स्वास्थ्य से जुड़ी परेशानी होगी कम, समस्तीपुर में खुलेंगे 17 शहरी हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर
Ayushman Bharat Scheme: समस्तीपुर में शहरी स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करने के लिए 17 नए शहरी हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर खोले जाएंगे। इन केंद्रों के निर्माण ...और पढ़ें

प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाएं शहरी इलाकों में आसानी से उपलब्ध होंगी। फाइल फोटो
प्रकाश कुमार, समस्तीपुर। Urban Health Wellness Cente: शहरी स्वास्थ्य सेवाओं को बड़ी मजबूती मिलने जा रही है। जन आरोग्य प्रधानमंत्री आयुष्मान भारत योजना के तहत जिले के शहरी क्षेत्रों में 17 शहरी हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर खोले जाएंगे।
स्वास्थ्य विभाग ने इसकी तैयारी शुरू कर दी है, जिससे आम लोगों को इलाज के लिए अब दूर-दराज नहीं जाना पड़ेगा। स्वीकृत योजना के अनुसार, समस्तीपुर नगर निगम क्षेत्र में 11, नगर परिषद पटोरी में दो, नगर परिषद रोसड़ा व ताजपुर में एक-एक और नगर पंचायत सिंघिया में दो शहरी हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर बनाए जाएंगे।
इन सभी केंद्रों के लिए भूमि उपलब्ध करा दी गई है और स्वास्थ्य विभाग से औपचारिक स्वीकृति मिल चुकी है। बीएमएसआईसीएल से तकनीकी अनुमोदन के बाद डीपीआर तैयार कर निर्माण प्रक्रिया शुरू की जा रही है। इस पूरी परियोजना पर 19 करोड़ 88 लाख 15 हजार रुपये खर्च होंगे।
यह राशि 15वें वित्त आयोग के शहरी घटक से स्वीकृत की गई है। इसके अतिरिक्त नगर परिषद दलसिंहसराय, नगर पंचायत मुसरीघरारी और सिंघिया क्षेत्र में भी हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर निर्माण की योजना है।
प्रत्येक शहरी हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर के लिए एक करोड़ 16 लाख 95 हजार रुपये की राशि राज्य स्वास्थ्य समिति द्वारा स्वीकृत की गई है। इन केंद्रों के शुरू होने से प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाएं शहरी इलाकों में आसानी से उपलब्ध होंगी।
इन स्थानों पर बनेंगे शहरी हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर
नगर निगम समस्तीपुर क्षेत्र के हरपुर एलौथ, रहमतपुर, दुधपुरा, गरुआरा, धुरलख, भमरुपुर, मोहनपुर, लगुनिया रघुकंठ, भागीरथपुर, परतापुर और वारिसनगर प्रखंड के सारी में भवन निर्माण के लिए जमीन उपलब्ध कराई गई है।
इसके अलावा ताजपुर नगर परिषद के रहीमाबाद, शाहपुर पटोरी के हसनपुर सूरत व असरफपुर सुपौल, रोसड़ा के मिर्जापुर तथा सरायरंजन के झखड़ा व शेरपुर नर्सरी में भी केंद्र बनाए जाएंगे।
मरीजों को होगी बड़ी राहत
शहरी हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर खुलने से नए नगर क्षेत्रों के मरीजों को इलाज के लिए सदर या अनुमंडलीय अस्पतालों पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा। इससे समय, खर्च और भीड़—तीनों में कमी आएगी और प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाएं लोगों के घर के नजदीक उपलब्ध होंगी।

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