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    डिजिटल व ऑनलाइन संचार ने बनाया जीवन आसान

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    Updated: Tue, 13 Sep 2016 06:07 PM (IST)

    रोहतास। एक ऐसा समय था जब छात्र अपनी परीक्षा के परिणाम जानने के लिए एक स्थान से दूसरे स्थान भ

    रोहतास। एक ऐसा समय था जब छात्र अपनी परीक्षा के परिणाम जानने के लिए एक स्थान से दूसरे स्थान भटकते रहते थे। अब परीक्षाओं के परिणाम इंटरनेट पर आसानी से देखे जा सकते हैं। छात्रों तथा प्रतियोगी परीक्षार्थियों

    को वेबसाइट में दिए गए उपयुक्त स्थान पर केवल अपना रोल नंबर लिखना होता है। और परीक्षा का परिणाम व अंक सूची स्क्रीन पर आ जाती है। डिजिटल लाइफ़ स्टाइल हमारे दैनिक जीवन, आचार-व्यवहार व शिष्टाचार में जबरदस्त में परिवर्तन ला रहे हैं। अब लाख टके का सवाल ये है कि नए डिजिटल जमाने में इसका दुरुपयोग हम कैसे रोकें। यह सही है कि डिजिटल व्यवस्था ने हमारा जीवन बड़ा आसान कर दिया है। माउस के सिर्फ एक क्लिक से वांछित जानकारी पलभर में हमें प्राप्त हो जाती है। अब पहले की तरह सामान्य जानकारी के लिए छात्रों को लाइब्रेरी की शरण लेने की मजबूरी नहीं रह गई है। न ही उन्हें बाजार से महंगी किताबों का सहारा लेना पड़ता है। इससे सिर्फ पैसे की ही बचत नहीं है, बल्कि समय की भी बचत होती है। हमलोगों के जमाने की मोटी-मोटी पुस्तकों की कीमत अब हजारों में हो चुकी है। छोटी-मोटी जानकारियों के लिए अब उन्हें खरीदने की जरूरत नहीं है। इंटरनेट से अपने काम की चीजें काफी सस्ते में डाउनलोड कर सकते हैं। छात्रों के लिए तो यह वरदान साबित हो रहा है। स्मार्ट क्लास टेक्नोलॉजी के सहारे अब उन्हें सूचनाएं एकत्र करने में काफी सहूलियत हो रही है। माहौल भी बदला है। एक और महत्वपूर्ण बात यह कि पेन पेपर का इस्तेमाल भी कम होते जा रहा है। इसका एक पक्ष यह भी है कि पर्यावरण पर भी इसके दुरगामी प्रभाव दिख रहे हैं। पेपर के निर्माण में पेड़ व उसके अवयवों का उपयोग होता है। जिससे भारी मात्रा में पेड़ों की कटाई होती है। लेकिन इसके कम उपयोग से उसका बचाव हो रहा है। हर चीज के दो पक्ष होते हैं। इसी तरह टेक्नालाजी का भी दुरुपयोग कुछ लोग करते हैं। लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि यह खराब है। सूई का निर्माण जोड़ने के लिए हुआ है। लेकिन उसे कुछ लोग चुभाने के लिए भी इस्तेमाल करते हैं। इसी तरह इसका भी कुछ लोग दुरुपयोग करते हैं। बच्चों की गतिविधियों पर शिक्षकों व अभिभावकों को नजर रखनी चाहिए।

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    ई. संजय कुमार त्रिपाठी

    प्रबंधक, प्रज्ञा निकेतन पब्लिक स्कूल

    वर्तमान समय में डिजिटल व ऑनलाइन संचार व्यवस्था हमारा शिष्टाचार बन चुका है। अब तो आन लाइन क्लासेज व आनलाइन परीक्षाएं हो रही हैं। जो छात्रों की क्षमता व उनकी कुशाग्रता का भी परख करती है। आज का जीवन भी उसी के अनुरूप हो गया है। इस जीवन ने हमारा रहन-सहन काफी आसान कर दिया है। पहले लोग कहीं जाने के लिए घर से निकलते थे, तो गंतव्य तक पहुंच कर यह बताने में उन्हें हफ्ता या दस दिन लग जाता था कि हम अच्छे से पहुंच गए। लेकिन अब तो पल-पल की खबर मिलती रहती है।

