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    मस्ती के सुर में ज्ञान की सीख, समस्तीपुर के इस शिक्षक का अंदाज है सबसे अलग

    By Prakash Kumar Edited By: Ajit kumar
    Updated: Sat, 27 Dec 2025 05:04 PM (IST)

    समस्तीपुर स्थित हसनपुर के मालदह प्राथमिक कन्या विद्यालय के शिक्षक वैद्यनाथ रजक बच्चों को शीतलहर से बचाव के उपाय रोचक अंदाज में सिखा रहे हैं। वे गाने क ...और पढ़ें

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    Bihar School News: अलग-अलग विषयों पर बच्चों को जागरूक करते रहते हैं। जागरण

    जागरण संवाददाता, समस्तीपुर। Cold Wave Awareness: शीतलहर का दौर है, धूप रूठी हुई है और ठंड से बचना सबसे बड़ी चुनौती। ऐसे में समस्तीपुर के एक शिक्षक ने बच्चों को ठंड से बचाने का तरीका किताबों से नहीं, बल्कि गीत की तर्ज पर सिखाया है।

    “शीतलहर जारी है, धूप भी बेगाना… खुद को बचाना, कंबल और चादर को साथी बनाना”
    यह कोई मंचीय प्रस्तुति नहीं, बल्कि स्कूल में पढ़ाई का अनोखा तरीका है।

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    समझाने का रोचक अंदाज

    यह अंदाज है हसनपुर प्रखंड के मालदह प्राथमिक कन्या विद्यालय के शिक्षक वैद्यनाथ रजक का। हिंदी और अंग्रेजी पढ़ाने वाले वैद्यनाथ रजक पढ़ाने में जितने गंभीर हैं, समझाने में उतने ही रोचक। उनका उद्देश्य साफ है—बच्चे बात को समझें, उसे अपनाएं और सुरक्षित रहें।

    ठंड से बचाव की सलाह

    इन दिनों शीतलहर और घने कोहरे को देखते हुए उन्होंने बच्चों को गीत के माध्यम से ठंड से बचाव के उपाय बताए हैं। टोपी, स्वेटर, जैकेट पहनने से लेकर जूते पहनकर चलने, ठंडे पानी के कम उपयोग और सुबह-शाम बाहर निकलने से बचने तक की सीख गीत के बोल में पिरो दी है। बच्चे भी पूरे मन से इस गीत को गुनगुनाते नजर आते हैं।

    इंटरनेट पर वायरल

    वैद्यनाथ रजक का यह अंदाज पहली बार नहीं दिखा है। इससे पहले वे कभी लू से बचाव, कभी सड़क सुरक्षा तो कभी स्वच्छता जैसे गंभीर विषयों पर गीत गाकर बच्चों को जागरूक कर चुके हैं। उनके वीडियो इंटरनेट मीडिया पर भी खूब पसंद किए जाते हैं।

    विशेष ध्यान देने की जरूरत

    शिक्षक वैद्यनाथ रजक का कहना है कि बालमन बहुत भोला होता है। यदि बात बोझिल लगे तो बच्चे उसे नजरअंदाज कर देते हैं, लेकिन जब वही बात गीत और मस्ती के साथ कही जाए तो वह सीधे दिल तक पहुंचती है। शीतलहर के समय बच्चों पर विशेष ध्यान देने की जरूरत होती है, इसलिए उन्होंने यह तरीका अपनाया।

    गंभीर विषयों की आसान समझ

    वैद्यनाथ रजक बताते हैं कि उन्होंने वर्ष 2006 में इस विद्यालय में योगदान दिया था। यहां करीब 250 बच्चे पढ़ते हैं। उनका मानना है कि गीत-संगीत और भाव-भंगिमा से बच्चे जल्दी और लंबे समय तक सीखते हैं। कोरोना की दूसरी लहर के बाद स्कूल खुलने पर उन्होंने मास्क और दो गज दूरी पर आधारित गीत भी तैयार किया था।

    मिल चुका शिक्षक सम्मान

    खास बात यह है कि वे खुद ही गीतों की रचना करते हैं। शिक्षा के इस अनोखे प्रयोग के लिए उन्हें बिहार सरकार की ओर से शिक्षक सम्मान से भी नवाजा जा चुका है। समस्तीपुर का यह शिक्षक आज यह साबित कर रहा है कि पढ़ाई सिर्फ किताबों से नहीं, बल्कि सुर, लय और संवेदनाओं से भी कराई जा सकती है।