समस्तीपुर के लाल वैभव सूर्यवंशी ने कैसे तय किया 'गली से कप्तानी' तक का सफर, कोच ने बताई पूरी कहानी
समस्तीपुर के युवा क्रिकेटर वैभव सूर्यवंशी को अंडर-19 दक्षिण अफ्रीका दौरे के लिए टीम इंडिया का कप्तान बनाया गया है। कोच बृजेश झा ने बताया कि वैभव ने 5 ...और पढ़ें

यह तस्वीर जागरण आर्काइव से ली गई है।
धर्मेन्द्र कुमार सिंह, समस्तीपुर। समस्तीपुर की गलियों में महज पांच साल की उम्र में बल्ला थामने वाला एक छोटा सा बच्चा आज क्रिकेट की दुनिया का नया सितारा बन चुका है। वैभव सूर्यवंशी की सफलता महज एक इत्तेफाक नहीं, कोच बृजेश झा की देखरेख में की गई 7-8 घंटे की कड़ी तपस्या का परिणाम है।
कोच बताते हैं कि वैभव में सीखने की ऐसी ललक थी कि वह मैदान पर घंटों पसीना बहाने से कभी नहीं थकते थे। छोटी उम्र में ही कप्तानी का अनुभव और दबाव में शांत रहने की उनकी अद्भुत क्षमता ने उन्हें आज अंडर 19 दक्षिण अफ्रीका दौरे के लिए टीम इंडिया की कमान दिलाई है। वैभव का यह सफर बिहार के हर उस खिलाड़ी के लिए मिसाल है, जो बड़े सपने देखता है।
गृह जिला समस्तीपुर में जबरदस्त उत्साह
वैभव सूर्यवंशी को दक्षिण अफ्रीका दौरे पर टीम की कमान संभालने की जिम्मेदारी मिलते ही उनके गृह जिले समस्तीपुर में जबरदस्त उत्साह देखने को मिल रहा है। क्रिकेट प्रेमियों से लेकर स्थानीय खिलाड़ियों तक, हर कोई वैभव की इस उपलब्धि पर गर्व महसूस कर रहा है।
शुरुआत बेहद छोटी उम्र से
वैभव सूर्यवंशी के शुरुआती कोच बृजेश झा ने उनके क्रिकेट सफर से जुड़े कई अहम पहलुओं को साझा किया। उन्होंने बताया कि वैभव महज 5 से 6 वर्ष की उम्र में ही उनसे जुड़ गए थे। उस समय भले ही उन्हें सिखाने में काफी मेहनत करनी पड़ी, लेकिन वैभव में शुरू से ही टास्क को पूरा करने की अद्भुत क्षमता नजर आती थी। कोच के अनुसार, वह जो भी सीखते थे, उसे मैदान पर तुरंत लागू करने की कोशिश करते थे।
मेहनत और अनुशासन बनी पहचान
कोच बृजेश झा का कहना है कि वैभव की बल्लेबाजी हमेशा से उनकी सबसे बड़ी ताकत रही है। खेल के प्रति उनका फोकस इतना मजबूत था कि छोटी उम्र में भी वह रोजाना 7 से 8 घंटे तक कड़ी प्रैक्टिस करते थे। यही निरंतर मेहनत और अनुशासन आज उन्हें इस मुकाम तक लेकर आया है। कोच मानते हैं कि वैभव की सफलता के पीछे टैलेंट के साथ-साथ उनकी मेहनत और सीखने की ललक सबसे बड़ा कारण है।
कप्तानी का पहले से अनुभव
बृजेश झा ने यह भी बताया कि वैभव सूर्यवंशी के लिए कप्तानी कोई नई जिम्मेदारी नहीं है। इससे पहले भी वह क्लब स्तर और छोटी-छोटी टीमों की कमान संभाल चुके हैं। मैदान पर खिलाड़ियों को साथ लेकर चलने, सही समय पर फैसले लेने और दबाव में शांत रहने का अनुभव उन्हें पहले से हासिल है। यही वजह है कि कोच को पूरा भरोसा है कि वह दक्षिण अफ्रीका दौरे पर भी खुद को साबित करेंगे।
समस्तीपुर में बढ़ा जोश
वैभव के कप्तान बनने की खबर से समस्तीपुर में युवा खिलाड़ियों में नया जोश भर गया है। स्थानीय कोच और क्रिकेट प्रेमी इसे जिले के लिए गर्व का क्षण बता रहे हैं। लोगों का कहना है कि वैभव की सफलता आने वाली पीढ़ी को बड़े सपने देखने और मेहनत करने की प्रेरणा देगी।
सफलता की उम्मीद
अपने अनुभव और कड़ी मेहनत के दम पर वैभव सूर्यवंशी से न केवल एक बेहतरीन कप्तान, साथ ही टीम को जीत दिलाने वाले खिलाड़ी की भी उम्मीद की जा रही है। कोच बृजेश झा को विश्वास है कि दक्षिण अफ्रीका दौरे पर वैभव अपनी कप्तानी और प्रदर्शन से देश और समस्तीपुर दोनों का नाम रोशन करेंगे।

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