डायरिया से बचाव के लिए बच्चों को दिया जाएगा रोटा वायरस वैक्सीन
समस्तीपुर। पोलियो की तर्ज पर बच्चों को डायरिया से बचाने के लिए भी दवा पिलाई जाएगी। इसके लिए स्वास्थ्य प्रशासन ने रोटा वायरस की पांच-पांच बूंद पिलाने का फैसला किया गया है।
समस्तीपुर। पोलियो की तर्ज पर बच्चों को डायरिया से बचाने के लिए भी दवा पिलाई जाएगी। इसके लिए स्वास्थ्य प्रशासन ने रोटा वायरस की पांच-पांच बूंद पिलाने का फैसला किया गया है। इसको लेकर विभागीय स्तर पर तैयारियां तेज कर दी गई है। नियमित टीकाकरण में रोटा वायरस वैक्सीन को आगामी 3 जुलाई से नियमित रूप से प्रारंभ किया जाएगा। इस वैक्सीन के तीन टीके बच्चों को छह, 10 एवं 14 सप्ताह की आयु होने पर पेंटा-1 एवं ओपीवी-1 के साथ दिया जाना है। यह टीका बच्चों को रोटा वायरस से होने वाले डायरिया से बचाव करेगा। वैक्सिन पर ओपन वॉयल पॉलिसी लागू नहीं होगा। इसका उपयोग वायल खोलने के 4 घंटा के अंदर किया जाना है। वैक्सिन की पांच बूंद क्रमश: छह, 10 एवं 14 सप्ताह की उम्र पर बच्चों को पोलियो की खुराक पिलाने एवं पेंटावैलेंट की टीका दिए जाने के साथ ही पिलाया जाएगा। इसका टीका गंभीर रूप से बीमार एवं प्रथम टीका लेने के बाद यदि बच्चे को रिएक्शन हुआ हो तो यह टीका नहीं दिया जाएगा।
जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ. सतीश कुमार सिन्हा ने बताया कि रोटा वायरस डायरिया से देश में सालाना 1.50 लाख बच्चों की मौत हो जाती है। इसका प्रभाव पांच साल तक के बच्चों पर पड़ता है। दो साल या उससे कम उम्र के बच्चे सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं। इसको देखते हुए प्रशासन ने इसे नियमित टीकाकरण अभियान में शामिल किया है। यह एक वैक्सीन है। स्वास्थ्य विभाग डॉक्टर और पैरा मेडिकल स्टॉफ को ट्रेनिग देगा। ट्रेनिग लेने के बाद चिकित्सक, आशा और एएनएम को प्रशिक्षित करेंगे। इसके बाद यह अभियान शुरू होगा।
रोटा वायरस से होता है आंतों का संक्रमण
रोटा वायरस से आंतों का संक्रमण होता है। इस इंफेक्शन से आंत की कोशिकाएं प्रभावित होती हैं। ऐसे में खाना पच नहीं पाता। इससे दस्त आने शुरू हो जाते हैं। समय पर इलाज नहीं होने से बच्चे की मौत हो सकती है। नियमित टीकाकरण में शामिल हुआ वैक्सीन
डायरिया से बच्चों को बचाने वाली रोटावायरस वैक्सीन अब नियमित टीकाकरण में शामिल हो गई है। बच्चों में रोटावायरस के संक्रमण के चलते दस्त होता है। यह जानलेवा भी हो जाता है और बच्चों की सबसे अधिक मौत इसके चलते ही होती है। अब तक निजी अस्पतालों में यह टीका लगाया जाता था लेकिन अब सरकारी अस्पतालों में भी बच्चों को रोटावायरस टीका लगेगा। वर्जन
यदि नवजात शिशु को डायरिया, बुखार व फ्लू हो गया है तो यह रोटा वायरस के लक्षण हो सकते हैं। रोटा वायरस के संक्रमण से बचने के लिए वैक्सीन हैं। यह वायरस इंसानों से फैलता है और शिशु को
इससे बचाने का एकमात्र उपाय वैक्सीनेशन है। यह वायरस किशोरावस्था में भी प्रभावित करता है। शिशु को रोटा वायरस वैक्सीन देने से पहले बरती जाने वाली सावधानियां पर भी ध्यान देने की जरूरत है।
डॉ. सतीश कुमार सिन्हा,
जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी,
समस्तीपुर।
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