समस्तीपुर में फर्जी दवा एजेंसी का भंडाफोड़, एक्सपायर्ड लाइसेंस पर हजारों नशीली इंजेक्शन की सप्लाई
समस्तीपुर के दलसिंहसराय में ड्रग विभाग ने एक फर्जी दवा एजेंसी का भंडाफोड़ किया है। यह एजेंसी बिना लाइसेंस के नशीली दवाओं की आपूर्ति कर रही थी। विभाग न ...और पढ़ें

समस्तीपुर में फर्जी दवा एजेंसी का भंडाफोड़
जागरण संवाददाता, समस्तीपुर। जिले के दलसिंहसराय क्षेत्र में ड्रग विभाग ने एक ऐसी दवा की दुकान का पर्दाफाश किया है, महीनों से खुली नहीं और उसके नाम पर नशीली दवाओं की बड़े पैमाने पर आपूर्ति की जा रही थी। विभाग की टीम ने दलसिंहसराय के गंज रोड स्थित मेसर्स मां ड्रग एजेंसी पर छापा मारा तो दुकान भौतिक अस्तित्व में नहीं मिला।
आसपास के लोगों ने बताया कि दुकान बंद हो चुकी है। इसके बाद औषधि विभाग ने दुकान मालिक से संपर्क किया। मालिक ने बताया कि दुकानदार दवा खाली कर चला गया। उसके बारे में कोई जानकारी नहीं है।
ड्रग लाइसेंस की अवधि समाप्त
ड्रग विभाग को फुटकर दुकान के लाइसेंस पर बड़े पैमाने पर क्लोनाजेपम, डाइजेप, लोराजेपाम नशीली दवाओं की आपूर्ति की गोपनीय सूचना मिली थी। जब छानबीन बढ़ी तो सामने आया कि ड्रग लाइसेंस की अवधि ही समाप्त हो चूंकि है। इसके बाद मामला सामने आया कि दुकान बंद होने के बाद भी अवैध कारोबार चल रहा है। इन तीनों दवाओं का नशे के रूप में इस्तेमाल किया जाता है।
आशंका है कि इन दवाओं की अवैध आपूर्ति फुटकर बाजार में की जा रही थी। सहायक औषधि नियंत्रक शंभूनाथ ठाकुर ने बताया कि संतोषजनक जवाब न मिलने पर दुकान संचालक के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया जाएगा। उसके नेटवर्क की भी जांच की जाएगी। इस मामले में दवा दुकानदार से दवाओं के क्रय-विक्रय की विवरणी एक सप्ताह के अंदर देने को लेकर पत्र जारी किया गया है।
दो साल पूर्व लाइसेंस की अवधि समाप्त
समस्तीपुर जिला अंतर्गत दलसिंहसराय के गंज रोड स्थित मेसर्स मां ड्रग एजेंसी का लाइसेंस की अवधि समाप्त हो चुकी है। ड्रग लाइसेंस 31 अक्टूबर 2018 से 30 अक्टूबर 2023 तक की अवधि के लिए परमानंद राय के नाम से जारी किया गया था।
लाइसेंस अवधि खत्म होने के चार महीने बाद खरीदी दवा
ड्रग लाइसेंस की अवधि समाप्त होने के उपरांत 24 फरवरी 2024 को लाइसेंस संख्या के आधार पर दवा खरीदी गई। इसमें इनवायस संख्या डीभी10626 पर क्लोनाजेपम इंजेक्शन की 8500 वायल, डाइजेप की 2500 एवं लोराजेपाम इंजेक्शन की 10 हजार वायल खरीदी गई थी।
विभाग इस मामले को एक बड़े नेटवर्क से जोड़कर देख रहा है। अधिकारियों का कहना है कि नशीली दवाओं की खरीद-बिक्री के पीछे संगठित गिरोह सक्रिय हो सकता है।

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