शतचंडी यज्ञ के मंत्रोच्चार से गुंजायमान हो रहा बड़ाही
सहरसा। हाटी पंचायत अंतर्गत बड़ाही ब्रह्मास्थान प्रांगण में शतचंडी यज्ञ के वैदिक मंत्रों से वाताव

सहरसा। हाटी पंचायत अंतर्गत बड़ाही ब्रह्मास्थान प्रांगण में शतचंडी यज्ञ के वैदिक मंत्रों से वातावरण भक्तिमय हो रहा है। सुखपुर सुपौल के वेदाचार्य अरुण मिश्र ने कहा कि हवन-यज्ञ से वातावरण ही नहीं तन और मन भी शुद्ध हो जाता है। हवन-यज्ञ वाले स्थान पर प्राणवायु की मात्रा भी बढ़ जाती है। हमारा देश ऋषि मुनियों का देश रहा है। वैदिक सभ्यता का आधार ही हवन है। यज्ञ में चैनपुर के संतोष झा, जितेंद्र झा, सत्य शिवकुमार, कृष्णबल्लभ मिश्र, सुखपुर के कुंदन झा, जितेंद्र झा समेत कई पंडित वैदिक मंत्रोच्चार करते हैं।
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क्या है शतचंडी का महत्व
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यज्ञ समिति के अध्यक्ष महेंद्र नारायण मिश्र ने बताया कि मां दुर्गा को शक्ति की देवी कहा जाता है। श्री दुर्गाजी का एक नाम 'चंडी' भी है। मार्कंडेय पुराण में इसी देवीचंडी का माहात्म्य बताया है। उसमें देवी के विविध रूपों एवं पराक्रमों का विस्तार से वर्णन किया गया है। इसमें से सात सौ श्लोक एकत्रित कर देवी उपासनाके लिए श्री दुर्गा सप्तशती नामक ग्रंथ बनाया गया है। सुख, लाभ, जय इत्यादि कामनाओं की पूर्ति के लिए सप्तशतीपाठ करने का महत्व बताया गया है।दुर्गा जी को प्रसन्न करने के लिए जिस यज्ञ विधि को पूर्ण किया जाता है उसे शतचंडी यज्ञ बोला जाता है।
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कोरोना महामारी का होगा अंत
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शतचंडी यज्ञ को सनातन धर्म में बेहद शक्तिशाली वर्णित किया गया है। इस यज्ञ से बिगड़े हुए ग्रहों की स्थिति को सही किया जा सकता है। सौभाग्य इस विधि के बाद आपका साथ देने लगता है। इस यज्ञ के बाद मनुष्य खुद को एक आनंदित वातावरण में महसूस कर सकता है। वेदों में इसकी महिमा की चर्चा करते हुए सज्जन कुमार चौधरी ने कहा कि शतचंडी यज्ञ के बाद आपके दुश्मन आपका कुछ नहीं बिगाड़ सकते हैं। इस यज्ञ को गणेशजी, भगवान शिव, नव ग्रह, और नव दुर्गा देवी को समर्पित करने से मनुष्य जीवन धन्य होता है। समाज एवं जन कल्याण के उद्देश्य से होने वाले इस यज्ञ से कोरोना जैसी महामारी का अंत हो जाएगा। स्वच्छ व स्वस्थ समाज का निर्माण होगा ।
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