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    Pahalgam Terror Attack: अमरनाथ यात्रा से पहले पर्यटकों के खून से घाटी लहूलुहान, आज जम्मू-कश्मीर बंद का एलान

    कश्मीर में सुरक्षा एवं विश्वास के वातावरण की बहाली से हताश पाकिस्तान समर्थित आतंकियों ने मंगलवार दोपहर प्रसिद्ध पर्यटन स्थल पहलगाम के पहाड़ों में सुकून के पल बिताने आए पर्यटकों पर बड़ा हमला बोला। पहलगाम में आतंकी हमले के विरोध में विभिन्न हिंदू संगठनों व राजनीतिक दलों ने बुधवार को जम्मू-कश्मीर में बंद का आह्वान किया है। कांग्रेस ने जम्मू में रात को कैंडल मार्च निकाला।

    By Jagran News Edited By: Jeet Kumar Updated: Wed, 23 Apr 2025 06:52 AM (IST)
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    पहलगाम के पहाड़ों में सुकून के पल बिताने आए पर्यटकों पर आतंकियों ने बड़ा हमला बोला (फोटो- एएनआई)

     राज्य ब्यूरो, जागरण, श्रीनगर। पहलगाम में आतंकी हमले के विरोध में विभिन्न हिंदू संगठनों व राजनीतिक दलों ने बुधवार को जम्मू-कश्मीर में बंद का आह्वान किया है।

    पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने भी कश्मीरियों से बुधवार को कश्मीर बंद को कामयाब बनाने की अपील की। इस बीच, हमले की जिम्मेदारी कश्मीर में आतंक का नया पर्याय बने लश्कर-ए-तैयबा के मुखौटा संगठन द रजिस्टेंस फोर्स (टीआरएफ) ने ली है।

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    विभिन्न संगठनों ने कश्मीर में बंद का आह्वान किया

    इधर, जम्मू, ऊधमपुर, राजौरी, कटड़ा, डोडा, बिलावर में भी विभिन्न संगठनों ने बंद का आह्वान किया है। इन संगठनों ने मंगलवार को भी हमले के विरोध में पाकिस्तान के खिलाफ जगह-जगह प्रदर्शन किए और पुतले जलाए। कांग्रेस ने जम्मू में रात को कैंडल मार्च निकाला। कश्मीर में भी रात को कई जगह कैंडल मार्च निकाले गए।

    अमरनाथ यात्रा के लिए अहम है पहलगाम रूट

    अमरनाथ यात्रा के लिए पहलगाम रूट बेहद महत्वपूर्ण है। इस रूट से गुफा तक पहुंचने में तीन दिन लगते हैं, मगर रास्ता आसान है। यात्रा में खड़ी चढ़ाई नहीं पड़ती है। पहलगाम से पहला पड़ाव चंदनवाड़ी है, जहां से चढ़ाई शुरू होती है। यह बेस कैंप से 16 किलोमीटर दूर है।

    अमरनाथ यात्रा तीन जुलाई से शुरू होनी है

    तीन किमी चढ़ाई के बाद यात्रा पिस्सू टॉप पर पहुंचती है, जहां से पैदल चलते शाम तक यात्रा शेषनाग पहुंचती है। यह सफर करीब नौ किलोमीटर का है। अगले दिन यात्री शेषनाग से 14 किलोमीटर दूर पंचतरणी जाते हैं। पंचतरणी से गुफा की दूरी सिर्फ छह किलोमीटर है। अमरनाथ यात्रा तीन जुलाई से शुरू होनी है, जो नौ अगस्त तक चलेगी।

    आतंकियों के किश्तवाड़ से बैसरन पहुंचने की आशंका

    पहलगाम से बैसरन लगभग छह किलोमीटर दूर है। यह क्षेत्र घने देवदार के जंगल और पहाड़ों से घिरा घास का बड़ा मैदान है। यह पर्यटकों और ट्रैकर्स का पसंदीदा स्थान है। बैसरन तक केवल पैदल या घोड़ों से ही पहुंचा जा सकता है। इसलिए घायलों को निकालने के लिए हेलीकाप्टर लगाए गए।

    कुछ को हेलकॉप्टर से पहलगाम में प्राथमिक उपचार के बाद अनंतनाग और शेरे कश्मीर आयुर्विज्ञान संस्थान श्रीनगर ले जाया गया। मारे गए और घायल लोगों के परिवारों को कड़ी सुरक्षा के बीच पहलगाम क्लब ले जाया गया है। इस बीच, सूचना है कि कर्नाटक से भी अधिकारियों की एक टीम कश्मीर के लिए रवाना हो गई है।

