सारण : डीडी कौशांबी महान इतिहासकार एवं शांति के संरक्षक थे
सारण। जयप्रकाश विश्वविद्यालय के स्नातकोत्तर इतिहास विभाग में शनिवार को इतिहासकार दामोदर धर्मानंद कौशांबी की इतिहास दृष्टि का प्रदाय विषय पर एक परिचर्चा का आयोजन किया गया। मुख्य वक्ता डा. सुधीर कुमार ने डीडी कौशांबी के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर व्यापक चर्चा हुए कहा कि वे महान इतिहासकार एवं शांति के संरक्षक थे। उन्होंने वंश के परिवर्तन से ज्यादा समाज के भौतिक तत्वों में किस तरीके से परिवर्तन होता है और उसका समाज पर कैसा प्रभाव होता है, इसको बताया। विशिष्ट वक्ता डा. राजेश नायक ने डीडी कौशांबी को मार्क्सवादी इतिहास लेखक के रूप में प्रथम स्थान पर रखा। उन्होंने इतिहास की समग्रता पर जोड़ दिया। डा. कृष्ण कन्हैया ने डीडी कौशांबी के जीवन चरित्र की व्यापक चर्चा की। डा. ऋतेश्वर नाथ तिवारी ने बताया कि डीडी कौशांबी का सबसे बड़ा योगदान इतिहास का वैज्ञानिक काल विभाजन किया जाना है। डा. अभय कुमार सिंह ने शोध की प्रासंगिकता एवं व्यापक स्तर पर व्यापक चर्चा की। डा. श्याम प्रकाश ने इतिहास की पुरातात्विक गहराइयों पर व्यापक चर्चा की। परिचर्चा की अध्यक्षता कर रहे पीजी इतिहास विभाग के अध्यक्ष डा. सैयद राज ने डीडी कोसांबी के कृतित्व पर व्यापक चर्चा की। परिचर्चा के दूसरे सत्र में पीएचडी कोर्स वर्क के शोधार्थी अविनाश कुमार, पंकज कुमार, रंजीत कुमार, दीपक कुमार जयसवाल, सौम्या शालिनी, दामोदर चारी मिश्र, मिथिलेश कुमार सिंह, प्रमोद कुमार शर्मा, अंजू कुमारी, हिमांशु कुमार राय, धर्मेंद्र कुमार, कौशल किशोर, पूनम कुमारी ने इतिहासकार डीडी कौशांबी की इतिहास दृष्टि ब प्रदाय पर अपना व्याख्यान दिया। मंच का संचालन छात्रा सौम्या शालिनी एवं प्रतिवेदन अविनाश कुमार ने प्रस्तुत किया। धन्यवाद ज्ञापन दीपक कुमार जायसवाल ने किया। इस मौके पर अन्य शोधार्थी मौजूद थे।
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