वंशावली प्रमाणपत्र और जमाबंदी सुधार की प्रक्रिया से जमीन मालिक परेशान, नीतीश सरकार के अभियान पर उठे सवाल
सहरसा के नवहट्टा में बिहार सरकार के राजस्व महा अभियान की गति धीमी होने से रैयत परेशान हैं। अभिलेखों में त्रुटि सुधार और भूमि विवाद रोकने का उद्देश्य अधूरा है। वंशावली प्रमाणपत्र बनवाने और संयुक्त जमाबंदी में कठिनाई आ रही है। ग्रामीणों ने प्रक्रिया सरल करने और समय सीमा बढ़ाने की मांग की है।

संवाद सूत्र, नवहट्टा (सहरसा)। बिहार सरकार (Bihar Government) के राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग द्वारा चलाए जा रहे राजस्व महा अभियान की गति धीमी पड़ गई है। इस अभियान का मुख्य उद्देश्य रैयतों की जमीन के अभिलेख (जमाबंदी) में मौजूद त्रुटियों को सुधारना और अद्यतन करना है, ताकि भविष्य में भूमि विवादों की रोकथाम हो सके।
मगर दूसरी ओर, प्रक्रियाओं की जटिलता और ढिलाई ने रैयतों के लिए समस्याएं उत्पन्न कर दी हैं। सीओ मौनी बहन ने कहा कि रैयतों के समस्याओं के समाधान हेतु ही महा अभियान में शिविर लगाया जाता है। सुधार हेतु निर्धारित प्रक्रिया में कठिनाई होने पर राजस्व कर्मचारी, अंचल निरीक्षक के साथ ही सीओ ने खुद से मिलने की बात कही ।
इस अभियान के अंतर्गत रैयतों के नाम, खाता, खेसरा, रकबा और लगान संबंधी त्रुटियों को सुधारने, मृतक रैयतों की जमाबंदी को उत्तराधिकारियों के नाम पर स्थानांतरित करने और संयुक्त जमाबंदी को सहमति या बंटवारे के आधार पर विभाजित करने का लक्ष्य रखा गया था।
इसके लिए कर्मियों को घर-घर जाकर समस्याओं का समाधान करना था, लेकिन वास्तविकता इसके विपरीत है। सबसे बड़ी समस्या वंशावली प्रमाणपत्र बनाने की प्रक्रिया है।
कोर्ट से शपथपत्र बनवाने से लेकर गांव के चार गवाहों के हस्ताक्षर, उनका आधार एवं मोबाइल, वार्ड सदस्य, पंच, सेविका, चौकीदार, मुखिया एवं पंचायत सचिव तक के हस्ताक्षर करवाना कठिन साबित हो रहा है।
संयुक्त जमाबंदी के मामलों में भी स्थिति गंभीर है। उत्तराधिकारियों की अधिक संख्या और आपसी सहमति की कमी से कार्य में बाधा आ रही है।
कई लोग निजी अमीन का सहारा ले रहे हैं, फिर भी सफलता नहीं मिल पा रही है। इन समस्याओं को देखते हुए ग्रामीणों ने विभाग से समय सीमा बढ़ाने, प्रक्रिया को सरल बनाने और संबंधित कर्मियों को घर-घर जाकर समाधान सुनिश्चित कराने की मांग की है।
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