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    Sasaram News: सासाराम के एक स्कूल में अचानक पहुंच गए शिक्षा विभाग के अधिकारी, नजारा देखकर सभी रह गए सन्न

    रोहतास के शिवसागर प्रखंड के प्राथमिक विद्यालय करूप में बच्चों को जमीन पर बैठकर पढ़ने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। डीईओ मदन राय ने बुधवार को स्कूल का निरीक्षण किया और इस अव्यवस्था को गंभीरता से लिया। उन्होंने प्रधानाध्यापक से 24 घंटे के अंदर जवाब मांगा है। अगर जवाब संतोषजनक नहीं रहा तो उनके खिलाफ अनुशासनिक कार्रवाई की जाएगी।

    By dhanjay kumar Edited By: Mukul Kumar Updated: Wed, 09 Apr 2025 05:28 PM (IST)
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    स्कूल में गंदगी का अंबार, प्रधानाध्यापक से मांगा गया स्पष्टीकरण

    जागरण संवाददाता, सासाराम (रोहतास)। डीईओ मदन राय ने बुधवार को शिवसागर प्रखंड के प्राथमिक विद्यालय करूप का निरीक्षण किया।

    इस दौरान वे विद्यालय में अव्यवस्था तथा बच्चों को जमीन पर बैठ पढ़ते हुए पाया। इसे गंभीरता से लेते हुए उन्होंने वहां के प्रधानाध्यापक से 24 घंटे के अंदर जवाब मांगा है।

    अगर जवाब संतोषजनक नहीं रहा तो उनके विरुद्ध अन्य अनुशासनिक कार्रवाई की जाएगी। डीईओ ने बताया कि उनके द्वारा बुधवार को शिवसागर प्रखंड के प्राथमिक विद्यालय करुप का निरीक्षण किया गया।

    वे जांच के क्रम बच्चों को जमीन पर बैठ पढ़ते हुए पाया, जबकि प्रथम तल के वर्ग कक्ष में ताला बंद पाया। विद्यालय परिसर व वर्ग कक्ष में गंदगी का अंबार मिला और सीढ़ी पर ईंट बिखरे मिले।

    क्या बोले अधिकारी?

    उन्होंने कहा कि विद्यालय को प्रत्येक वर्ष विकास अनुदान की राशि भी मुहैया कराई जाती है, परंतु उसका सदुपयोग नहीं किए जाने के कारण स्कूल में कुव्यवस्था व्याप्त है।

    इसे गंभीरता से लेते हुए प्रधानाध्यापक को 24 घंटे के अंदर जवाब मांगा गया है। अगर जवाब संतोषजनक नहीं रहेगा तो उनके विरुद्ध अनुशासनिक कार्रवाई की दिशा में उचित कदम उठाया जाएगा।

    गौरतलब है कि सिर्फ प्राथमिक विद्यालय करूप में ही कुव्यवस्था के बीच बच्चों को पढ़ना मजबूरी नहीं है। जिले में इस तरह के कई और सरकारी विद्यालय हैं, जहां के बच्चे जमीन पर बैठकर पढ़ते हैं।

    विद्यालयों को प्रत्येक वर्ष विकास अनुदान की राशि मुहैया कराई जाते है ताकि बच्चों को शिक्षण कार्य करने में परेशानियों का सामना न करना पड़े।

    आज भी स्कूलों की नहीं ठीक हुई व्यवस्था

    गत वर्ष भी लोकसभा चुनाव से पहले शिक्षा विभाग ने पांच सौ से अधिक विद्यालयों को राशि मुहैया कराई थी। किसी को चार तो किसी को साढ़े चार व पांच लाख रुपये उपलब्ध कराई गई थी, लेकिन आज आलम यह है कि अधिकतर विद्यालयों में व्यवस्था नहीं सुधर सकी है।

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    किसी स्कूल में शौचालय खराब तो कहीं पेयजल व्यवस्था दुरुस्त नहीं है। राशि भेजने के बावजूद कई विद्यालय के बच्चे बेंच-डेस्क के अभाव में जमीन पर बैठ पढ़ाई करते हैं। जानकारों के मुताबिक बिना उपस्कर व सामग्री के खरीद के ही वेंडरों को विपत्र भुगतान भी कर दिया गया है।

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