Bihar Election: इस नेता ने सहयोगी को दे दिया था अपना टिकट, फिर मिलकर दी कांग्रेस को पटखनी
सहरसा जिले में स्वतंत्रता सेनानी जटाशंकर चौधरी और रमेश चंद्र झा को लोग आज भी याद करते हैं। 1952 में जटाशंकर चौधरी ने अपनी सोशलिस्ट पार्टी का टिकट रमेश चंद्र झा को दिया जिन्होंने कांग्रेस के उम्मीदवार को हराया। रमेश चंद्र झा 1957 में चुनाव हार गए लेकिन जीवन भर शिवालक आश्रम से जुड़े रहे जहां वे जटाशंकर चौधरी के साथ विचार-विमर्श करते थे।

कुंदन कुमार, सहरसा। आज जब राजनीति का लगातार अवमूल्यन हो रहा है। सभी दलों में चुनावी टिकट के लिए मारामारी होती है। राजनीतिक कार्यकर्ता इसके लिए अपने दल में ही हर तरह की शक्ति का प्रयोग करते हैं।
ऐसे में सहरसा जिले में प्रखर स्वतंत्रता सेनानी जटाशंकर चौधरी और उनके सहयोगी स्वतंत्रता सेनानी रमेश चंद्र झा की लोगों को काफी याद आती है। आजादी के आंदोलन में दोनों नेताओं की अहम भूमिका रही। दोनों कई बार जेल भी गए।
आजादी के बाद जिले के तत्कालीन धरहरा विधानसभा (वर्तमान सहरसा) क्षेत्र से सोशलिस्ट पार्टी ने 1952 के चुनाव में जटाशंकर चौधरी को टिकट दिया, परंतु वे अपने सहयोगी रमेश चंद्र झा को चुनाव लड़ाना चाहते थे।
अपना टिकट रमेश चंद्र झा को देने के लिए उन्होंने पार्टी हाईकमान को भी मनाया और वही प्रतीक चिह्न रमेश झा को देकर चुनाव मैदान में उतारा।
इस चुनाव में कांग्रेस के प्रत्याशी चितनारायण शर्मा को पराजित कर रमेश चंद्र झा विधानसभा गए। रमेश चंद्र झा 1957 में भी सोशलिस्ट पार्टी से ही चुनाव मैदान में उतरे और कांग्रेस के विश्वेश्वरी देवी से पराजित हो गए।
जीवन पर्यंत शिवालक आश्रम बना रहा दोनों विभूतियों का केंद्र
1975 के बाद रमेश चंद्र झा कांग्रेस पार्टी से जुड़ गए, परंतु शिवालक आश्रम से उनका नाता बना रहा। वे शुरुआती दौर से इसी आश्रम में जटाशंकर चौधरी व अन्य साथियों के साथ बैठते थे।
विधायक और मंत्री बनने के बाद भी वहीं बैठ कर हर मुद्दे पर जटाशंकर चौधरी व साथी कार्यकर्ताओं से मशविरा कर ही कोई निर्णय लेते थे। कांग्रेस के वरीय नेता डॉ. तारानंद सादा कहते हैं कि आज जब राजनीतिक मूल्यों का लगातार ह्रास हो रहा है, ऐसे में इन विभूतियों को स्मरण करने और उनके कृतित्व से प्रेरणा लेने की जरूरत है।
जटाशंकर चौधरी की जो सोच थी, उस पर रमेश चंद्र झा न सिर्फ खड़ा उतरे, बल्कि सहरसा व कोसी क्षेत्र के विकास के लिए जो काम किया, वह हमेशा याद किया जाएगा।
रामसागर पांडेय कहते हैं इन महान विभूतियों के आदर्शों को याद करने के लिए आज भी हर वसंत पंचमी में जटाशंकर चौधरी व रमेश चंद्र झा की स्मृति में सामूहिक भोज का आयोजन किया जाता है।
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