतत परिवहन और ऊर्जा सुरक्षा की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम भी होगी।16 अप्रैल 1853 को भारत में पहली ट्रेन चली और 3 फरवरी 1925 को देश की पहली विद्युत रेल मुंबई में दौड़ी।

संवाद सूत्र, नयागांव। मुंबई के छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस से कुर्ला तक पहली विद्युत चालित ट्रेन के परिचालन के साथ रेल परिवहन के क्षेत्र में भारत ने 3 फरवरी 1925 को एक नया अध्याय जोड़ा था।
यह कदम भारतीय रेल के आधुनिकीकरण की दिशा में एक मील का पत्थर साबित हुआ। अब, 2025 में भारतीय रेल अपने ब्रॉड गेज नेटवर्क के 100 प्रतिशत विद्युतीकरण के करीब है, जो इसे दुनिया के सबसे बड़े स्वच्छ और कुशल रेल नेटवर्क में शामिल करता है।
विद्युतीकरण की यात्रा, शुरुआत से आज तक
1879 में जर्मनी में दुनिया की पहली इलेक्ट्रिक ट्रेन चली, लेकिन भारत को इस तकनीक को अपनाने में 46 वर्ष लगे। 1925 में मुंबई से कुर्ला के बीच 1500 वोल्ट डीसी प्रणाली पर पहली विद्युत रेल सेवा शुरू हुई, जिससे भारत एशिया में यह उपलब्धि हासिल करने वाला तीसरा देश बना।
इसके बाद 1931 में चेन्नई और 1957 में कोलकाता में विद्युतीकरण की शुरुआत हुई। 1959 में भारत ने 25 केवी एसी प्रणाली को अपनाया, जिससे विद्युतीकरण को गति मिली।
1966 तक पूर्वी रेलवे में आधे से अधिक माल परिवहन इलेक्ट्रिक इंजन से होने लगा। 2014 तक भारतीय रेल का 21,801 रूट किलोमीटर विद्युतीकृत था, जबकि 2024 तक यह संख्या 44,199 तक पहुंच गई।
रेल विद्युतीकरण से आर्थिक और पर्यावरणीय लाभ
विद्युतीकरण से डीजल पर निर्भरता घटी, ऊर्जा दक्षता बढ़ी और कार्बन उत्सर्जन में कमी आई। इससे न केवल विदेशी मुद्रा की बचत हुई बल्कि माल ढुलाई और यात्री परिवहन भी किफायती हुआ।
2023-24 में भारतीय रेल ने प्रतिदिन 19.7 किलोमीटर विद्युतीकरण का रिकॉर्ड बनाया, जो दर्शाता है कि भारत स्वच्छ परिवहन की दिशा में कितनी तेजी से आगे बढ़ रहा है।
2025 में पूरे होंगे 100 वर्ष
2025 में भारतीय रेल विद्युतीकरण के 100 वर्ष पूरे करेगा, यह उपलब्धि न केवल तकनीकी विकास का प्रतीक होगी, बल्कि भारत के सतत परिवहन और ऊर्जा सुरक्षा की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम भी होगी।
समस्तीपुर-दरभंगा रेलखंड पर दोहरीकरण कार्य अंतिम चरण में, जुलाई से ट्रेन परिचालन की उम्मीद
समस्तीपुर-दरभंगा रेलखंड पर दोहरीकरण का कार्य तेज़ी से आगे बढ़ रहा है। रामभद्रपुर से थलवारा के बीच 12 किलोमीटर लंबे इस रेल खंड में निर्माण कार्य को 30 जून तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है।
यदि सब कुछ योजना के अनुसार हुआ, तो जुलाई से इस नए ट्रैक पर ट्रेनों का संचालन शुरू हो सकता है। डीआरएम का कहना है कि दोहरीकरण पूरा होने के बाद इस रूट पर ट्रेनों की गति और संख्या में वृद्धि होगी, जिससे यात्रियों को सुविधा मिलेगी और लेटलतीफी की समस्या भी कम होगी।
इसी बीच हायाघाट स्टेशन के पास स्थित सबवे नंबर 15बी के निर्माण कार्य को लेकर दरभंगा जिला प्रशासन से अनुमति मिल गई है। पहले यह रेलवे गुमटी थी, लेकिन जाम की समस्या को देखते हुए इसे सबवे में बदल दिया गया था।
अब दोहरीकरण के कारण इसकी लंबाई 32 मीटर तक बढ़ाई जाएगी, जिसके लिए निर्माण कार्य के दौरान इसे अस्थायी रूप से बंद किया जाएगा।
प्रशासन ने रेलवे को निर्देश दिया है कि निर्माण कार्य शुरू करने से 15 दिन पहले इस संबंध में सार्वजनिक सूचना जारी की जाए, ताकि लोगों को असुविधा न हो। रेलवे के इंजीनियरों के अनुसार रामभद्रपुर-हायाघाट और थलवारा-हायाघाट के बीच युद्धस्तर पर काम चल रहा है।
70 प्रतिशत कार्य पूरा
इन स्टेशनों के बीच मिट्टीकरण का कार्य पहले ही पूरा कर लिया गया है जबकि पुल नंबर 15 ए और 15 बी का निर्माण कार्य भी समाप्त हो चुका है। बागमती नदी पर पुल नंबर 16 और करेह नदी पर पुल नंबर 17 पर लगभग 70 प्रतिशत कार्य पूरा हो चुका है। जिसे 30 जून से पहले पूरा करने की योजना है।
इसके बाद रेलवे लाइन बिछाने का कार्य भी पूरा कर लिया जाएगा। निर्माण कार्य पूरा होने के बाद रेलवे सुरक्षा आयुक्त इस खंड का निरीक्षण करेंगे। उनकी स्वीकृति मिलने के बाद इस नए दोहरी लाइन पर ट्रेनों का परिचालन शुरू कर दिया जाएगा।
गौरतलब है कि इस दोहरीकरण परियोजना की शुरुआत वर्ष 2015 में 519 करोड़ रुपये की लागत से हुई थी। इस परियोजना के तहत रेलवे ट्रैक और पुल निर्माण के लिए 491 करोड़ रुपये और इलेक्ट्रिक वायरिंग के लिए 28 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे।
इसे तीन वर्षों में पूरा करने का लक्ष्य था, लेकिन नौ साल बीतने के बावजूद अब तक सिर्फ 28 किलोमीटर रेलवे ट्रैक का दोहरीकरण पूरा हो सका है। काम में देरी को देखते हुए परियोजना को विभिन्न चरणों में विभाजित किया गया।
पहले चरण में समस्तीपुर से किशनपुर (10.50 किमी) और दूसरे चरण में दरभंगा से थलवारा (9.50 किमी) के बीच दोहरीकरण का कार्य पूरा किया गया। तीसरे चरण में किशनपुर से रामभद्रपुर के बीच ट्रैक बिछाया गया, जबकि चौथे और पांचवे चरण में रामभद्रपुर-हायाघाट और हायाघाट-थलवारा के बीच कार्य किया जा रहा है।
रामभद्रपुर से थलवारा युद्ध स्तर पर कार्य चल रहा है। 30 जून तक कार्य पूरा करने का लक्ष्य है। पूरी कोशिश की जा रही है कि समय सीमा के अंदर कार्य पूरा कर परिचालन शुरू किया जा सके।- विनय श्रीवास्तव, मंडल रेल प्रबंधक समस्तीपुर
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