Pahalgam Terror Attack: पहलगाम में बिहार के IB अधिकारी की भी मौत, 3 भाई में सबसे बड़े थे मनीष रंजन
जम्मू कश्मीर के पहलगाम हमले में मारे गए इंटेलीजेंस ब्यूरो हैदराबाद में पदस्थापित सेक्शन अधिकारी मनीश रंजन रोहतास जिला के करगहर थाना के अरुही गांव के मूल निवासी थे। घटना के बाद गांव में अपने लाल के लेकर लोग शोकाकुल हैं। मनीष बिहार के रोहतास के करगहर थाना क्षेत्र के अरुही गांव के रहने वाले थे। सासाराम शहर के गौरक्षणी मोहल्ला में घर है।

जागरण संवाददाता, सासाराम (रोहतास)। जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में आतंकी हमले में जान गंवाने वाले इंटेलीजेंस ब्यूरो के अधिकारी मनीष रंजन के पैतृक गांव करगहर प्रखंड के अरुही गांव में मातम पसरा हुआ है। उनके घर में जहां ताला लटका है। वहीं, स्वजन का रो रोकर बुरा हाल है।
घटना की सूचना मिलते ही गांव में स्वजन से मिलने के लिए तांता लगा हुआ है। सासाराम के गौरक्षणी मोहल्ला स्थित आवास पर भी लोग पहुंच उनके चाचा आलोक मिश्र उर्फ मुन्नु मिश्र तथा चाची सुनीता मिश्र को सांत्वना दे रहे हैं।
मनीष रंजन हैदराबाद में इंटेलीजेंस ब्यूरो में सेक्शन अधिकारी के पद पर तैनात थे। आलोक मिश्र बताते हैं कि बड़े भाई डा. मंगलेश कुमार मिश्र पश्चिम बंगाल के पुरुलिया जिला के झालदा में वरिष्ठ शिक्षक के पद से अवकाश ग्रहण किए हैं।
वे झालदा में ही घर बनाकर परिवार के साथ रहते हैं। अपने तीन भाई में सबसे बड़े मनीष रंजन थे। दूसरे भाई राहुल रंजन भारतीय खाद्य निगम विलासपुर में और विनीत रंजन एक्साइज डिपार्टमेंट पश्चिम बंगाल के आसनसोल में कार्यरत हैं।
मनीष रंजन अपने परिवार के साथ।
तीन दिन पहले गए थे जम्मू कश्मीर
मनीष हैदराबाद से तीन दिन पहले जम्मू कश्मीर छुट्टी मनाने गए थे। सबको वहीं वैष्णव देवी दर्शन के लिए बुलाए थे। मंगलवार को मनीष के पिता डॉ. मंगलेश कुमार मिश्र व माता आशा मिश्र ट्रेन से वैष्णोदेवी जा रहे थे।
इसी बीच घटना की सूचना मिली तो झारखंड के डालटनगंज रेलवे स्टेशन से उन्हें वापस झालदा लाया गया। उनके नजदीकी परिवार के सदस्य व शिक्षक मनन मिश्र, अरविंद मिश्र, रतन मिश्र बताते हैं कि मनीष रंजन पहले रांची में कार्यरत थे बाद में हैदराबाद स्थानांतरित हुए थे। परिवार के सभी सदस्यों का हालचाल लेते रहते थे।
मनीष के दादा पारस नाथ मिश्र भी प्रधानाध्यापक के पद से रिटायर्ड हुए थे। मनीष का पार्थिव शरीर पहलगाम से विमान द्वारा रांची व वहां से झालदा ले जाया जाएगा।
साथ में उनकी पत्नी जया, पुत्र रुद्रांश व पुत्री गिशु भी हैं। उनके सभी स्वजन अंतिम दर्शन के लिए झालदा रवाना हो गए हैं। वहीं तय होगा कि अंतिम संस्कार कहां होगा।
जन्मदिन समारोह में भाग लेते मनीष रंजन।
सावन में गांव आने वाले थे मनीष रंजन
चाचा आलोक मिश्र बताते हैं कि मनीष से कुछ दिन पहले बात हुई थी। वे बताए थे कि सासाराम और गांव के लिए वे परिवार के साथ सावन में हैदराबाद से आएंगे। कुलदेवी की पूजा भी करेंगे। कहते हुए मायूस हो जाते हैं।
कहते हैं कि जिस बच्चे को गोद में खेलाया आज वह छोड़कर चला गया। क्या सनातन में जन्म लेना अपराध है कि उसे आतंकी इस तरह धर्म पूछकर मार डाले सरकार इसका न्याय के साथ आतंकियों से हिसाब करे।
अपने माता-पिता के साथ मनीष रंजन सबसे दाएं।
पत्नी जया का शिक्षक में हुआ था चयन, नहीं किया योगदान
सुनीता मिश्र बताती हैं कि मनीष रंजन की पत्नी जया मिश्रा का चयन बीपीएससी से इंटरमीडिएट शिक्षक के पद पर एक वर्ष पूर्व अररिया जिला में हुआ था पर वे योगदान नहीं की। प्रयागराज के रहने वाले प्रोफेसर जय शंकर मिश्र की बेटी जया काफी प्रतिभाशाली महिला हैं।
वे शुरू से पढ़ाई में तेज हैं। घर में बच्चों और परिवार को संभालने के लिए वे शिक्षक पद पर चयन के बाद योगदान नहीं की। बेटा रुद्रांश आठवीं में और एक बेटी जिसका पुकार का नाम गीशु है वह चौथी में हैदराबाद में ही पढ़ती हैं।
सभी का रो-रोकर बुरा हाल
मनीष की हत्या के बाद से औरंगाबाद में रह रहे उनके रिश्तेदार डा. सुरेंद्र मिश्र एवं ब्लड बैंक के कर्मी आशुतोष कुमार के स्वजन सिर्फ रो रहे हैं। दोनों समझ नहीं पा रहे हैं कि यह सब कैसे हो गया।
कुछ ही दिन पहले आशुतोष को मनीष ने फोन कर हैदराबाद घूमने का आमंत्रण दिया था। बताया था कि हैदराबाद घूमने की जगह है। वह अपनी पत्नी और दो बच्चों संग कश्मीर घूमने आए थे।
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