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    2 राज्यों को जोड़ने वाली मुख्य सड़क यूपी में चकाचक और रोहतास में बदहाल, हजारों लोग परेशान

    Updated: Mon, 31 Mar 2025 05:04 PM (IST)

    रोहतास-जारादाग मुख्य सड़क (Rohtas and Jaradhag Road) की बदहाली से उत्तर प्रदेश और बिहार के लोगों को परेशानी हो रही है। सड़क की मरम्मत के लिए वन्य जीव अभ्यारण्य क्षेत्र का हवाला दिया जा रहा है। इस सड़क के किनारे दो दर्जन गांव बसे हुए हैं और सड़क जर्जर होने के कारण लोगों को आवागमन में परेशानी हो रही है।

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    2 राज्यों को जोड़ने वाली मुख्य सड़क यूपी में चकाचक और रोहतास में बदहाल

    प्रेम पाठक, डेहरी आन-सोन (रोहतास)। कैमूर पहाड़ी से सटे उत्तर प्रदेश और बिहार को जोड़ने वाली रोहतास-जारादाग मुख्य सड़क मरम्मत के अभाव में जर्जर हो गई है। यूपी की तरफ से उसकी सीमा तक यह सड़क चकाचक और रोहतास में बदहाल बन गई है। बिहार में वाहन तो क्या पैदल चलना भी मुश्किल है।

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    यह मुख्य मार्ग दो दर्जन गावों से होते हुए गुजरता है। 11 वर्ष पूर्व पथ निर्माण विभाग द्वारा तीन करोड़ 19 लाख रुपए खर्च कर रोहतास से यदुनाथपुर तक इस सड़क की मरम्मत कराई गई थी। यह सड़क उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले से रोहतास जिले को जोड़ती है।

    सड़क बन जाने से उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश जाने में समय, यात्रियों का किराया और ईंधन सबकी बचत होगी। फिलहाल इसी जर्जर सड़क से हिचकोले खाती बसें रोहतास से यदुनाथपुर होते हुए उत्तर प्रदेश के रॉबर्ट्सगंज तक चलती हैं। सड़क जर्जर होने के कारण आए दिन दुर्घटना की संभावना बनी रहती है।

    नेशनल हाईवे के रूप में अधिसूचित है ये सड़क

    यह सड़क एनएच 119 के रूप में अधिसूचित है, लेकिन वन्य जीव अभ्यारण्य क्षेत्र का हवाला दे 70 किलोमीटर सड़क की मरम्मत नहीं हो पा रही है। इस मामले को लेकर वर्ष 2017 में तत्कालीन उपमुख्यमंत्री सह वन एवं पर्यावरण मंत्री सुशील कुमार मोदी ने तत्कालीन विधायक ललन पासवान के विधानसभा में तारांकित प्रश्न के जबाव में सड़क निर्माण की बात भी कही थी।

    इस सड़क के किनारे दो दर्जन गांव बसे हुए है। सड़क पर यातायात बहाल रहने से इस क्षेत्र के यूपी, छतीसगढ़ और मध्यप्रदेश जाने वाले यात्रियों को सुविधा के साथ साथ सड़क किनारे दुकान लगाने वाले दुकानदारी के आय का स्रोत था, जिससे पहाड़ी इलाके के इन गरीब परिवारों का भरण पोषण भी होता था।

    सड़क जर्जर हो जाने के कारण इस पर इक्का दुक्का वाहन चलते हैं। बौलिया, चुनहट्टा, डुमरिया, भुडव ,समेत दो दर्जन गावों के लोग तीन किलोमीटर पैदल चलकर मुख्य मार्ग तक गाड़ी पकड़ने आते हैं।

    क्या कहते हैं लोग?

    नवाडीहखुर्द निवासी अरुण चौबे, मधुकुपिया के कुलदीप चौधरी, चुटिया के पंकज पाठक कहते हैं कि उत्तरप्रदेश से बेटी रोटी का संबंध है। सड़क की मरम्मत हो जाने से गांव तक आने में सहूलियत होगी। साथ ही उत्तरप्रदेश के सोनभद्र और मिर्जापुर जिले के साथ-साथ वाराणसी जाने में समय और किराया दोनों की बचत होगी।

    अभी डेहरी, सासाराम होते हुए बनारस और सोनभद्र जाने में आठ से दस घंटे समय लग जाते हैं और किराया 500-550 रुपए तक लगता है, जबकि इस सड़क से महज 100 से 150 रुपए में उत्तरप्रदेश के सोनभद्र, मिर्जापुर और वाराणसी तक महज चार घंटे में हमलोग पहुंच सकते हैं। सड़क किनारे बसे बौलिया, चुनहट्टा,चुटिया समेत कई गावों के लोगों का रोजगार भी समाप्त हो गया है।

    क्या कहते हैं अधिकारी?

    यह सड़क वन्य जीव आश्रयणी क्षेत्र से होकर गुजरती है, जिसकी मरम्मत के लिए विभाग से अनापत्ति प्रमाण पत्र लेकर ही कार्य किया जाना चाहिए। यह सड़क पहले से वन पथ है। - हेमचंद्र मिश्र, रोहतास वन क्षेत्र पदाधिकारी

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