पशुओं को खिलाएं सूखा चारा, पुआल से करें परहेज
समस्तीपुर। डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय पूसा के पशु चिकित्सा एवं शोध संस्थान के मुख्य वैज्ञानिक डॉ. प्रमोद कुमार कहते हैं कि बदलते मौसम को देखते हुए हमें पशुओं के रखरखाव में बदलाव की आवश्यकता है।
समस्तीपुर। डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा के पशु चिकित्सा एवं शोध संस्थान के मुख्य वैज्ञानिक डॉ. प्रमोद कुमार कहते हैं कि बदलते मौसम को देखते हुए हमें पशुओं के रखरखाव में बदलाव की आवश्यकता है। जनवरी व फरवरी महीने में पशुपालक सावधानीपूर्वक पशुओं की देखरेख करें। ऐसे मौसम में पशुओं को शुद्ध पेयजल के साथ-साथ पौष्टिक चारा, दाना, मिनरल मिक्चर सहित दें। पोषण पर विशेष ध्यान है हैं। ठंड के समय मवेशी को अपने शरीर को नार्मल करने के लिए 15 से 20 फीसद अतिरिक्त ऊर्जा की जरूरत पड़ती है। इस ऊर्जा को हम खानपान के माध्यम से पशुओं को दे सकते हैं। आहार में गुड़ एवं तिलहनी जैसे तोरी की खली आदि देना चाहिए। हरा चारा जैसे बरसीम, लुरसन व जई आदि दें। सूखा चारा यानी गेहूं का भूसा अवश्य मिला कर दें। मवेशी के सूखे चारे में पुआल का उपयोग कम से कम करें। इससे मवेशी में डेगनाला नामक बीमारी होने की संभावना रहती है। अगर, पुआल देना ही है तो उसे पूरी तरह सुखा लें एवं सल्फेट मिक्चर मिलाकर इस चारा का उपयोग करें। डॉ. प्रमोद ने बताया कि दुधारू पशुओं को ढाई किलो दूध पर एक केजी अतिरिक्त दाना देना चाहिए। वहीं, भैंस हो तो दो किलो दूध पर एक किलो दाना देना चाहिए। ठंड को देखते हुए मवेशी को घर में रखें एवं उसके बिछावन पर हल्दी के सूखे पत्ते या अन्य पत्ते अवश्य बिछा दें। ठंड के मौसम में अपने मवेशी को प्रतिदिन स्नान न कराएं। धूप निकलने पर कपड़ा या बरस से उसे पोछ दें । इसके बाद भी अगर मवेशी का मन खुश दिखाई न पड़े तो पशुपालक और पशु चिकित्सक से सलाह लें।