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    Bihar Politics: बिहार में कैसे बदलेगी किसानों की दशा? डिप्टी सीएम विजय सिन्हा ने बता दिया सबकुछ, ये है मास्टरप्लान

    By Jagran News Edited By: Mukul Kumar
    Updated: Sun, 25 Feb 2024 08:14 AM (IST)

    Bihar Politics बिहार विकसित होगा तभी 2047 में देश विकसित राष्ट्र बनेगा। इसमें कृषि की महत्वपूर्ण भूमिका होगी। यह बात बिहार के उपमुख्यमंत्री विजय सिन्हा ने कही। उन्होंने कहा कि मन के संतुलन के लिए शोध जरूरी है लेकिन केवल सैद्धांतिक ज्ञान से कुछ खास नहीं होने वाला है। हमें प्राचीन कृषि की ओर मुड़ना होगा। प्रकृति की शुद्धता के लिए जल जीवन हरियाली पर जोर डाला।

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    बिहार के डिप्टी सीएम विजय सिन्हा। फोटो- जागरण

    संवाद सूत्र, पूसा ( समस्तीपुर)। Bihar Political News In Hindi उपमुख्यमंत्री विजय सिन्हा (Vijay Sinha) ने कहा कि बिहार विकसित होगा तभी 2047 में देश विकसित राष्ट्र बनेगा। इसमें कृषि की महत्वपूर्ण भूमिका होगी। किसान जब तक वोकल फॉर लोकल की ओर नहीं बढ़ेंगे तबतक उनकी दशा और दिशा नहीं बदलेगी।

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    वे शनिवार को डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा में तीन दिवसीय किसान मेले का उद्घाटन कर रहे थे। उन्होंने विज्ञानियों से बदलते परिवेश और जलवायु परिवर्तन में बेहतर खेती को लेकर अनुसंधान की अपील की। कुलपति से कहा कि यहां के छात्रों को क्षेत्र के गांव में भेजकर किसानों को नई तकनीकों से अवगत कराएं।

    केवल सैद्धांतिक ज्ञान से कुछ खास नहीं होने वाला- विजय सिन्हा

    मन के संतुलन के लिए शोध जरूरी है, लेकिन केवल सैद्धांतिक ज्ञान से कुछ खास नहीं होने वाला है। हमें प्राचीन कृषि की ओर मुड़ना होगा। प्रकृति की शुद्धता के लिए जल जीवन हरियाली पर जोर डाला। देश की जनसंख्या अब 140 करोड़ को भी पार कर गई हैं।

    ऐसे में कृषि विज्ञानियों को नई तकनीक से किसानों को जोड़कर अन्न के उत्पादन को बढ़वाना होगा। युवा पीढ़ी को क्षेत्र के बुजुर्ग किसानों से सीख लेने की जरूरत है। आज रोजगार देने वाला सबसे बड़ा क्षेत्र कृषि ही है। मेले में तकनीकों से संबंधित कुल 180 स्टाल लगाएं गए हैं।

    इस इंस्टीट्यूट का डिप्टी सीएम ने किया दौरा

    किसानों ने स्टॉल पर जाकर कृषि तकनीक और फसलों के प्रभेद की जानकारी ली। उप मुख्यमंत्री ने पूसा में बोरलाग इंस्टीट्यूट फॉर साउथ एशिया (बीसा) का दौरा किया। बीसा पूसा प्रभारी डॉ. राज कुमार जाट एवं अन्य विज्ञानियों से बातचीत की।

    यहां की कृषि शोध गतिविधियों जैसे जीरो टिलेज द्वारा अंतः फसलीकरण विधि से आलू-मक्का की खेती, आलू की बोआई में पराली का उपयोग को देखा। आलू की बोआई में जीरो टिलेज के तहत पराली का उपयोग और उससे होने वाले पराली प्रबंधन की सराहना की।

    उन्होंने कहा कि राज्य में अधिक से अधिक किसानों तक यह तकनीक पहुंचे ताकि वे पराली जलाना पूरी तरह बंद कर इसका लाभ उठा पाएं।

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