    पुलिस, सेना और सीआरपीएफ के जवानों का दस्ता मौके पर पहुंचा

    संबंधित अधिकारियों ने भी बताया कि जिस जगह यह हमला हुआ, वहां पहुंचना आसान नहीं है। हमले के बाद पुलिस, सेना और सीआरपीएफ के जवानों का दस्ता मौके पर पहुंच चुका है। अधिकारियों ने कहा कि संभव है कि आतंकी जम्मू के किश्तवाड़ से दक्षिण कश्मीर के कोकरनाग के रास्ते बैसरन पहुंचे हों। संबंधित अधिकारियों ने अभी मृतकों व घायलों की कुल संख्या के बारे में आधिकारिक जानकारी नहीं दी है।

    प्रत्यक्षदर्शियों ने सुनाई आपबीती

    प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, मिनी स्विटजरलैड कहे जाने वाले पहलगाम के पहाड़ी क्षेत्र बैसरन में मंगलवार को बड़ी संख्या में पर्यटक पहुंचे थे। कुछ वहां बने रिसोर्ट के ओपन रेस्तरां में भोजन कर रहे थे और कुछ आसपास घूम रहे थे। ऐसे में वर्दी में पांच आतंकी पहुंचे। एक दरवाजे पर ठहर गया और चार ने अंदर घुसते गोलियां बरसानी आरंभ कर दी। अचानक गोलियों की आवाज से वहां अफरा-तफरी फैल गई।

    लोगों को नहीं मिली छिपने की जगह

    गोलियां चलाने वाले घूम-घूमकर पर्यटकों के करीब जाते और उन्हें पास से ही गोली मार देते। घोड़े वाले और स्थानीय दुकानदार भी वहां से भाग निकले। उधर, गोली चलते पर्यटक यहां-वहां भागने लगे और छिपने का प्रयास करने लगे, पर दूर-दूर तक खुला मैदान होने से उनके छिपने की जगह नहीं मिली। यह क्षेत्र चारों ओर से जंगल से घिरा हुआ है और सुरक्षाबल का शिविर भी आसपास नहीं है।

    वर्ष 2000 से अब तक जम्मू-कश्मीर में नागरिकों पर हुए प्रमुख आतंकवादी हमले

    • 21 मार्च 2000- अनंतनाग जिले के छत्तीसिंहपोरा गांव में आतंकवादियों ने सिख समुदाय को निशाना बनाया, जिसमें 36 लोग मारे गए।दो अगस्त 2000- नुनवान बेस कैंप पर हुए आतंकी हमले में दो दर्जन अमरनाथ तीर्थयात्रियों सहित 32 लोग मारे गए।
    • 20 जुलाई 2001- अनंतनाग के शेषनाग बेस कैंप पर अमरनाथ यात्रियों को फिर से निशाना बनाया गया, जिसमें 13 लोग मारे गए।
    • एक अक्टूबर 2001- श्रीनगर में जम्मू और कश्मीर राज्य विधानमंडल परिसर पर आत्मघाती (फिदायीन) आतंकवादी हमले में 36 लोग मारे गए।
    • छह अगस्त 2002- चंदनवारी बेस कैंप पर आतंकी हमला हुआ और 11 अमरनाथ यात्री मारे गए।
    • 23 नवंबर 2002- दक्षिण कश्मीर के लोअर मुंडा में जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग पर एक आइईडी विस्फोट में नौ सुरक्षा बल कर्मियों, तीन महिलाओं और दो बच्चों सहित 19 लोगों की जान चली गई।
    • 23 मार्च 2003- आतंकवादियों ने पुलवामा जिले के नंदीमार्ग गांव में 11 महिलाओं और दो बच्चों सहित 24 कश्मीरी पंडितों की हत्या कर दी।
    • 13 जून 2005- पुलवामा में एक सरकारी स्कूल के सामने भीड़भाड़ वाले बाजार में विस्फोटकों से लदी एक कार में विस्फोट होने से दो स्कूली बच्चों और तीन सीआरपीएफ अधिकारियों सहित 13 नागरिक मारे गए और 100 से अधिक लोग घायल हो गए।
    • 26 मई 2006- श्रीनगर के जकूरा इलाके में आतंकी हमले में गुजरात के चार पर्यटकों की मौत।
    • 12 जून 2006- कुलगाम में नौ नेपाली और बिहारी मजदूर मारे गए।
    • नौ जून 2024- रियासी में शिवखोड़ी के श्रद्धालुओं की बस पर आतंकियों ने गोलियां बरसाई। नौ यात्रियों की मौत और 41 घायल
    • 10 जुलाई, 2017- कुलगाम में अमरनाथ यात्रा बस पर हमले में आठ की मौत।

    (इन हमलों के अलावा, सुरक्षाकर्मियों को भी लगातार हिंसा का सामना करना पड़ रहा है। इसका एक उल्लेखनीय उदाहरण 2019 का पुलवामा हमला था, जिसमें सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हो गए थे।)

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