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    Ayodhya Ram Mandir: एक दिसंबर 1992 को छपरा जंक्शन से कारसेवा के लिए अयोध्या निकले थे लोग, कारसेवक ने खोली यादों की गठरी

    Ayodhya Ram Mandir News अयोध्या में श्रीराम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा की धूम जोरों पर है। 500 साल बाद पूरे हो रहे सपने को देखकर सभी की भावनाएं हिलोरे मार रही हैं। इन सब के बीच राम जन्मभूमि मुक्त कराने में कारसेवकों का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। तब दिघवारा से दर्जन भर से भी अधिक कार सेवकों ने हिस्सा लिया था।

    By rajeev kumar Edited By: Prateek Jain Updated: Mon, 08 Jan 2024 11:14 PM (IST)
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    अयाेध्‍या में कारसेवा में शामिल होने वाले अशोक कुमार सिंह।

    संजय शर्मा, दिघवारा (सारण)। अयोध्या में श्रीराम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा की धूम जोरों पर है। 500 साल बाद पूरे हो रहे सपने को देखकर सभी की भावनाएं हिलोरे मार रही हैं। इन सब के बीच राम जन्मभूमि मुक्त कराने में कारसेवकों का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। तब दिघवारा से दर्जन भर से भी अधिक कार सेवकों ने हिस्सा लिया था।

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    उन कारसेवकों का कहना है कि संघर्ष व बलिदान का फल है कि आज अयोध्या में प्रभु श्रीराम के दर्शन करने का सौभाग्य मिलेगा।

    मुख्य रूप से तब दिघवारा से अशोक कुमार सिंह के नेतृत्व में एक दर्जन से अधिक लोगों का जत्था 500 साल की दासता से मुक्त कराने को भगवान श्रीराम के लिए सब कुछ न्यौछावर कर देने को अयोध्या के लिए कूच कर गए थे।

    कारसेवक के रूप में अपनी यादों की गठरी खोलते हुए आरजेएस कालेज के अध्यक्ष व युवा नेता अशोक कुमार सिंह ने बताया कि एक दिसंबर 1992 को छपरा जंक्शन से ट्रेन से अयोध्या पहुंचे थे।

    अयोध्‍या के नारायणी म‍ंंदिर में रुके थे कारसेवक

    बताया कि एक सप्ताह तक वहां के नारायणी मंदिर में प्रवास किये। मंदिर में कई सालों से खड़े रहने वाले खरेसरी बाबा रहते थे जो परिणाम का परवाह नहीं करने को लेकर हम कारसेवकों का उत्साह बढा रहे थे। बजरंग दल के विनय कटियार के आवास नारायणी मंदिर से कुछ ही दूरी पर था।

    विनय कटियार का भरपुर सहयोग मिला। वहां विनय कटियार व अशोक सिंघल का भाषण भी सुना। छह दिसंबर को नारायणी मंदिर से प्रतिकात्मक कार सेवा के लिए निकले। सड़क पर लाखों कार सेवक की भीड़ थी। भीड़ में मै एक अकेला बड़े डंडे में दो मुंह का श्रीराम पताका लेकर लहराता था।

    भीड़ में मेरे झंडे को लहराता देख मेरा जत्था मेरे पास पहुंच जाते थे। पुलिस का भी कड़ा पहरा था और कार सेवकों को रोक रहीं थी। इस बीच पुलिस ने अश्रुगैस का इस्तेमाल कर लाठी चार्ज कर दिया। जत्थे में शामिल हमलोग पुलिस की लाठीचार्ज में घायल भी हो गए।

    बावजूद वहां ईट रखी व ईट से ही वहां मंदिर बनाया। वहां स्थिति बिगड़ने पर घायलावस्था में नारायणी मंदिर में छुपे। जैसे तैसे इलाज करा स्टेशन पर पहुंचे। ट्रेन पर बैठे तब ट्रेन के गुजरने पर जगह जगह पथराव होने से ट्रेन के डिब्बे के गेट व खिड़की को बंद कर जैसे तैसे दिघवारा सकुशल पहुंचे।

    अब कारसेवा के जत्थे में शामिल कई कारसेवक स्वर्गवासी हो गए। उनमें दीपक उर्फ झूलन सिंह ( त्रिलोकचक) सीताराम सिंह (मलखाचक) अमरलाल (नकटीदेवी रोड का स्वर्गवास हो गया, जबकि मुन्ना सिंह खलपुरी, बलिराम सिंह, अरूण सिंह (रानीपुर), देवेन्द्र सिंह (ककढ़िया), सुनील ठाकुर (हराजी) आदि कारसेवक आज रामजन्म भूमि को मुक्त कराने में अपने योगदान को याद कर प्रफुल्लित हो रहे हैं।

    उस समय अशोक कुमार सिंह युवा जनता दल के प्रदेश महासचिव थे। प्रभु श्रीराम के लिए पार्टी से इस्तीफा देकर कारसेवक बन अयोध्या गए थे। श्री सिंह का कहना है कि भगवान श्रीराम के दर्शन के लिए जत्था लेकर अयोध्या जरूर जाउंगा।

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