    ई. रविशंकर दूबे, आइआइटी, रुड़की

    कम्प्यूटर शिक्षक, प्रज्ञा निकेतन

    डिजिटल संचार माध्यमों का दुरुपयोग भी हो रहा है। आज आवश्यकता है, छात्रों को उसके लाभ के साथ-साथ उससे जुड़ी सावधानी की भी जानकारी देने की। इसके लिए बकायदा कंप्यूटर के क्लास में उन्हें उदाहरण के साथ समझाना चाहिए। सोशल साइट्स पर कई खतरनाक गिरोह सुनियोजित तरीके से काम कर रहे हैं, जो कम उम्र व अनुभव के बच्चों को अपना शिकार बनाते हैं। फेसबुक व वाट्सएप के माध्यम से दोस्ती बढ़ा कर उनसे मित्रता करते हैं। फिर बाद में उन्हें जाल में फंसा कर व लालच देकर गलत कार्यों के प्रति उनका माइंडवास करते हैं। इसलिए बच्चे जब इन साधनों को इस्तेमाल करते हैं तो अभिभावकों को इन पर नजर रखनी चाहिए।

    अभिषेक प्रकाश झा

    शिक्षक, प्रज्ञा निकेतन पब्लिक स्कूल

    इंटरनेट से जुड़ी किसी भी सुविधा के इस्तेमाल के लिए विशेष रूप से ध्यान देना चाहिए। किसी नए संचार चैनल का प्रयोग करने से पहले ठीक से अवलोकन कर लें और बुनियादी शिष्टाचार सीख लेनी चाहिए। प्रत्येक व्यक्तिगत ई-मेल का जहां तक संभव हो प्रत्युत्तर समय के भीतर दें। पत्राचार व संवाद प्रारंभ कर सामने वाले के प्रति अपनी अपेक्षाओं को स्पष्ट करें। ई-मेल को संक्षिप्त व विषय पर सीमित रखें। यदि आप लंबे ई-मेल लिखते हैं, तो उतने ही लंबे प्रत्युत्तर की आकांक्षा न पालें। लंबे ई-मेल अथवा अन्य किसी ई-मेल का अपरिहार्य कारणों से तत्काल जवाब नहीं दिया जा सकता हो तो ऐसे ई-मेल की पावती दें।

    अपने प्रश्नों को सरल रखें जिनका उत्तर आसानी से दिया जा सके। इसी प्रकार प्रत्येक प्रश्न का उत्तर अलग से दें। एसएमएस किस्म के, वर्तनी की गलतियों समेत औपचारिक ई-मेल से खराब छवि बनती है। इसलिए ऐसी स्थितियों से बचें। किसी दूसरे की वर्तनी की ग़लतियों को सरेआम न उछालें। व्यक्तियों के नामों खासकर अंग्रे•ाी व अन्य भाषा के नामों की गलत वर्तनी से बचने के लिए कापी-पेस्ट का सहारा ले सकते हैं।

    शीतल सिन्हा, शिक्षक, प्रज्ञा निकेतन

    एक समय था जब छात्रों को नमूने के प्रश्न पत्र और सीबीएसई परीक्षा के अंक योजनाएं आने की प्रतीक्षा करनी होती थी और वे बाजार से इन्हें खरीदते थे। अब यह स्थिति नहीं है, अब हम आनलाइन सीबीएसई के नमूना प्रश्न पत्र आसानी से देख सकते हैं, क्योंकि सूचना और संचार प्रौद्योगिकी से यह पहल की गई हैं।

    अमन त्रिपाठी, कक्षा 10, प्रज्ञा निकेतन

    छात्र अब सभी विषयों की पाठ्यपुस्तकें डाउनलोड कर सकते हैं। उन्हें बाजार में नवीनतम अंक की उपलब्धता के लिए प्रतीक्षा नहीं करनी या पुस्तक खो जाने पर नई पुस्तक खरीदने की ¨चता नहीं करनी है।

    ऋचा श्रीवास्तव, कक्षा 10 वीं, प्रज्ञा निकेतन

    अनेक तरह की छात्रवृत्तियों के लिए कार्यक्रम तथा योजनाएं चलाई जाती हैं। प्रौद्योगिकी से अब छात्रों को योग्यता आधारित छात्रवृत्ति परीक्षाओं जैसे राष्ट्रीय प्रतिभा खोज परीक्षा, ओलंपियाड आदि के बारे में जानकारी और उसमें आवदेन का तरीका पाना आसान हो गया है।

    आनंद संभव, कक्षा 10 वीं, प्रज्ञा निकेतन।