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    समस्तीपुर सदर अस्पताल की चिकित्सा व्यवस्था बदहाल, 4 लैब टेक्नीशियन के भरोसे रक्त जांच केंद्र

    Updated: Thu, 25 Dec 2025 06:41 AM (IST)

    समस्तीपुर सदर अस्पताल की चिकित्सा व्यवस्था चरमरा गई है। यहां रक्त जांच केंद्र केवल 4 लैब टेक्नीशियन के भरोसे चल रहा है, जिससे मरीजों को भारी परेशानी क ...और पढ़ें

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    सांकेतिक तस्वीर

    जागरण संवाददाता, समस्तीपुर। जिला मुख्यालय स्थित सदर अस्पताल में चिकित्सा व्यवस्था बदहाल स्थिति में है। यहां इलाज कराने में लोगों को काफी मशक्कत करनी पड़ती है। एक तरफ जहां सरकारी अस्पतालों को बेहतर बनाने के दावे किये जा रहे है, वहीं चिकित्सक व स्वास्थ्य कर्मियों की कमी के कारण सदर अस्पताल का हाल बुरा है। सदर अस्पताल के ओपीडी भवन में स्थित रक्त जांच केंद्र तकनीकी स्टाफ की कमी झेल रहा है। रक्त जांच केंद्र में मात्र 4 टेक्नीशियन तैनात है।

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    इनके जिम्मे 24 घंटा सेवा देनी है। मरीज को भी रिपोर्ट दिए जाने में विलंब हो रहा है। जबकि, विभागीय रिपोर्ट के अनुसार 12 लैब टेक्नीशियन का पद है। एक्सपर्ट की मानें तो एक लैब टेक्नीशियन पांच से छह घंटा में 15-20 ब्लड सैंपल की ही जांच ही कर सकते हैं। लेकिन सदर अस्पताल में स्थित रक्त जांच केंद्र में 130-150 जांच प्रतिदिन आ रहे हैं।

    इस कारण यहां हो रहे जांच की प्रमाणिकता भी सवालों के घेरे में है। सदर अस्पताल में आइडियल रक्त जांच केंद्र बनाने की प्रक्रिया शुरू की गई है। विभागीय स्तर पर 2500 वर्ग फीट जगह देने को कहा गया है। सदर अस्पताल के उपाधीक्षक डॉ. गिरीश कुमार का कहना है कि मरीजों को 24 घंटा जांच की सुविधा दी जा रही है। प्रत्येक दिन लगभग 150 मरीज जांच करा रहे है। कर्मी की कमी को लेकर सिविल सर्जन को पत्र लिखा गया है।

    तीन शिफ्ट में मरीजों को मिल रही सुविधा

    सदर अस्पताल में रक्त जांच केंद्र का संचालन तीन शिफ्ट में 24 घंटा हो रहा है। इसमें प्रथम शिफ्ट सुबह 8 से दोपहर 2, दूसरी शिफ्ट दोपहर दो से रात्रि आठ बजे तक हो रहा है। जबकि, तीसरी शिफ्ट का संचालन रात्रि आठ से अगले दिन सुबह आठ बजे तक हो रहा है।

    सदर अस्पताल में पैथोलाजिस्ट की नहीं हुई तैनाती

    सदर अस्पताल के रक्त जंच केंद्र में पैथाेलाजिस्ट या डाक्टर की जगह लैब टेक्नीशियन ही कार्य कर रहे है। टेक्नीशियन खून, पेशाब की जांच कर रहे हैं और रिपोर्ट जारी कर रहे हैं। जबकि, प्राइवेट लैब में डाक्टर की अनिवार्यता रहती है। ऐसे में स्वास्थ्य प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल खड़ा होना लाजमी है। वहीं मरीज टेक्नीशियन के दिए रिपोर्ट के भरोसे गर्भवती महिला प्रसव करवाती हैं और अन्य मरीज इसी जांच रिपोर्ट के भरोसे इलाज करवाते हैं।

    जांच रिपोर्ट जारी करने की अनुमति सिर्फ पैथोलाजिस्ट या संबंधित एमबीबीएस चिकित्सक को है, लेकिन सदर अस्पताल में जांच रिपोर्ट लैब टेक्नीशियन जारी करते हैं। सरकार भले ही स्वास्थ्य सेवा को चुस्त दुरुस्त करने के लिए सदर अस्पतालों में संसाधन बढ़ा रही है। कई विभागों में उनके मैनपावर की पूर्ति नहीं कर पा रही है, जिस कारण स्वास्थ्य सेवा जिला में बदहाल स्थिति में है। पैथोलाजिस्ट ही नहीं बल्कि सदर अस्पताल के विभिन्न विभागों में कर्मी की कमी है।